लेनदेन में सावधान!
शुक्राचार्य ने कहा है-'धन का देना मित्रता का कारण होता है, परन्तु वापस लेना शत्रुता का।'पूर्वोक्त कथन सत्य है, लेनदेन में यही होता है। उधार दीजे, दुश्मन कीजे-यह कहावत लोक चर्चित है, जो अत्यन्त व्यवहारिक है। ऋण लेते ही तुलसीदास की यह उक्ति पूर्णत: चरितार्थ होती है-'आव गया आदर गया, नैनन गया स्