shabd-logo

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव.

2 नवम्बर 2017

173 बार देखा गया 173

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव.


उस दिन मेरे मोबाईल पर फ्लेश आया. यदि आप जिओ का सिम घर बैठे पाना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें. मैंने क्लिक कर दिया. मुझे अपना नाम पता, आधार नंबर देने को कहा गया. मैंने दे दिया. फिर मुझसे पूछा गया कि आप जिओ सिम कब और कहाँ चाहते हैं. पता और समय देने पर बताया गया कि उस वक्त दिए हुए स्थान पर, मैं अपने आधार कार्ड के साथ मौजूद रहूं. समय से आधे घंटे पूर्व फोन आया. फोन करने वाले ने बताया कि वह जिओ से बात कर रहा है और मुझे सिम देना चाहता है. मैंने बताया कि मेरे पास आधार कार्ड है, पर मैं अपने पते पर नहीं हूँ. हाँ पास में ही हूँ. उसने मेरा पता माँगा और 20 मिनट में उस पते पर पहुँच गया. उसने मेरा आधारकार्ड माँगा नंबर नोट किया, उसका फोटो लिया और एक फिंगरप्रिंट लिया, जिससे मेरे फोन पर एक ओटीपी नंबर आया. उसने उसे कहीं भरा और हस्ताक्षर करवा कर सिम कार्ड देकर चला गया. मोबाईल पर मेसेज आया कि आपका आधार नंबर वेरिफाई हो गया है.


पूरी कार्रवाई में ज्यादा से ज्यादा कोई कहिए आधा घंटा लगा होगा.

.....


कुछ दिन बाद मेरे एक दोस्त का फोन आया मुंबई से और उन्होंने बताया कि “जीवन प्रमाण” के एवज में उनको तीन महीने से पेंशन नहीं मिल रही है. तब मुझे लगा कि मुझे खुद का भी देख लेना चाहिए. जाँच में पता चला कि मई 17 के बाद की पेंशन राशि आई ही नहीं. हालाँकि राशि कोई दो हजार रुपए प्रतिमाह है, पर वह भी नहीं आई. तब जाग आई.


बैंक से बात किया तो वहाँ से जवाब मिला सर आपका लाईफ सर्टिफिकेट नहीं भेजा होगा. मैंने उन्हें याद दिलाया कि भेजा था , आपसे बात भी हुई थी. आपने आधार की कापी माँगी थी, वह भी भेजा था. तब बोले ओह आपका तो किसी राजपत्रित अधिकारी के हस्ताक्षर से आया था ना. मुझे लगा मामला अब सुलझ गया, लेकिन नहीं. मुझे बताया गया कि मई 2017 के बाद डिजिटल लाईफ सर्टिफिकेट ही मान्य होंगे. ये है डिजिटल इंडिया का पहला स्वाद. न कोई मेल , न कोई संदेश, न कोई पत्र - बस पेंशन बंद करके बैठ गए. जिसको तकलीफ होगी हाथ पैर मारेगा.


उनके एक ग्लोबल कमाँड से सारे पेंशनरों को मेल चला जाता कि मई से पहले पहले सबको फिर से डिजिटल सर्टिफिकेट देना है या फिर उसे अगले सत्र से लागू करते. इस डिजिटाइजेशन का क्या फायदा ? पर सरकार है हक है करो परेशान!!! बूढ़े हैं तो क्या हुआ? जरूरत है तो दौड़ेंगे.


चलें आगे बढ़ें. बैंक वालों से विनती करके मैंने पी एफ कार्यालय के नंबर लिए. मेरी एक अलग मुसीबत भी यह है कि मैं रहता हैदराबाद हूँ, पर मेरा पेँशन खाता छत्तीसगढ़, कोरबा में है. मुझे बिलासपुर और रायपुर कार्यालय के नंबर मिले. रायपुर में किसी ने फोन नहीं उठाया, पर बिलासपुर से जवाब मिला. उनका कहना था कि मुझे रायपुर या बिलासपुर जाकर वहाँ व्यक्तिगत तौर पर फिंगरप्रिंट देकर जीवन प्रमाण देना होगा. मैंने सोचा, 2000 रु मासिक के लिए 6000 खर्च कर रायपुर/ बिलासपुर जाऊँ. मैंने बात आगे बढ़ाया. जनाब इस डिजिटल इंडिया के जमाने में भी क्या वहाँ जाना ही पड़ेगा? मैं हैदराबाद में रहता हूँ, यहाँ भी तो कोई ईपीएफओ का दफ्तर होगा. तब फिर उन्होंने सलाह दिया कि आप अपना पेशन पेमेंट अथॉरिटी, आधारकार्ड और पेंशन वाले बैंक का पास बुक (प्रथम पृष्ठ सहित) लेकर हैदराबाद के क्षेत्रीय कार्यालय में जाएं तो वहां से यह काम हो सकता है.


चलिए मैं ईपीएफओ के क्षेत्रीय कार्यालय पहुँचा. एक कमरे में दो लिपिक बैठे हैं और वे ही लोगों का जीवन प्रमाण तय कर रहे हैं. कमरे में कोई 100-150 लोग बैठे होंगे. 52 नंबर का टोकन चल रहा था. मेरा टोकन नंबर 95 था. बात साफ थी कि 3 घंटे पहले तो नंबर आने का कोई मतलब ही नहीं इस बीच लंच ब्रेक भी होना था. मैं 11 बजे पहुंचा था और मेरा नंबर 3 बजे आया. खाना तो गया. तब तक कैंटीन भी सूख गई थी. वहाँ मैंने पता किया कि पूरे हैदराबाद-सिकंदराबाद जुड़वाँ शहर में क्या और कोई जगह है जहाँ यह काम हो सकता है ? तो जवाब मिला नहीं, यहीं आना होगा. पूरे शहर व आस पास के इलाकों से बुजुर्ग जिनकी कमर पूरे धरातल तक झुक गई है, वहाँ आकर बैठे हैं. किसी को उम्र का लिहाज भी नहीं. 61 साल का व्यक्ति और 90 साल की बूढ़ी दोनों एक ही कतार में हैं. कोई रियायत या सुनवाई नहीं. उस पर वहाँ जो सुनने मिला वह तो और भी हैरान करने वाली बात थी. लोग स्टेट बैंक एवं अन्य बैंकों से जीवन प्रमाणपत्र लेकर आए थे. उनका कहना था कि वे दो बार जीवन प्रमाणन कराकर जा चुके हैं, पर पेंशन नहीं आई इसलिए फिर आए हैं. 70-75 साल की आयु के इन लोगों (वहाँ 85 साल तक के लोग थे कमर झुकी हुई) की ऐसी हालत पर तरस आता है. .....


अब आईए मुद्दे पर. जब इंडिया डिजिटल नहीं हुआ था तब जो लोग अपने पेंशन वाले बैंक ब्राँच में जा सकते थे, वे वहाँ जाकर जीवन प्रामाण बैंक अधिकारी को दे आते थे. जो दूसरी जगह होते थे तब वे किसी राजपत्रित अधिकारी या बैंक मेनेजर से अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कर उस प्रमाणपत्र को पेंशन वाली बैंक शाखा में भेजते थे और पेंशन लग जाती थी.


अब इंडिया डिजिटल हो गया है. तो कोई प्रमाणपत्र मान्य नहीं है. उम्र हालत कुछ भी हो जीवन प्रमाणन के लिए ईपीएफओ कार्यालय जाकर ही फिंगरप्रिंट देना है. जो हैदराबाद जैसे वृहत जुड़वाँ शहर में भी एक ही है. जिसकी हालत का ऊपर जिक्र है. जनता समझे कि इस तरह कि डिजिटल इंडिया से किसका भला हुआ. जो लोग इससे संबंधित हैं उन्हें चाहिए कि इसका जायजा लें और कम से कम पुरानी सुविधा को तब तक बहाल रखें जब तक नई डिजिटल इंडिया की प्रणाली खुदपूर्णतः प्रमाणित नहीं हो जाती.
....


जिओ वाला सिम देने के लिए आधे घँटे में घर आकर आधार से प्रमाणन कर लेता है, पर सरकार के बाशिंदे पेंशन के लिए इस तरह परेशान हो रहे हैं या कहूं किए जा रहे हैं.

...


भला हो उस चंद्रबाबू नायडू का जिसने संयुक्त आँध्र में डिजिटीजेशन किया. हाईटेक सिटी दी. जगह जगह ई सेवा , मी सेवा (आपकी सेवा) केंद्र खुलवाए जहाँ से आधार कार्ड, राशन कार्ड, पेन कार्ड बनवाए जा सकते हैं, बदलाव करवाए जा सकते हैं . बिजली पानी के बिल हाउसटेक्स भर सकते हैं. जाति प्रमाणपत्र पा सकते हैं. इस सरकार को चाहिए कि कम से कम यहाँ पेंशन के लिए जीवन प्रमाण को भी इस संस्था से जोड़ दे ताकि लोग अपने नजदीकी कार्यालय में जाकर जीवन प्रमाण दे सकें. अच्छा हो अन्य राज्यों की सरकारें इसकी अनुकृति कर लें ताकि बुजुर्गों को उचित सुविधा मिल सके.

.......

माड़भूषि रंगराज अयंगर की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

आदरणीय अयंगर जी - के माध्यम से आपने जो जानकारी दी है वो बहुत ही ज्ञानवर्धक है | वरिष्ठ जनों को नहीं अपितु सभी के लिए ऑनलाइन सुविधाएँ बड़ी सार्थकता के साथ लागू की जनि चाहिए | पर वरिष्ठ जन तो अधिक सुखी हो जायेंगे यदि ऑनलाइन सब उबलब्ध हो | आभार आपका लेख के लिए |

5 नवम्बर 2017

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

अयंगर जी , मैं भी इसका भुक्त भोगी हूँ , बैंक भी हम वृद्वों को कुछ कम परेशान नहीं करती हैं , कहीं भी जाओ , कोषागार , बैंक हर जगह लम्बी लाइन ,भीड़ .... बेचारे अपाहिज , बहुत उम्र वाले जो चल फिर नहीं सकते क्या करें

4 नवम्बर 2017

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

अयंगर जी , मैं इसका भुक्त भोगी हूँ

4 नवम्बर 2017

3 नवम्बर 2017

1

एकान्तर कथा - राधे का बैंक खाता.

17 मई 2016
0
5
1

कथा-राधे का बैंक खाता<!--[if !supportLineBreakNewLine]--><!--[endif]-->श्रीनिवासन शहर के एकप्रतिष्ठित रईस थे. उनके पास कई बंगले, कारखाने व और व्यापार थे.वे अपने इकलौते बेटे राधे कोसंसार की सारी सुविधाएँ मुहैया कराना चाहते थे. उनका मन था कि चाहे मजबूरी में याफिर शौक से ही सही, उनके बेटे को कभी कोई का

2

कलुषित नव रत्न

27 मई 2016
0
1
0

कलुषितनव रत्न भारतकभी सोने की चिड़िया, रत्नों की खान और ज्ञान का सागर कहा जाता था.लेकिनहमारी जनसंख्या ने खासकर इस पर बड़ा प्रहार किया. विदेशी जो लूट गए सो तो लूट हीगए किंतु जन,संख्या की मार ने हमारे बीच ही होड़ खड़ी कर दी. संसाधनों के आभाव मेंहम स्वार्थी होते गए. दाने - दाने को तरसता गरीब अपना ईमान

3

मेरी प्रथम प्रकाशित पुस्तक - दशा और दिशा - प्रकाशक ऑनलाईन गाथा द एंडल लेस टेल्स पर बेस्ट सेलर ऑफ ईयर चुनी गई है.

27 जुलाई 2016
0
2
2
4

एक कविता रमा चक्रवर्ती भाभी जी की .... माँ.

29 सितम्बर 2016
0
3
2

एक कविता रमा चक्रवर्ती भाभीजी की.... माँ गर्भ मे पल रहे, शिशु के स्पंदन से पुलकित होती मैं माँ हूँ. प्रसव वेदना तड़पती,मृत्यु से जूझती,फिर भी संतान - आगमन का अभिनंदन करती मैं माँ हूँ. शिशु का प्रथम क्रंदन सुनअपनी पूर्णता पर इतराती,मैं माँ हूँ वक्ष के अमृत-धार से अपनी मातृ

5

द्वंद ... जारी है.

22 अक्टूबर 2016
0
3
2

द्वंद ... जारी है. राजस्थान के चाँदा गाँव में स्नेहल एक घरेलू जाना पहचाना नाम था. गाँव के कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाली स्नेहल पढ़ाई में अव्वल थी. मजाल कि उसके रहते कोई कक्षा में प्रथम आने की सोच भी लेता. इसके साथ वह थी भी बला की खूबसूरत. घर- बाहर सब उसे प्यार करते थे,

6

मर्यादा पुरुषोत्तम.

28 अक्टूबर 2016
0
2
0

मर्यादा पुरुषोत्तम. (पाठकों से अनुरोध है कि अपने विचार बेबेक रखें और चर्चाकरें. ताकि कुछ सीखा भी जा सके.) रावण ने सीता को हरकर, जो किया, किया. लेकिन तुम थे - सियाराम, सीता के राम, तुम सीता को प्राणों से प्यारे थे, सीता भी तुमको प्राणों स

7

प्रणय पात्र

8 नवम्बर 2016
0
6
4

रोहित का मोबाईल फिर बजा. अब तक न जाने कितनी बार बज चुका था. इतनी बार बजने पर उसे लगा कि कोई तो किसी गंभीर परेशानी में होगा अन्यथा इतने बार फोन न करता. अनमना सा हारकर रोहित ने इस बार फोन उठा ही लिया. संबोधन किया हलो..उधर से आवाज आई...भाई साहब नमस्कार, गोपाल बोल रहा हूँ. बह

8

Laxmirangam: विधाता

3 दिसम्बर 2016
0
2
2

विधाता क्यों बदनामकरो तुम उसको,उसने पूरीदुनियां रच दी है.हम सबकोजीवनदान दियाहाड़ माँस सेभर - भर कर. हमने तो उनकोमढ़ ही दियाजैसा चाहा गढ़भी दिया,उसने तोशिकायत की ही नहींइस पर तोहिदायत दी ही नहीं। हमने तो उनको पत्थर में भीगढ़ कर रक्खा..उसने तो केवलरक्खा है पत्थरकुछ इंसानोंके सीने मेंदिल की जगह,इंसानों कोन

9

एक रात की व्यथा कथा

7 फरवरी 2017
0
6
7

एक रात की व्यथा - कथा बहुत मुश्किल से स्नेहा ने अपना तबादला हैदराबाद करवाया था चंडीगढ़ से. पति प्रीतम पहले से ही हैदराबाद में नियुक्त थे. प्रीतम खुश था कि अब स्नेहा और बेटी आशिया भी साथ रहने हैदराबाद आ रहे हैं. आशिया उनकी इकलौती व लाड़ली बेटी थी. इसलिए उसकी सुविधा का हर

10

हार का उपहार

12 फरवरी 2017
0
3
6

हार का उपहार बरसों परवानों को, दीपक कीलौ में जलते देखा है,शमा के चारों ओर पड़ेवे ढेर पतंगे देखा है. कालेज में गोरी छोरी कोघेरे छोरों को देखा है,खुद नारी नर की ओर खिंचे,ऐसा कब किसने देखा है. उसने क्या देखा, क्या जाने,किसकी उम्मीद जताती है,कहीं, ढ़ोल के भीतर पोल न हो,यह सोच न क्यों घबराती है. वह करती

11

मन दर्पण

14 फरवरी 2017
0
0
0

मेरी नई पुस्तक मन दर्पण का कवर पेज प्रस्तुत है. पुस्तक अप्रेल 2017 तक प्रकाशित हो जाएगी.

12

सँभलिए

19 फरवरी 2017
0
2
3

सँभलिए --------------- कभी कभी डर लगता है, वो प्यार न मुझसे कर बैठे, साथ मेरा ले भावुक होकर, घरवालों से ना लड़ बैठे। जो थोड़ा परिवार बचा है वह भी टूटा जाएगा, मैं हूँ अकेला, सदा अकेला, कोई मुझसे क्या कुछ पाएगा।। दोष न दे वो भले मुझे पर, खुद को माफ करूँ कैसे?

13

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग

7 मई 2017
3
4
8

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग सबसे पहली बात - “प्रूफ रीडर का काम पुस्तक में परिवर्तन करना नहीं है, केवल सुझाव देने हैं कि पुस्तक में क्या कमियां है और उनका निराकरण कैसे किया जाए. अच्छे प्रूफ रीडर पुस्तक उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए भी सुझाव दे सकते

14

मेरी दूसरी पुस्तक मन दर्पण का आवरण

9 मई 2017
0
2
1

ISBN 978-81-933482-3-1 गूगल सर्च कर, ऑर्डर कर सकेंगे. अभी प्री-सेल शुरु है. पुस्तक 20 मई से 1 जून के बीच प्रकाशित होने की उम्मीद है.

15

पुस्तक प्रकाशन

22 मई 2017
0
3
3

पुस्तक प्रकाशन पुस्तक प्रकाशन हर रचनाकार, चाहे वह कहानी कार हो, नाटककार हो या समसामयिक विषयों पर लेख लिखने वाला हो, कवि हो या कुछ और, चाहेगा कि मेरी लिखी रचनाएं पुस्तक का रूप धारण करें. हाँ शुरुआती दौर में लगता है कि यह किसी के लिए

16

निर्णय ( भाग - 1)

2 जून 2017
0
0
1

निर्णय ( भाग -1)बी एड में अलग अलग कॉलेजो से आए हुए अलग अलग विधाओंके विद्यार्थी थे । सबकी शैक्षणिक योग्यताएँ भी समान नहीं थीं । रजत इतिहास में एमए था । उसे लेखन का शौक था और वह बहुत अच्छा वक्ता भी था । उसके लेख व कविताएँअक्सर पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे । प्

17

निर्णय ( भाग - 2)

2 जून 2017
0
2
4

निर्णय ( भाग - 2 ) रजत भी समझ नहीं पा रहा था कि कैसे अपनी भावना संजनातक पहुँचाए। डर भी था कि संजना उसकी बात से नाराज हो गई तो वह उसे हमेशा के लिए हीखो देगा। वह अजब पशोपेश में पड़ा हुआ था।कॉलेज के वार्षिकोत्सव में रंजना ने कई कार्यक्रमोंमें भाग लिया था । एक नाटिका में

18

मन दर्पण

2 जून 2017
0
1
0

मेरी दूसरी पुस्तक मन दर्पण 25 मई 2017 को प्रकाशित हो चुकी है. पाठकगण गूगल पर - ISBN 978-81-933482-3-9खोज कर ई बुक या पेपरबैक आर्डर कर सकते हैं.ईबुक की कीमत रु.100 तथा पेपरबैक की कीमत रु.175 रखी गई है.पेपरबैक पर रु 60 प्रति पुस्तक का अतिरिक्त डाक खर्च लगेगा जो

19

एक पौधा

5 जून 2017
0
3
5

पर्यावनण दिवस 5 जून के अवसर पर...एक पौधा.मधुवन मनमोहक है,चितवन रमणीय है,उपवन अति सुंदर हैऔर जीवन से ही प्रदुर्भाव है इन सबका.फिर जब जीवन के उपवन से,मधुवन के चितवन तक,हर जगह‘वन ‘ ही की विशिष्टता है.तो क्यों न हम वन लगाएँ ?आईए शुरुआत करें,और लगाएँ....एक पौधा.......

20

निर्णय

23 जून 2017
0
2
6

बी एड में अलग अलग कॉलेजो से आए हुए अलग अलग विधाओं के विद्यार्थी थे । सबकी शैक्षणिक योग्यताएँ भी समान नहीं थीं । रजत इतिहास में एम ए था । उसे लेखन का शौक था और वह बहुत अच्छा वक्ता भी था । उसके लेख व कविताएँ अक्सर पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे । प्रिया ने बी

21

संप्रेषण और संवाद

26 अगस्त 2017
0
2
3

संप्रेषण और संवाद संप्रेषण और संवाद आपके कानों में किसी की आवाज सुनाई देती है. शायद कोई प्रचार हो रहा है. पर भाषा आपकी जानी पहचानी नहीं है. इससे आप उसे समझ नहीं पाते. संवाद तो प्रसारित हुआ, यानी संप्रेषण हुआ, प्राप्त भी हुआ, पर संपूर्ण नहीं हुआ क्योंक

22

Laxmirangam: ये कैसा दशहरा

3 अक्टूबर 2017
0
2
2

ये कैसा दशहरा ये कैसा दशहराआज मेरे देश में ये क्या हो रहा है.दहशत भरी है हवा में,डर लग रहा है,जगह जगह यहाँ तो रक्तपात हो रहा है. कहीं इस देश मेंइस दशहरा में रावण की जगह,शायद, राम तो नहीं जल रहा है.पता नहीं कब से,हर दशहरे रावण जल रहा है

23

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव.

2 नवम्बर 2017
0
1
4

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव. उस दिन मेरे मोबाईल पर फ्लेश आया. यदि आप जिओ का सिम घर बैठे पाना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें. मैंने क्लिक कर दिया. मुझे अपना नाम पता, आधार नंबर देने को कहा गया. मैंने दे दिया. फिर मुझसे पूछा गया कि आप जिओ सिम कब और कहाँ चाहते हैं. पता और समय

24

टूटते बंधन

13 फरवरी 2018
0
1
4

टूटते बंधनपाश्चात्य सभ्यता के अनुसरण की होड़ में जो सबसे महत्वपूर्ण बातेंसीखी गई या सीखी जा रही है उनमें जो सर्वप्रथम स्थान पर आता है वह है बंधन मुक्तहोना. जीवन के हर विधा में बंधनों को तोड़कर बाहर मुक्त गगन में आने की प्रथा चलपड़ी है. यहाँ यह विचार का या विमर्श का विषय नहीं है कि यह उचित है या अनुच

25

शब्द नगरी से अलगाव

7 सितम्बर 2018
0
1
5

व्यवस्थापकगण एवं पाठकगण शब्द नगरी ने अपने डेशबोर्ड पर जाने के लिए बहुत सारी अड़चनें पैदा कर दी हैं. हर बार शब्दनगरी खोलने पर मेल वेरिफाई करने को कहा जा रहा है और तो और यह भी संदेश मिल रहा है कि मेल नहीं मिलने की हालात में अ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए