shabd-logo

छोले

10 नवम्बर 2021

62 बार देखा गया 62

आइये आइये ठाकुर साहब.. कहिये क्या सेवा कर सकता हूँ?

दो लफंगे हैं आपकी जेल में, जय और वीरू.. मुझे वह दोनों चाहिये।

उनका क्या करना है ठाकुर साहब।

एक से बैगपाइपर का एड करवाना है और दूसरे से पनामा में इन्वेस्ट करने का आइडिया लेना है।

जैसी आपकी इच्छा ठाकुर साहब.. लीजिये यह रहे दोनों चमन।

जय वीरू.. तुम्हें याद है एक बार जब मैं छोले भटूरे खा रहा था और कुछ डाकुओं ने हमला कर दिया था।

हाँ ठाकुर साहब, वे आपके छोले लूट ले जाना चाहते थे और उसी टाईम आपके पेट में जलजला आया हुआ था, जिससे आप शौचालय भागना चाहते थे, लेकिन डाकुओं की वजह से जा नहीं पा रहे थे।

हाँ.. और तुम लोगों ने न सिर्फ मेरे छोले बचाये थे बल्कि उन डाकुओं को भी भगाया था जय।

हालाँकि तब भी आपकी निकल गयी थी और हमें आपकी सफाई में भी मदद करनी पड़ी थी।

उसी बात से मैंने अंदाजा लगा लिया था कि तुम लोग महान पुण्यात्मा हो.. इसीलिये एक ऑफर ले कर आया हूँ तुम्हारे पास।

कैसा ऑफर ठाकुर साहब?

रामगढ़ के स्टेशन पर मेरा छोले भटूरे का होटल है.. गब्बर के आदमी जब तब मेरे छोले लूट ले जाते हैं। तुम्हें न सिर्फ मेरे छोले बचाने होंगे बल्कि गब्बर को मेरे हवाले भी करना होगा। काम मेरी पसंद का और दाम तुम्हारी पसंद के।

वह तो ठीक है ठाकुर साहब, पर गब्बर आपको क्यों चाहिये?

यह सीधे खंबे जैसी बाडी देख रहे हो वीरू.. इसमें दोनों हाथ मिसिंग हैं, जो गब्बर ने ले रखे हैं। गब्बर के पूछने पर कि मेहरारू तो रही नहीं, काम कैसे चलता है.. मैंने बस इतना ही कहा था कि अपना हाथ जगन्नाथ और वह मेरे हाथ उखाड़ ले गया। आई वांट माई हैंड बैक डूड। तुम सोच नहीं सकते कि रामलाल कितने नखरे करता है।

ठीक है ठाकुर साहब, हम आपकी पीड़ा समझ सकते हैं.. हमें सौदा मंजूर है। हम रामगढ़ पंहुच जायेंगे।

**

आइये आइये साहब.. केंट वाटर प्योरिफायर ले लीजिये। मस्त काम करता है.. साफ पानी को भी जबरदस्ती फिल्टर कर देता है.. ले लीजिये साहब.. अभी सस्ता है, कहीं सलमान खान बेचने लगा तो महंगा हो जायेगा।

अरे बसंती.. तुम तो तांगा चलाती थी, यह केंट आरओ कब से बेचने लगी।

यूके.. पार्ट टाईम जाब का नाम नहीं सुने का देहाती.. आम के आम और गुठलियों के दाम। कोई न खरीदे तो हम और हमारी धन्नो ही आरओ का पानी पी लेते हैं, और यह हमारा नाम तो हमको बताना था यूके।

क्या करें बसंती.. हमने स्क्रिप्ट पहले ही पढ़ ली थी। तुम्हारा तांगा कहां है बसंती?

यूके बात ऐसी है कि हम ठहरे भाजपाई सांसद.. तो हमने घोड़ी को गौमाता से रिप्लेस कर लिया है और गौमाता तांगा तो चला नहीं सकती तो तांगे की जगह हमने बैलगाड़ी लगा ली है.. आ जाइये।

यह कितने महीने में हमें रामगढ़ पंहुचा देगी?

ऐसा कुछ नहीं है बे.. हम कल तक पंहुच जायेंगे। चल धन्नो।

**

आइये साहब.. मैं हूँ आधा ठाकुर रामलाल, आपका खैरमकदम करता हूँ।

आधा ठाकुर..

ठाकुर साहब के आधे जिस्म की जिम्मेदारी तो मैं ही उठाता हूँ न, इसलिये खुद को आधा ठाकुर घोषित कर लिया है।

यह बौनी कौन है आधे ठाकुर?

पूरे ठाकुर की विधवा बहू है.. इससे लाईन मारना बाद में, काहे से आगे चल कर वो आइडिया सिम बेचने वाला बेरोजगार लौंडा जो पैदा करना है। यह आ गया आपका कमरा.. इधर ही आपको कूल्ले टिकाने हैं महाराज। चलता हूँ.. कोई जरूरत हो तीन डिफ्रेंट गालियां दे के पुकार लेना। राम राम।

अबे.. अबे.. अंदर घुसते ही हमला कर दिहिस.. ढिशुम ढिशुम।

मार साले को.. ढिशुम ढिशुम।

भाग गये साले.. ठाकुर साहब, यह क्या रायता है।

तुम्हारा ट्रायल लेना था डूड कि कहीं हथियार में जंग तो नहीं लग गयी। कांग्रेट्स.. अब तुम परफार्मेंस देने के लिये रेडी हो।

भागो.. भागो.. डाकू आ गये।

अरे ओ ठाकुर.. यह छोले का भगोना हमको दे दे ठाकुर।

कुछ नई मिलेगा तुम्हें कालिया.. गब्बर से कहना, रामगढ़ वालों ने पागल कुत्तों के आगे पेडिग्री डालना बंद कर दिया है।

अच्छा.. कौन रोकेगा हमें?

मौत तुम्हारे सर पर खेल रही है कालिया।

आंय.. अबे जुगनू देख तो जरा, मेरे सर पर जुओं और डैंड्रफ के सिवा कुछ और भी खेलता दिख रहा है क्या।

मेरे ख्याल से ठाकुर उन दो गबरुओं की बात कर रहा है कालिया।

………….

अरे ठाकुर साहब.. यह हमें देख के इन डाकुओं की लार क्यों बहने लगी?

गबरू लौंडों को देख के यह गीले हो जाते हैं वीरू..

सोच लो ठाकुर.. गब्बर को पता चलेगा कि तुमने उसके आदमियों को छोले नहीं दिये तो अंजाम अच्छा न होगा।

भग बोड़ी के..

**

आओ कालिया.. का सोच के खाली हाथ आये हो, गब्बर सिर्फ भटूरे खा के गुजारा कर लेगा।

अब कल्लो गुजारा.. दुबारा न जा पायेंगे।

कितने आदमी थे?

सरदार.. दो।

वाऊ.. दो दो। फिर तो खूब एंजाय किया होगा हरामजादों।

कहां सरदार, वह दो थे हम तीन.. खाक एंजाय करते। ठाकुर तो जी भर के देखने भी न दिहिस।

हाऊ रूड.. अच्छा सुनो बे, वह तीन खाली खाने, तीन में गोली भरी वाली नौटंकी खेलें का।

रैपटा देंगे खींच के जो बोर किया तो। साले क्या दिन आ गये हैं.. इतनी मंदी है कि खाने के लाले पड़े हुए हैं। गोली चला दें तो गोली का खर्चा न निकले.. बंदूकें एक्सपायर हो चुकी हैं बिना चले। रात को भेस बदल के भीख मांगने जाना पड़ता है, तब साला रात का खाना हो पाता है।

अरे ओ सांभा.. आज तो जुमेरात है न।

जी सरदार।

आज मुसलमानों के मुहल्ले जाना मांगने.. शायद कुछ मीट वीट लग जाये हाथ।

कब तक ऐसे दुर्दिन चलेंगे सरदार। हमारा चार्म नेताओं ने लूट लिया है। एक बार लड़ जाओ चुनाव यार.. शायद सांसद विधायक कुछ बन जाओ, तो कुछ खाने को तो ढंग से मिलेगा हमको।

सोचते तो हम भी हैं.. पर बोलना तक तो आता नहीं हमको। कोई एक ठो पढ़े लिखे लौंडे का प्रबंध करो जो सब भाषण वाषण संभाल ले, तो सोचें कुछ।

ठीक है सरदार.. लेते हैं किसी आईटी वाले को खोपचे में।

**

अरे किधर चल दिये सूरदास हंगल चाचा..

कौन.. अरे बसंती, तू हमेशा मुझे मस्जिद तक छोड़ देती है। चल आज भी छोड़ दे फिर।

एक ठो बात बताओ हंगल.. तुम पैदा भी बूढ़े हुए थे क्या यार। साला कभी तो तुमको जवान नहीं देखे हम।

हीहीही.. का करें, शकल ही सिंघाड़े जैसी दी है ऊपर वाले ने। पैदा होने के टाईम अम्मा को ऐसे ही बधाई भी मिली थी कि मुबारक हो.. चाचा जी पैदा हुए हैं।

अच्छा, कुछ स्लिम हो गये हो ब्लाइंड मैन.. डायटिंग कर रहे क्या?

अरे कहां बसंती बेटा.. अहमद मियाँ की फिकर में दुबला हो रहा हूँ। आईआईटी से इंजीनियरिंग कर ली है लेकिन घर पे पड़ा है.. कह रहा हूँ भोपाल चला जा, मामू कबर खोदते हैं, अपने साथ लगा लेंगे तुझे भी.. लेकिन सुनता ही नहीं।

हो गया बोल के। आ गयी तुम्हारी मस्जिद.. अब मैं चली आम तोड़ने।

**

यूके.. तुम यहां क्या कर रहो?

अब पहाड़ी जगह पे आम कहां होयेंगे.. तो सेब के पेड़ पे आम चिपका रहे थे कि तुम्हें बंदूक से तोड़ना सिखा सकें।

मने तुम सिखाओगे.. वह भी हमको।

हाँ क्यों नहीं.. माना कि तुम केंट प्योरिफायर बेचती हो लेकिन हम भी बैगपाइपर वाले हैं।

अच्छा तो सिखाओ..

यह लो.. बारह बोर का कट्टा पकड़ो। ऐसे.. हाँ और एक आंख बंद करके उस आम पर निशाना लगाओ.. बस यूँ ही।

हट हरामिक बोदे.. हमसे घोड़ा दबवाने के चक्कर में कुछ और दबाये ले रहा चपरकनाती। भग भग.. खूब समझती है बसंती तुम जैसे छिछोरों को। जा रही हूँ मैं.. और खबरदार जो मुझे फालो किया तो.. बेवड़े।

अरे बसंती.. सुनो तो। आई लव यू यार.. पिलीच।

टाक टु माई ऐस्स..

कूद जाऊँगा फांद जाऊँगा.. गाँव वालों मैं सुसाईड कर लूंगा..

का हो गया इसे.. काहे ससुरा बौरा के टंकी पे चढ़ गवा।

अरे ठाकुर साहब.. इसकी अंदरूनी पीड़ा का पता करो, इसका पार्टनर उधर औंधा पड़ा है।

जय.. यह वीरू क्यों रायता फैला रहा है।

अरे ठाकुर साहब.. कुछ नहीं बस बौरा गया है, क्या है कि 1974 चल रहा है.. साला अभी शहर में तो म्यूनिपल्टी की पाईप लाईन पड़ी नहीं और तुम लोग यहां पहाड़ी गाँव में यह टंकी लगवाये पड़े हो। एक ठो नलका नहीं दिखा गाँव में हमको.. यह टंकी क्या मोदी जी के भाषण देने के लिये बनवाई है।

आई एम नाट रिस्पांसिबल फार दैट जय.. डिरैक्टर जिम्मेदार है।

मतलब बीड़ू कल से यही सब सोच रहा था कि हवेली में तुम्हारी वह बौनी बहू जब तब लालटेन जलाती हमको लाईन देती रहती है.. गाँव वाले चिराग से गुजारा करते हैं, लाईट है नहीं कहीं गांव में। यह बताओ कि टंकी में पानी क्या बाल्टियों में भर भर के चढ़ाते हो?

अरे यार.. यह रायता सलीम जावेद ने फैलाया है, मुझ पर बिल मत फाड़ो।

कल से बस वही सोचते सोचते वीरू बौरा गया है.. तुम बताओ ठाकुर टेढ़े टेढ़े क्यों चल रहे?

क्या बताऊं यार.. यह जो आधा ठाकुर रामलाल है न कमीना, आज ही मिर्च का अचार बनाना था इसे.. पूरे तीन दिन बाद तो बीड़ी का पूरा बंडल खींच कर प्रेशर बनाया था और रामलाल ने मिर्चे वाले हाथ से.. अभी तक पजामे में आग लगी हुई है।

मैं आपका दर्द समझ सकता हूं पूरे ठाकुर।

इसे कैसे उतारें.. मर मरा गया तो एक यूनिट वेस्ट हो जायेगा।

व्हाट्सएप कर देते हैं कि इस टंकी से पानी का कोई रिश्ता नहीं। यह बस गोबर के कंडे पाथ कर सुखाने और स्टोर करने के लिये है.. नीचे गुबरैले उठा ले जाते हैं गाँव वालों की पूंजी।

गुड आइडिया।

**

प्रणामअलैकुम मौसी।

वालैकुम प्रणाम जय बेटा.. बसंती के रिश्ते के लिये बकैती करने आये हो।

आप तो मौसी.. बड़ी वो हैं। केंट आरओ बेच बेच के बसंती ने काफी रकम पीट ली होगी, अब उसे रखने के लिये किसी मर्द की जेब चैये कि नई चैये।

चैये तो बेटा.. कोई जेब है क्या नजर में। मैट्रीमोनियल में दिये तो थे इश्तिहार.. कोई लौंडा फंसा ही नहीं अब तक।

फंसेगा कैसे.. झेलेगा कौन आपकी सगी भांजी को.. एक ही कैंडीडेट है, चाहो तो देख लो। सस्ते में लग जायेगा अपना वीरू.. डांस के नाम पर क्या लंगड़ी खींचता है 

करता क्या है वैसे वह.. वह जुए शराब कोठे मुजरे वाली बकैती मत करना बस।

अरे न मौसी.. कान से मैल निकालता है एकदम परफेक्ट.. बस दो रुपया पर कान। यहां ठाकुर साब का काम निपटा और हम शहर कट लिये.. वहां बस वीरू और गहक के कान।

हमाए कान से भी निकाल देगा क्या.. कुछ परफार्मेंस नहीं दे रहे ठीक ठाक।

बिलकुल.. और आपकी भांजी के तो रोज कान का मैल निकाला करेगा।

फिर तो डन।

**

यह इतना सन्नाटा क्यों है भाई।

झिंगालाला हो झिंगालाला.. अब ठीक है ब्लाईंड मैन। सन्नाटा दूर हो गया।

यह इतना अंधेरा क्यों है भाई।

अरे यह हाफिज सईद वाली टोपी ऊपर चढ़ाओ यार.. आंख पे गिराये हुए हो.. खामखाह ओवरएक्टिंग कर रहे हो।

अहमद अपने मामू के पास कबर खोदने का काम करने गया था, जरूर गब्बर ने उसकी डेडबाडी भेजी होगी.. कहां है.. कहां है मेरे बेटे की बाडी।

घंटा भेजा है.. खाली यह गधा भेजा है जिसपे अहमद रवाना हुआ था। साथ में चिट्ठी भेजी है.. वह भी तुम्हारे लौंडे की ही लिखी हुई।

क्या लिखा है बेटा बसंती.. रीड फार मी पिलीच।

लिखा है गब्बर हमको किडनैप कर लिहिस.. हमको भी कबर नहीं खोदनी, इंजीनियरिंग की कोई भैल्यू है के नहीं.. गब्बर अब रामगढ़ विधानसभा का प्रत्याशी है। मैं उसके लिये कन्ने ठस भाषण लिखूंगा.. और गब्बर ने वादा किया है कि चुनाव तक मुझे रोज एक बोटी देगा और जीत गया तो दोनों टाईम दो दो बोटी खिलायेगा।

ओह माई गाड.. चुनाव निशान क्या है गब्बर का?

दगी हुई बंदूक।

ओके.. वोट फार गब्बर। जीतेगा भई जीतेगा, हमारा गब्बर जीतेगा।

…………..

होली के दिन खिल खिल जाते हैं.. रंगों से रंग मिल जाते हैं..

आज होली महोत्सव है बसंती.. एक्सेप्ट माई कलर पिलीच।

ओके बीरू.. तुम भी क्या याद रखोगे। आज से बैगपाईपर वाले तीन यार में एक तुम एक हम और एक..

खुद बैगपाईपर.. अब वहां थ्रीसम थोड़े न खेलेंगे 

भागो.. भागो.. डाकू आ गये.. भागो..

शांत गदाधारी.. शांत.. एस्क्यूच मी। तनिक इंघे आ जाइये.. थोड़ा थोड़ा आगे बढ़ आइये.. आज हम डाका डालने नहीं आये। आपके छोले नहीं लुटेंगे।

कहना क्या चाहते हो गब्बर?

मैं खुद आया नहीं हूं.. मुझे मां गंगा ने बुलाया है।

लेकिन गंगा मौसी को मरे तो साल भर हो गया..

अबे चुप.. मित्रों.. जैसा कि आप सब जानते हैं कि डकैती के धंधे में चार्म नहीं बचा। नेतागीरी ने सारा आकर्षण चुरा लिया है तो आपके अपने भाई, आपके गब्बर ने विधायकी का चुनाव लड़ने का फैसला किया है। आपको तो पता है कि मैं बचपन से नेता बनना चाहता था और रामगढ़ से मेरा बचपन का नाता है.. यह जो टंकी देख रहे हो, बचपन में मैं इसमें मगरमच्छ पाला करता था और अगर जीत गया तो आपको भी इसमें मछलीपालन का पूरा मौका मिलेगा।

यार भिया.. क्या कहानी की वाट लगा रहे हो यार.. तुम्हें तो लूटपाट करने आना था न, ताकि थोड़ी फाईट शाईट हो सके।

हमने वह आइडिया ड्राप कर दिया है वीरू।

लेकिन गब्बर, तुम ठहरे पचास हजार के इनामी बदमाश.. तुम चुनाव कैसे लड़ सकते हो?

जय.. टीएन शेषन जब आकर चुनाव सुधार करेगा, तब तक हम चुनाव जीत कर, मंत्री बन कर, अपने ऊपर लगे सारे इल्जामों की क्लीन चिट ले चुके होंगे।

गब्बर.. हम तुम्हें जीतने नहीं देंगे।

कयसे ठाकुर.. इन गंवारों में इतनी हिम्मत कहां जो हमको वोट देने से मना कर सकें और फिर हम इनको जीतने के बाद एक एक खाकी चड्डी भी तो देंगे। तो रामगढ़ वासियों.. वोट फार?

गब्बर... गब्बर.. गब्बर

हा हा हा.. देख लो ठाकुर। और ऐ छमिया.. तू वोट देगी न हमको तो तुमको तीन तलाक से छुटकारा दिलायेगा यह गब्बर।

तीन तलाक.. यू के बसंती ने निकाह कब किया 

बस अंटी.. तुम नहीं जानती इस खोंचड़ को, ही इज आलरेडी मैरीड और हिंदू मैरिज एक्ट के हिसाब से यह तुमसे शादी नहीं कर सकता। जब खुद दिलावर खान बन कर तुम्हें आयशा खान बना के निकाह करेगा न.. तो तीन तलाक की तलवार तुमपे हमेशा लटकती रहेगी।

अयसा क्या.. मेरा वोट अब तुमको जायेगा गब्बर।

साबास छमिया.. और ई ब्लाइंड मौलवी को देख लो। इत्ती बड़ी मस्जिद बना दी रमेश सिप्पी ने, अजान होती है और यह नबीना हंगर अकेल्लय टप्पो टप्पो करता चल पड़ता है.. एक ठो दूसरा मुसलमान न दिखाये गांव में.. बताओ भला। ए के हंगर साहब.. हमको जिताओ, तुम को दो ठो नमाजी देंगे।

आई वोट फार यू गब्बर।

देखा.. देखा ठाकुर। अब भी वक्त है। तुम्हारे हाथ हमने अपने कमोड में लगवा रखे हैं जो हमको शौच देते हैं, वोट हमको दे दो तो हाथ वापस मिल जायेंगे वर्ना पूरा रामगढ़ उनसे आबदस्त लेगा।

छि 

गब्बर भाई.. हम दोनों के लिये कोई ऑफर नहीं है क्या 

भग बोड़ी के.. जब तुम लोगों का यहां वोट ही नहीं तो ऑफर काहे की बे.. चलो साथियों।

टक बट टक बक टक बक

**

बसंती को डाकू उठा ले गये..

क्या.. चल जय, बसंती को बचाना पड़ेगा।

हाँ चलो.. वहां आईटम नंबर भी तो होना है।

टक बक टक बक टक बक

आओ.. आओ.. जय वीरू..

अरे ठाकुर साहब आप.. लेकिन स्क्रिप्ट के हिसाब से तो गब्बर को उठाना था न 

गब्बर अब वो गब्बर नहीं रहा। वह स्क्रिप्ट से खेल रहा है।

तो मतलब आपय उठवा लिये उसकी जगह.. और यह आदमी।

यह अब हमारे आदमी हैं। गब्बर ने जब इनके हाथ में बंदूक थमाई थी तो वादा किया था कि मंदिर वहीं बनायेंगे.. लेकिन मुसलमानों के वोट के चक्कर में अब वह अपना वादा भूल चुका है।

अरे लेकिन यह आपकी तरफ कैसे आ गये 

लूट के छोले और भीख में मिली दाल सब्जी खा खा कर यह पागल हो चुके थे.. मैंने इन्हें मुरादाबादी बिरयानी खिलाई है।

ओह.. ठाकुर साहब। छोड़िये न हिंसा का रास्ता.. क्या रखा है इसमें?

तो क्या चाहते हो, नमक आंदोलन करूँ.. दांडी मार्च निकालूं।

अच्छा सोचिये न.. रोज खिलाना पिलाना, शौच कराना, ठकुराईन का फर्ज निभाना.. कितना मुश्किल काम है, करते करते रामलाल आधा ठाकुर बन चुका है। अगर गब्बर ने उसे भगा दिया तो आपका क्या होगा?

यह तो मैंने सोचा ही नहीं.. लेकिन मेरे हाथ अपवित्र कर चुका है वह।

अरे कुछ नहीं ठाकुर साहब, आपके हाथों को भाजपा ज्वाइन करवा देंगे.. पाप धुल कर पवित्र करने में गंगा से अच्छा रिकार्ड है भाजपा का।

पर मेरा सम्मान.. 

उसका चूरन बना के हम बेच देंगे, आप फिक्र मत करिये। आपको कनविंस करने के ऐवज में शायद हमको भी कुछ बोटी शोटी मिल जाये गब्बर से।

अच्छा तो फिर.. इस बस अंटी का क्या करना है।

आईटम तो होगा ही होगा.. हम लोग दारू और चखना साथ ले के आये हैं।

वीरू.. जय..

जस्ट शटअप बेबी.. बस शुरू हो जाओ.. ठाकुर साहब पैरों से तबला बजायेंगे और हम साथ में नोट मुंह में दबा के ठुमके लगायेंगे।

मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी वीरू 

शटअप बसंती.. अभी तुम आयशा खान थोड़े बनी हो। अरे देवरों के सामने थोड़ा एंजाय कर लोगी तो कोई शिर्क कुफ्र थोड़े न हो जायेगा अभी.. चलो शुरू हो जाओ..

जब तक है जां जाने जहां मै नाचूंगी... 

सुनो सुनो सुनो.. रामगढ़ के वासियों, आज शाम गब्बर भय्या की तरफ से आपके अपने गाँव में हेलन आंटी का शो रखवाया गया है और साथ ही एक एक गुटखे की व्यवस्था की गयी है, जिसे खा कर आपको पूरा गाँव भगवा कर देना है.. तो तैयार हो जाइये।

महबूबा महबूबा महबूबा महबूबा ऊऊऊऊ..

यार जय.. यह फटीचर के पास इतना नावां आया किधर से, जो यूँ चुनाव प्रचार पे लुटा रहा है।

इसी से पूछते हैं वीरू.. क्या गब्बर भाई, छोले लूट कर पेट भरने तक तो समझ में आता है पर यह डांस शो, यह गुटखा..

सबसे कांटेक्ट किये हैं बे चिरकुटों.. पेमेंट जीतने के बाद ही होगी।

ओह.. देख लो यार गब्बर भाई, कुछ हमारी भी सेटिंग कर लो, वोट भले नहीं है पर आदमी काम के हैं।

ठीक है.. लेकिन पगार जीतने के बाद ही मिलेगी, वह भी बस दुई सौ। ऊपरी कमाई कर पाओ तो कर लो।

ठीक है गब्बर भाई.. डन।

धांय.. धांय.. धूम.. धड़ाम..

भागो भागो.. डाकू आ गये।

अबे हम तो यही हैं तो यह कौन से डाकू आ गये.. अबे यह लूला ठाकुर डाकू के रूप में.. वह भी इतने गुस्से में 

गब्बर.. मैं तेरा खून पी जाऊंगा 

ठीक है मच्छर.. सीरिंज ले के आ, कितने बोटल पियेगा ठाकुर।

मैं बहुत गुस्से में हूँ 

हाँ हाँ दिख रहा है, तभी कुर्ता उल्टा पहन के किरांति करने चल पड़े.. घोड़े पे कुर्सी चढ़ा के बैठता है कोई भला।

बिना हाथों के ऐसे ही बैठा जा सकता है।

लेकिन इतने गुस्से में क्यों हो ठाकुर, कि मेरे बिकाऊ आदमियों को साथ ले कर अपने ही गांव में डाका डालने आ गये।

तुमने रामलाल को बहकाया गब्बर.. वह मेरी बहू को ले कर भाग गया है।

क्या बात कर रहे ठाकुर साहब.. सेटिंग तो मुझसे चल रही थी और भाग उस आधे ठाकुर के साथ गयी 

तुम्हारे बस का कुछ नहीं था जय.. बहू के भागने का मुझे कोई गम नहीं, लेकिन रामलाल का नुकसान मैं नहीं उठा सकता। तुम सोच भी नहीं सकते कि जब धुलाने वाला कोई न हो तो घास में रगड़ कर पोंछना कितना तकलीफ देता है।

ओह.. तो ई बात है। यह दोनों मुस्टंडे जो जेल से लाये थे, किस दिन काम आयेंगे..

नहीं ऽऽऽ.. हमने चूड़ियां तोड़ ली ठाकुर साहब। अब हम गब्बर के एंपलाई हैं।

खबरदार जो कोई अपनी जगह से हिला तो भून कर रख दिया जायेगा।

अरे बसंती.. फूलन देवी के गेटअप में।

यही हमारा असली रूप है काम्रेड वीरू.. लाल सलाम।

ओ तेरी.. यह तो किरांतिकारी निकली.. लोल सलाम भाभी।

यूके लाल को लोल किया न तो तुम्हारे सब आइटम गोल कर देंगे। हाँ नई तो.. गब्बर, राजनीति में पर्सनल दुश्मनी भुलानी पड़ती है। तुम्हें ठाकुर के साथ गोल मेज सम्मेलन करना होगा।

अब गोल मेज इते कहां रखी.. कालिया तू लेट जा, तेरे बम से ज्यादा गोल चीज और क्या होगी। आओ ठाकुर.. वार्ता करते हैं।

मेरा सुहाग उजड़ गया.. मेरा रामलाल 

रो मत पगले.. यह ले अपने हाथ, आज सोच के ही आया था कि तेरे हाथों की घरवापसी करा दूंगा। देख ले.. एक भी चूड़ी मरी नहीं है।

छी.. जिन हाथों ने तुम्हारे कोलतार के कद्दू जैसे बम को धोया हो वह.. आकथू।

मजाक था बे.. अभी वह जमाना आने में टाईम है जब कमोड में हाथ फिट हो सकें। थोड़ा काम तो लिये हैं तुम्हारे हाथ से पर बतायेंगे नहीं।

लेकिन तुमने मेरे परिवार की सभी आईडी डिएक्टिवेट कराई.. उनका हिसाब कौन देगा।

भक बोड़ी के.. मैंने किसी को नहीं मारा, वह साले सब खुद ही आ के बोले थे कि डिरेक्टर ने कहा है कि मरना है तो हम मार दिये.. पूछ लो काम्रेड बसंती से।

यूके यह ठीक कह रहा है काम्रेड.. लाल सलाम।

ओह गब्बर.. तुम कितने मोदी हो, मेरे भाई.. आई लब यू। पर एक बात बताओ.. जो हम वो कील वाली जूतियां बनवा के रखे हैं कि एंड में तुम पे चलायेंगे, उनका क्या करना है।

रामलाल ने पता नहीं कितनी गंदगी लगा छोड़ी होगी तुम्हारे बदन में ठाकुर.. उन जूतियों से घस घस के साफ करना और हमको माफ करना.. जय राम जी की।

जय राम जी की। 

और इस तरह रामगढ़ की हैप्पी एंडिंग हो गयी.. गब्बर चुनाव जीत कर पहले विधायक बना, फिर सीएम पीएम सब बन गया।

7
रचनाएँ
छोले
0.0
किसी फिल्म की कहानी को आगे हास्य के रूप में परोसा जाये तो वों भी कम मनोरंजक नहीं होगी.. प्रस्तुत किताब एक ऐसी ही कल्पना है, जिसमे अलग-अलग कई हास्य-व्यंग्य लिए गये हैं...
1

छोले

10 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>आइये आइये ठाकुर साहब.. कहिये क्या सेवा कर सकता हूँ?</p> <p>दो लफंगे हैं आपकी जेल में, जय और वीरू.

2

सियासी मुशायरा

28 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>(एक बार की बात है— संसद चल नहीं पा रही थी, गतिरोध अपने चरम पर था और ऐसे में कोई और रास्ता न निकलत

3

हकले आज़म

28 नवम्बर 2021
0
0
0

<p><br> हे डूड.. कैसन पधारे?</p> <p>जी ख्वाजा साहब.. आपको तो पता है कि बुढ़ापा कुंडी खटखटा रहा है और

4

हलकट सवाल

28 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>पुत्र अर्जुन। <br> जी गुरू द्रोण... <br> कलियुग से तुम्हारे लिये एक मेल आई है, हमारे अकाउंट में।

5

चांद के टुकड़े

28 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>अरे बुर्राग... सुनो-सुनो <br> अरे जिबरील मामू आप भोराहरे भोराहरे... खैरियत तो है। <br> खैरियत ही

6

अजब रपट

28 नवम्बर 2021
0
0
0

<p>मोहे पिज्जाहट में चमनलाल छेड़ गयो रे.. मोहे पिज्जाहट में। <br> बेटा यह पुलिस स्टेशन है, तुम यहां क

7

पादड़ी बीड़ी

28 नवम्बर 2021
1
0
0

<p>अरे भाई साहब.. अंदर आ जायें का। <br> अंदर तो आ गये हो गंवार और कितना अंदर आओगे.. दिल में बसा के र

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए