shabd-logo

हार का उपहार

12 फरवरी 2017

443 बार देखा गया 443

हार का उपहार

बरसों परवानों को, दीपक की

लौ में जलते देखा है,

शमा के चारों ओर पड़े

वे ढेर पतंगे देखा है.

कालेज में गोरी छोरी को

घेरे छोरों को देखा है,

खुद नारी नर की ओर खिंचे,

ऐसा कब किसने देखा है.

उसने क्या देखा, क्या जाने,

किसकी उम्मीद जताती है,

कहीं, ढ़ोल के भीतर पोल न हो,

यह सोच न क्यों घबराती है.

वह करती रहती नादानी,

आदर सम्मान जताती है,

इन सबसे भी खुश ही तो है

फिर मंद-मंद मुस्काती है.

वह दिल के एक मुहल्ले में,

अपना घर द्वार बनाती है,

वह इन अंजानी गलियों में,

अपनी पहचान बनाती है.

क्या देखे अपनी चाह में,

क्या है उसकी निगाह में,

खुद शमा जलती रहे,

रात काली स्याह में.

ऐ खुदा तू ये बता,

हैं यहाँ क्या माजरा,

शमा पतंगे क्यों ढूंढे

है तेरा ही बस आसरा.

एक ऐसा रिश्ता, जिसको वे

नाम नहीं देना चाहें,

इक दूजे को किए याद बिना

कुछ पल भी ना रह पाएँ.

एक ऐसा रिश्ता,

जिसमें प्यार हो,

ममत्व हो,

कच्चे धागों का बंधन हो,

कोई भाभी हो, ना मासी हो,

कोई देवर ना, कोई साली हो,

बँधकर रिश्तों की मर्यादा में,

कोई शहजादा, ना शहजादी हो,

पर हर पल की खुशहाली हो,

वह रिश्ता जिसमें प्यार का हर

पाक-स्वरूप मिला जाए.

जो किसी भी जाने अनजाने

रिश्तों के हद में न रह जाए,

न किसी नाम में बँध पाए,

ना किसी नाम से बँध पाए,

अच्छा ही हो गर इसको,

कोई नाम नहीं वो दे पाएं.


कोशिश हो नाम दिलाने की,

गर दे पाए तो हार ही है.

इस जीत में उनकी हार सही,

इस हार में एक उपहार तो है.

----------------------------

माड़भूषि रंगराज अयंगर की अन्य किताबें

नृपेंद्र कुमार शर्मा

नृपेंद्र कुमार शर्मा

रिश्तों की हद में न रह जाएं , बहुत खूब

12 मई 2017

माड़भूषि रंगराज अयंगर

माड़भूषि रंगराज अयंगर

रेणु जी आपने रचना पसंद की आभार अयंगर.

19 फरवरी 2017

रेणु

रेणु

अयंगर जी बहुत ही सरस कविता रची है आपने | बहुत ही अच्छा लिखा

17 फरवरी 2017

माड़भूषि रंगराज अयंगर

माड़भूषि रंगराज अयंगर

रचना पसंद करने हेतु, शब्दनगरी, आपका आभार सादर, अयंगर.

16 फरवरी 2017

माड़भूषि रंगराज अयंगर

माड़भूषि रंगराज अयंगर

रवींद्र जी, आपने रचना पसंद की , बहुत बहुत धन्यवाद. सादर अयंगर.

16 फरवरी 2017

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

बहुत ही खूब लिखा . आखरी 4 लाइने कविता की जान है .

14 फरवरी 2017

1

एकान्तर कथा - राधे का बैंक खाता.

17 मई 2016
0
5
1

कथा-राधे का बैंक खाता<!--[if !supportLineBreakNewLine]--><!--[endif]-->श्रीनिवासन शहर के एकप्रतिष्ठित रईस थे. उनके पास कई बंगले, कारखाने व और व्यापार थे.वे अपने इकलौते बेटे राधे कोसंसार की सारी सुविधाएँ मुहैया कराना चाहते थे. उनका मन था कि चाहे मजबूरी में याफिर शौक से ही सही, उनके बेटे को कभी कोई का

2

कलुषित नव रत्न

27 मई 2016
0
1
0

कलुषितनव रत्न भारतकभी सोने की चिड़िया, रत्नों की खान और ज्ञान का सागर कहा जाता था.लेकिनहमारी जनसंख्या ने खासकर इस पर बड़ा प्रहार किया. विदेशी जो लूट गए सो तो लूट हीगए किंतु जन,संख्या की मार ने हमारे बीच ही होड़ खड़ी कर दी. संसाधनों के आभाव मेंहम स्वार्थी होते गए. दाने - दाने को तरसता गरीब अपना ईमान

3

मेरी प्रथम प्रकाशित पुस्तक - दशा और दिशा - प्रकाशक ऑनलाईन गाथा द एंडल लेस टेल्स पर बेस्ट सेलर ऑफ ईयर चुनी गई है.

27 जुलाई 2016
0
2
2
4

एक कविता रमा चक्रवर्ती भाभी जी की .... माँ.

29 सितम्बर 2016
0
3
2

एक कविता रमा चक्रवर्ती भाभीजी की.... माँ गर्भ मे पल रहे, शिशु के स्पंदन से पुलकित होती मैं माँ हूँ. प्रसव वेदना तड़पती,मृत्यु से जूझती,फिर भी संतान - आगमन का अभिनंदन करती मैं माँ हूँ. शिशु का प्रथम क्रंदन सुनअपनी पूर्णता पर इतराती,मैं माँ हूँ वक्ष के अमृत-धार से अपनी मातृ

5

द्वंद ... जारी है.

22 अक्टूबर 2016
0
3
2

द्वंद ... जारी है. राजस्थान के चाँदा गाँव में स्नेहल एक घरेलू जाना पहचाना नाम था. गाँव के कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाली स्नेहल पढ़ाई में अव्वल थी. मजाल कि उसके रहते कोई कक्षा में प्रथम आने की सोच भी लेता. इसके साथ वह थी भी बला की खूबसूरत. घर- बाहर सब उसे प्यार करते थे,

6

मर्यादा पुरुषोत्तम.

28 अक्टूबर 2016
0
2
0

मर्यादा पुरुषोत्तम. (पाठकों से अनुरोध है कि अपने विचार बेबेक रखें और चर्चाकरें. ताकि कुछ सीखा भी जा सके.) रावण ने सीता को हरकर, जो किया, किया. लेकिन तुम थे - सियाराम, सीता के राम, तुम सीता को प्राणों से प्यारे थे, सीता भी तुमको प्राणों स

7

प्रणय पात्र

8 नवम्बर 2016
0
6
4

रोहित का मोबाईल फिर बजा. अब तक न जाने कितनी बार बज चुका था. इतनी बार बजने पर उसे लगा कि कोई तो किसी गंभीर परेशानी में होगा अन्यथा इतने बार फोन न करता. अनमना सा हारकर रोहित ने इस बार फोन उठा ही लिया. संबोधन किया हलो..उधर से आवाज आई...भाई साहब नमस्कार, गोपाल बोल रहा हूँ. बह

8

Laxmirangam: विधाता

3 दिसम्बर 2016
0
2
2

विधाता क्यों बदनामकरो तुम उसको,उसने पूरीदुनियां रच दी है.हम सबकोजीवनदान दियाहाड़ माँस सेभर - भर कर. हमने तो उनकोमढ़ ही दियाजैसा चाहा गढ़भी दिया,उसने तोशिकायत की ही नहींइस पर तोहिदायत दी ही नहीं। हमने तो उनको पत्थर में भीगढ़ कर रक्खा..उसने तो केवलरक्खा है पत्थरकुछ इंसानोंके सीने मेंदिल की जगह,इंसानों कोन

9

एक रात की व्यथा कथा

7 फरवरी 2017
0
6
7

एक रात की व्यथा - कथा बहुत मुश्किल से स्नेहा ने अपना तबादला हैदराबाद करवाया था चंडीगढ़ से. पति प्रीतम पहले से ही हैदराबाद में नियुक्त थे. प्रीतम खुश था कि अब स्नेहा और बेटी आशिया भी साथ रहने हैदराबाद आ रहे हैं. आशिया उनकी इकलौती व लाड़ली बेटी थी. इसलिए उसकी सुविधा का हर

10

हार का उपहार

12 फरवरी 2017
0
3
6

हार का उपहार बरसों परवानों को, दीपक कीलौ में जलते देखा है,शमा के चारों ओर पड़ेवे ढेर पतंगे देखा है. कालेज में गोरी छोरी कोघेरे छोरों को देखा है,खुद नारी नर की ओर खिंचे,ऐसा कब किसने देखा है. उसने क्या देखा, क्या जाने,किसकी उम्मीद जताती है,कहीं, ढ़ोल के भीतर पोल न हो,यह सोच न क्यों घबराती है. वह करती

11

मन दर्पण

14 फरवरी 2017
0
0
0

मेरी नई पुस्तक मन दर्पण का कवर पेज प्रस्तुत है. पुस्तक अप्रेल 2017 तक प्रकाशित हो जाएगी.

12

सँभलिए

19 फरवरी 2017
0
2
3

सँभलिए --------------- कभी कभी डर लगता है, वो प्यार न मुझसे कर बैठे, साथ मेरा ले भावुक होकर, घरवालों से ना लड़ बैठे। जो थोड़ा परिवार बचा है वह भी टूटा जाएगा, मैं हूँ अकेला, सदा अकेला, कोई मुझसे क्या कुछ पाएगा।। दोष न दे वो भले मुझे पर, खुद को माफ करूँ कैसे?

13

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग

7 मई 2017
3
4
8

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग सबसे पहली बात - “प्रूफ रीडर का काम पुस्तक में परिवर्तन करना नहीं है, केवल सुझाव देने हैं कि पुस्तक में क्या कमियां है और उनका निराकरण कैसे किया जाए. अच्छे प्रूफ रीडर पुस्तक उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए भी सुझाव दे सकते

14

मेरी दूसरी पुस्तक मन दर्पण का आवरण

9 मई 2017
0
2
1

ISBN 978-81-933482-3-1 गूगल सर्च कर, ऑर्डर कर सकेंगे. अभी प्री-सेल शुरु है. पुस्तक 20 मई से 1 जून के बीच प्रकाशित होने की उम्मीद है.

15

पुस्तक प्रकाशन

22 मई 2017
0
3
3

पुस्तक प्रकाशन पुस्तक प्रकाशन हर रचनाकार, चाहे वह कहानी कार हो, नाटककार हो या समसामयिक विषयों पर लेख लिखने वाला हो, कवि हो या कुछ और, चाहेगा कि मेरी लिखी रचनाएं पुस्तक का रूप धारण करें. हाँ शुरुआती दौर में लगता है कि यह किसी के लिए

16

निर्णय ( भाग - 1)

2 जून 2017
0
0
1

निर्णय ( भाग -1)बी एड में अलग अलग कॉलेजो से आए हुए अलग अलग विधाओंके विद्यार्थी थे । सबकी शैक्षणिक योग्यताएँ भी समान नहीं थीं । रजत इतिहास में एमए था । उसे लेखन का शौक था और वह बहुत अच्छा वक्ता भी था । उसके लेख व कविताएँअक्सर पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे । प्

17

निर्णय ( भाग - 2)

2 जून 2017
0
2
4

निर्णय ( भाग - 2 ) रजत भी समझ नहीं पा रहा था कि कैसे अपनी भावना संजनातक पहुँचाए। डर भी था कि संजना उसकी बात से नाराज हो गई तो वह उसे हमेशा के लिए हीखो देगा। वह अजब पशोपेश में पड़ा हुआ था।कॉलेज के वार्षिकोत्सव में रंजना ने कई कार्यक्रमोंमें भाग लिया था । एक नाटिका में

18

मन दर्पण

2 जून 2017
0
1
0

मेरी दूसरी पुस्तक मन दर्पण 25 मई 2017 को प्रकाशित हो चुकी है. पाठकगण गूगल पर - ISBN 978-81-933482-3-9खोज कर ई बुक या पेपरबैक आर्डर कर सकते हैं.ईबुक की कीमत रु.100 तथा पेपरबैक की कीमत रु.175 रखी गई है.पेपरबैक पर रु 60 प्रति पुस्तक का अतिरिक्त डाक खर्च लगेगा जो

19

एक पौधा

5 जून 2017
0
3
5

पर्यावनण दिवस 5 जून के अवसर पर...एक पौधा.मधुवन मनमोहक है,चितवन रमणीय है,उपवन अति सुंदर हैऔर जीवन से ही प्रदुर्भाव है इन सबका.फिर जब जीवन के उपवन से,मधुवन के चितवन तक,हर जगह‘वन ‘ ही की विशिष्टता है.तो क्यों न हम वन लगाएँ ?आईए शुरुआत करें,और लगाएँ....एक पौधा.......

20

निर्णय

23 जून 2017
0
2
6

बी एड में अलग अलग कॉलेजो से आए हुए अलग अलग विधाओं के विद्यार्थी थे । सबकी शैक्षणिक योग्यताएँ भी समान नहीं थीं । रजत इतिहास में एम ए था । उसे लेखन का शौक था और वह बहुत अच्छा वक्ता भी था । उसके लेख व कविताएँ अक्सर पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे । प्रिया ने बी

21

संप्रेषण और संवाद

26 अगस्त 2017
0
2
3

संप्रेषण और संवाद संप्रेषण और संवाद आपके कानों में किसी की आवाज सुनाई देती है. शायद कोई प्रचार हो रहा है. पर भाषा आपकी जानी पहचानी नहीं है. इससे आप उसे समझ नहीं पाते. संवाद तो प्रसारित हुआ, यानी संप्रेषण हुआ, प्राप्त भी हुआ, पर संपूर्ण नहीं हुआ क्योंक

22

Laxmirangam: ये कैसा दशहरा

3 अक्टूबर 2017
0
2
2

ये कैसा दशहरा ये कैसा दशहराआज मेरे देश में ये क्या हो रहा है.दहशत भरी है हवा में,डर लग रहा है,जगह जगह यहाँ तो रक्तपात हो रहा है. कहीं इस देश मेंइस दशहरा में रावण की जगह,शायद, राम तो नहीं जल रहा है.पता नहीं कब से,हर दशहरे रावण जल रहा है

23

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव.

2 नवम्बर 2017
0
1
4

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव. उस दिन मेरे मोबाईल पर फ्लेश आया. यदि आप जिओ का सिम घर बैठे पाना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें. मैंने क्लिक कर दिया. मुझे अपना नाम पता, आधार नंबर देने को कहा गया. मैंने दे दिया. फिर मुझसे पूछा गया कि आप जिओ सिम कब और कहाँ चाहते हैं. पता और समय

24

टूटते बंधन

13 फरवरी 2018
0
1
4

टूटते बंधनपाश्चात्य सभ्यता के अनुसरण की होड़ में जो सबसे महत्वपूर्ण बातेंसीखी गई या सीखी जा रही है उनमें जो सर्वप्रथम स्थान पर आता है वह है बंधन मुक्तहोना. जीवन के हर विधा में बंधनों को तोड़कर बाहर मुक्त गगन में आने की प्रथा चलपड़ी है. यहाँ यह विचार का या विमर्श का विषय नहीं है कि यह उचित है या अनुच

25

शब्द नगरी से अलगाव

7 सितम्बर 2018
0
1
5

व्यवस्थापकगण एवं पाठकगण शब्द नगरी ने अपने डेशबोर्ड पर जाने के लिए बहुत सारी अड़चनें पैदा कर दी हैं. हर बार शब्दनगरी खोलने पर मेल वेरिफाई करने को कहा जा रहा है और तो और यह भी संदेश मिल रहा है कि मेल नहीं मिलने की हालात में अ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए