shabd-logo

चांद और श्राप

21 फरवरी 2022

11 बार देखा गया 11
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
100
रचनाएँ
मन के जज़्बात ( मेरी कविताओं का संग्रह)
5.0
मन के जज़्बात मेरी कविताओं का एक संग्रह है जिसमें मैंने अपनी कविताओं के माध्यम से जीवन के विभिन्न रंगों को दर्शाने की कोशिश की है।
1

जीवन के मोड़

26 नवम्बर 2021
9
4
2

<div align="left"><p dir="ltr"><b>जीवन</b><b> के</b><b> मोड़</b></p> <p dir="ltr"><b><i>जिंदगी</i></

2

शिकवा

28 नवम्बर 2021
4
3
2

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>मेरे</i></b><b><i> संतप्त</i></b><b><i> हृदय</i></b><b><i> को स

3

बावरा मन

29 नवम्बर 2021
3
1
1

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>कान्हा</b></i><b><i> मुरली</i></b><b><i> को</i></b><b><i> बजा र

4

एकांत मन

30 नवम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>मन</b></i><i><b> के एकांत</b></i><i><b> कोने</b></i><i><b> में<

5

प्रश्न और एकांत

1 दिसम्बर 2021
1
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>एक</i></b><b><i> स्त्री</i></b><b><i> जब</i></b><b><i> एकांत</i

6

मैं स्त्री हूं

2 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>मैं</b></i><i><b> स्त्री</b></i><i><b> हूं</b></i> , <br> <i><b

7

उर्मिला लक्ष्मण संवाद

3 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><b>उर्मिला</b><b> लक्ष्मण</b><b> संवाद</b> (यह मेरी पुरानी रचना है इस

8

अश्रु

4 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><b>अश्रु</b></p> <p dir="ltr"><b><i>मन</i></b><b><i> में</i></b><b><i

9

प्यार

5 दिसम्बर 2021
3
3
0

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>प्यार</b></i><i><b> के</b></i><i><b> जज़्बातों</b></i><i><b> को

10

ऊंचाई और मैं

6 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>जब</b></i><i><b> मन</b></i><i><b> के</b></i><i><b> भावों</b></i

11

एकांत क्यों चाहिए

29 दिसम्बर 2021
1
1
0

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>एकांत</i></b><b><i> में</i></b><b><i> जब</i></b><b><i> होते</i>

12

मन के जज़्बात (मेरी कविताओं का संग्रह)

13 जनवरी 2022
0
0
0

(मन से गहरा समंदर)समंदर से गहरा मन है हमारा मन जैसा गहरा समंदर कहां है? समंदर के मन में जब होता है मंथन, उठती है ज्वाला समंदर के तल में, उफनता है सागर बताता है हमको, समंदर के मन में पीड़ा है कितनी, फि

13

शांति कैसे मिलेगी

13 जनवरी 2022
0
0
0

शांति कहां है कैसे मिलेगी ? यह प्रश्न हमें विचलित करता, उत्तर इसका पाने के लिए, हम प्रश्न स्वयं से करते हैं, कहां मिलेगी शांति हमें ? उसको अपने घर लेकर आएं, धन दौलत गाड़ी बंगला, क्या शांति हमें दे सकत

14

सुकून

16 फरवरी 2022
0
0
0

दिल में सुकून नहीं, लब मुस्कुराए कैसे? लोग कहते हैं, पद की गरिमा, खुशी देती है, क्या यह सच है? हमें तो पता नहीं, क्या तुम्हें मिली है? मन के सुकुन को, ढूंढने निकलीं हूं, क्या वह मिलेगा, या जो पास है,

15

युद्ध क्यों?

17 फरवरी 2022
0
0
0

युद्ध के बाद पताका लिए , एक सैनिक ने देखा जब युद्धे जमीं, खूं की नदियां दिखाई दीं चारों तरफ, शव इतने वहां जिसकी गिनती नहीं, ऐसा मंज़र दिखा विजय मिलने के बाद, देख लाशों का अंबार मन विचलित हुआ, सैनिक ख

16

प्रेम का संदेश

18 फरवरी 2022
0
0
0

कान्हा का प्रेम संदेशा , जब उद्धव लेकर आए, देख प्रेम की पाती, गोपियां हुई थी बावरी, कान्हा को ख़ोज रही थी, प्रेम की उस स्याही में, उद्धव ने जब यह देखा, तब व्यंग बाण चलाया, कान्हा अब नहीं मिलेंगे, यह ब

17

प्रेम क्या है?

19 फरवरी 2022
0
0
0

प्रेम है ऐसी औषधि , जो मन के संताप दूर कर देती, इक प्रेम दूत ईश्वर का संदेशा लेकर आया, संदेश दिया है ईश्वर ने, यह औषधि सबको दे दो, प्रेम की औषधि पाकर, मन की हर व्याधि मिटेगी, काम क्रोध का दानव, फिर दि

18

कहां से कहां आ गए

20 फरवरी 2022
0
0
0

न जाने जहां को क्या हो गया ? कहां था यह पहले कहां आ गया, न पहले सा मंजर, ना वह गुलिस्तां है, बहारें न जाने कहां खो गई हैं, न बुलबुल का गाना, न कोयल कूं कूं, न पेड़ों पर झूले, न सखियों का जमघट, न अपनो

19

चांद और श्राप

21 फरवरी 2022
0
0
0

हे चाॅंद तेरा सौंदर्य अद्वितीय, दिल के तारों को झंकृत कर, मन को सम्मोहित करता है, तेरी उपमा सौंदर्य का प्रतिमान बनी, सम्मोहन शक्ति तेरी इतनी, सब तुमसे आकर्षित होते हैं, महादेव ने शीर्ष पर धारण कर, तुम

20

मां का आंचल

22 फरवरी 2022
1
1
0

हे मां जब-तक तू थी मेरे पास, हर पल खुशियां थी मेरे साथ, तेरी ममता का आंचल, मेरे सिर पर लहराता था, कोई दुःख दर्द मेरे पास न आता था, जीवन के झंझावातों को हंसकर मैंने झेला, क्योंकि तेरे आशीर्वाद की छतरी

21

मां

23 फरवरी 2022
0
0
0

मां सिर्फ़ नाम नहीं पूरी दुनिया है, इसके इर्द-गिर्द ही जीवन की सभी खुशियां हैं, मां का आंचल वह साया है, जिसे कोई देख नहीं पाया है, जब दुःखो की बरसात होती है, तब यह साया दिखाई देता है, मां का आंचल फैलत

22

आईना कैसा है??

24 फरवरी 2022
1
0
0

दर्दे दिल की चुभन जब बढ़ने लगी, चेहरे की रंगत बदने लगी, तभी दरवाजे पर एक दस्तक सुनी, कौन आया है मिलने सोचने मैं लगी, तभी आईने पे नज़र मेरी पड़ी, मैंने देखा था चेहरा दर्द में डूबा हुआ, लम्बी सांस लेकर

23

मोहब्बत का पैगाम

25 फरवरी 2022
0
0
0

मुहब्बत करने वाले जब पैगाम लिखते हैं, अपने दिल पर प्रियतम का नाम लिखते हैं, जज्बातों को बयां करने का अजब है तरीका, होंठों से नहीं नज़रों से इज़हार करते हैं, दिल में क्या छुपा रखा है, यह समझना है मुश्क

24

पिया रंगरसिया

26 फरवरी 2022
0
0
0

मन में उठी पी मिलन की लगन, हिय में उठी एक प्यारी चुभन, होगें कैसे पिया कैसे जानूंगी मैं, राम जैसी छवि है या कृष्णा हैं वो, हे सखी तू बता दे पिया की छवि, जान जाऊंगी जब मैं पी के मन मूरत, खुद को भी कर ल

25

रक्त आकाश

27 फरवरी 2022
1
0
0

आकाश की रक्तिम लाली ने, संदेश दिया है मानव को, लाली के प्रकार अनेकों, हर लाली का है रूप अलग, सौंदर्य के चेहरे पर जब रक्तिम लाली छा जाए, तब प्रेम की वर्षा चहुं दिस होती, कायनात रक्तिम होकर , तब प्रेम स

26

बचपन की यादें

28 फरवरी 2022
0
0
0

मुझे याद आई आज बचपन की रातें, दादी की लोरी नानी के किस्से, रातों में सुनते थे गोदी में छुप के, नानी सुनाती थी जब भी कहानी, कहानी में होती थी परियों की रानी, जादू के घोड़े पर एक आता था राजा, परियों की

27

ज़ख़्म

1 मार्च 2022
0
0
0

मोहब्बत करने वाले ज़ख्मों को दवा कहते हैं, ज़ख्म का मिलना लाज़मी है, मोहब्बत आसां कहां होती है ? ज़ख्म की गहराई रूह़ को सुकूं देती है दर्दे ज़ख़्म यह बताते हैं, मोहब्बत कितने गहरे रूह़ में समाई है, मो

28

दूरियां

2 मार्च 2022
0
0
0

दूरियों का भी अपना फ़लसफ़ा है? दूर रहकर भी कोई इतने करीब है, कि दिल में समाया है, कोई पास होकर, भी बहुत दूर-दूर है, जो दिल को छूए, वह नज़दीकियां , जो दिल को ज़ख्म दे वह दूरियां , डॉ कंचन शुक्ला स्वरचि

29

बंद खिड़कियां

3 मार्च 2022
1
0
2

दिल की बंद खिड़की पर दस्तक न दो, बंद राज बाहर आने को मचल जाएंगे, फिर भूले अफ़साने फिज़ा में फ़ैल जाएंगे, राजे मोहब्बत वर्षों से छुपा रखा है, दिल की खिड़कियों के खुलते ही, शहर की गलियों में सरेआम हो जा

30

ख़त

4 मार्च 2022
0
0
0

ख़त तेरे रूप अनेकों हैं, क्या नाम उन्हें मैं दे दूं, मां का ख़त बंदन होता , दोस्तों के ख़तों में, अपना ही प्रतिबिंब मिलता, बहना के लिखें ख़त में, स्नेह का अंबार होता, प्रियसी का ख़त, मन के जज़्बात होत

31

इतनी सी रोशनी

7 मार्च 2022
3
3
3

जिनका मन रोशनी से भरा होता है, उनका घर रोशनी का शहर होता है, ऐसे लोग फ़रिश्ते हुआ करते हैं, अपनी रोशनी दूसरों को दिया करते हैं, आज इस जहां में अमावस्य की रात है, हे भगवान ऐसे फरिश्तों को , अमावस्य को

32

मन का रहस्यमई जंगल

8 मार्च 2022
0
0
0

मन की हर इक बातों का, इज़हार कहां हो पाता है, मन का सागर गहरा जितना, राज़ भी उतरने गहरे हैं, रहस्यमई मन के अंतर, यादों का मंथन होता है, उस मंथन से राज़ जो निकले, बयां कहां हम करते हैं? सच को मन के अंद

33

सूरजमुखी का प्रेम

9 मार्च 2022
0
0
0

देखती हूं मैं तुम्हें प्रेम वा अनुराग से, बिन तुम्हें देखे मुझे चैन आता है नहीं, प्रेम करतीं हूं तुम्हें मैं, तुम मेरे आराध्य हो, प्रेम कर विश्वास करना, प्रेम का आधार है, प्रेम में विश्वास की जब होती

34

संगीत और मन

10 मार्च 2022
1
0
0

मन के उठते जज्बातों में, संगीत सुनाई देता है, जब मन प्रियतम को याद करे, झंकार उठे मन के अंदर, प्रियतम का प्रणय निवेदन जब, यादों के झोकों संग आए, संगीत मधुर बजने लगता, जीवन के हर स्वर्णिम पल में, संगीत

35

अंतरिक्ष और मन

11 मार्च 2022
1
1
2

चांद की रोशनी तारों की जगमगाहट, एकांत में बैठकर देखती हूं जब, अंतरिक्ष का अद्भुत सौंदर्य, दिल को सम्मोहित कर जाता है तब, मन झंकृत होता है इस सोच से, हम अंतरिक्ष में क्यों जाना चाहते ? हमारे मन का अंतर

36

बावरे मन की पुकार

12 मार्च 2022
2
1
2

पंथ निहारत थक गई अंखियां, आए न सांवरिया, रस्ता देखत बरस बीत गए, न थकीं मोरी अंखियां, सखियां मोहे कहें बावरी, सुन उनकी बतियां मैं मुसकाऊं, मन में आस लिए बैठी हूं, इक दिन आएंगे मेरे सांवरिया, ग्रीष्म ऋत

37

नदियां पार गए साजन

13 मार्च 2022
1
1
0

मुझको नदियां पार करा दे नाविक, उस पार गए मोरे साजन, मैं मोह जाल में ऐसी उलझी, छूटा सजन का हाथ, मैंने अब यह जान लिया है, जीवन चक्र है कैसा, मेरे सजन ने बता दिया था, मन को निर्मल रखना, तभी रहेगा साथ हमा

38

अकेलेपन का सच

14 मार्च 2022
1
1
0

दर्पण के सम्मुख मैं बैठी, प्रतिबिंब निहार रही अपना, बालों की लट को जब देखा मैंने, उसमें चांदी के तार दिखे, आंखों की सुर्खी को देखा, पहले सी उसमें धार नहीं, चेहरे पर उम्र के जाल बिछे, होंठों की लाली फी

39

तूफ़ान मन के समंदर का

15 मार्च 2022
1
1
2

मन की गहराइयों में, जो तूफ़ान उठता है, उसे कहां कोई देख पाता है, दर्दे तूफ़ान की पीड़ा को, दिल ही सहा करता है, दिल का तूफ़ान, दर्दे दिल को नासूर बना देता है, मन के ज़ख्म हर थपेड़े से हरे होते हैं, उस

40

इश्क़

16 मार्च 2022
1
1
0

इश्क़ जब से हुआ, दिल धड़कने लगा, चेहरे की रंगत गुलाबी हुई, हया आंखों में दस्तक थी देने लगी, तारे गिनते हुए रात कटने लगी, बिन पीए ही क़दम लड़खड़ाने लगे, अंधेरे हमें रास आने लगे, अकेले ही हम मुस्कुराने

41

प्रकृति का दोहन

17 मार्च 2022
0
0
0

धरती से अम्बर तक जाकर, मानव ने अपनी जीत का परचम लहराया, खुद को ईश्वर मान लिया, प्रकृति का दोहन शुरू किया, नदियां बांधी पर्वत तोड़े, जंगल को भी नष्ट किया, धरती ,अम्बर, पाताल में जाकर, अपनी शक्ति दिखलाई

42

दिल में

18 मार्च 2022
0
0
0

कैसे कहूं, यहां कोई नहीं रहता, दिल के, मकां में तुम्हारी ज़फा के घाव हैं, जो नासूर बन, आज भी रिसते हैं ।। डॉ कंचन शुक्ला स्वरचित मौलिक 6/6/2021

43

रूहानी मुहब्बत

19 मार्च 2022
1
1
0

मेरी रूह़ की गहराइयों में, धीरे से उतरकर, जब तुमने हल्की सी, दस्तक दी थी, तेरे क़दमों की आहट को, मेरी रूह़ ने पहचाना था, तेरे जाने के बाद भी, तेरा अहसास , मेरे रूह़ में समाया है, तेरे जज़्बात, अब भी म

44

वो बदनसीब औरत

20 मार्च 2022
0
0
0

वो बदनसीब औरत, भटकती आत्मा की तरह भटक रही थी, उसके मन की व्यथा, उसके चेहरे पर दिखाई दे रही थी, उसके चेहरे को देखकर, ऐसा लगता था कि, उसके मन में तूफ़ान उठा है, उसकी स्थिति ऐसी थी, न उस तूफ़ान को दबा सक

45

औरत का वज़ूद

21 मार्च 2022
2
0
0

औरत सहनशीलता की प्रतिमूर्ति है, करूणा, त्याग, बलिदान का प्रतिबिंब है, सिर्फ देना और देना जानती है, यही त्याग, उसकी कमजोरी बन जाती है, फिर उसको मसला और कुचला जाता है, लेकिन जब औरत का आत्मसम्मान, जाग्रत

46

दिल में पापा

22 मार्च 2022
0
0
0

"दिल में पापा" जब से हमने होश संभाला, आपका वरदहस्त रहा सर पर, आप सा प्यार कोई नहीं, तुम मेरे चांद सितारे थे, मेरे मन की हर बात तुम्हें, मेरे कहने से पहले ही, तुम्हें पता चल जाती थी, मेरे जीवन की आधारश

47

मन का ताबूत

23 मार्च 2022
0
0
0

ताबूत निर्जीव शरीर को जैसे, अपने अंदर बंद कर लेता है, मन के ताबूत में, हमारी ख्वाहिशें, दफ़न होती हैं, कभी मुस्कुराहट दफ़न होती है, दर्द को कभी ताबूत में सुलाते हैं, प्रेम,त्याग, करूणा, ताबूत में सोए

48

जब हम तुम मिले

24 मार्च 2022
0
0
0

मुझे याद है आज भी वह जमाना, सावन की रिमझिम, वह मौसम सुहाना, देखा था तुमको, जब घर तुम थे आए, हमारे बड़ों ने था तुमसे मिलाया, इक दूजे को देखा था मैंने और तुमने, रिश्तों में बंधकर यह वादा किया था, रहेंगे

49

तेरा इंतज़ार सदियों से

25 मार्च 2022
1
0
0

तेरा इंतज़ार सदियों से बनी शिला प्रतीक्षारत हूं, कब आएंगे रघुनंदन, गलती मेरी क्या थी राघव?? कोई मुझे बता दे, जिसने छल से मुझे क्या कलंकित, वह स्वर्ग में बैठा भोग करे, उसको दंड नहीं मिला क्यों?? यह कैस

50

गुरूर

26 मार्च 2022
0
0
0

गुरूर सदियां बीती, इंतज़ार करती रही, तुम जब भी, आओगे, मेरे लिए आओगे, तुम फिर आए, मैं गर्व से, मुस्कुराई, बांहे फैलाए, स्वागत के लिए, आगे आई, तुमने मुझे, अनदेखा कर दिया, किसी और, के दिल में, बसेरा कर ल

51

रिमझिम बरसात में (लोकगीत)

27 मार्च 2022
1
1
1

रिमझिम बरसात का ( लोक गीत) नदियां किनारे कदम एक बिरवा, जेह पे श्री कृष्ण जी डाले हैं हिंडोलवा, रिमझिम बरस रही सावन की बदली, झूलवा पे झूलत हैं, रानी रूक्मिणी जी, झूलत झूलत रानी, बरखा में भीग रहीं, होंठ

52

डूब गए

29 मार्च 2022
1
1
2

तेरे दिल की, गहराइयों में जब डूबने लगे, सोचा जज्बातों, की महक, यादों के मोती, लेकर तैरकर, बाहर आ जाएगे, हमें अहसास ही न था, दिल का दरिया, बहुत गहरा होता है, प्रेम की लहरें, जब जज़्बातों, का तूफ़ान बन,

53

दिल में छुपी रोशनी

1 अप्रैल 2022
0
0
0

दिल के छुपे, कोने में, जब डरते डरते, झांका, वहां अमावस्य, का अंधेरा था, मैंने घबराकर, नज़रें हटा ली, तभी हौले से, कानों में, एक आवाज गुंजी, तुम अंधेरे से, क्यों घबरा गई ?? मैं रोशनी बनकर, तुम्हारे दिल

54

साथ तेरा

1 अप्रैल 2022
0
0
0

साथ तेरा, जब मिला मुझे, झंकृत मन के, तार हुए, मन में जज़्बात, उठे मधुरिम , नयनों में, स्वप्न सलोने थे, होंठों पे, शर्म की लाली थी, चेहरे की आभा, स्वर्णिम थी, मन में विश्वास, की बही धारा, साथ तेरा, हर

55

मां गंगे (भीष्म की पुकार)

2 अप्रैल 2022
0
0
0

हे मां गंगे, आ जाओ सम्मुख, हाथ जोड़कर, नतमस्तक हूं, विनती करता हूं तुम से, तुमने मुझको जन्म दिया, एक नाम दिया था, देवव्रत, पितु की इच्छा, की पूर्ति हेतु, भीष्म प्रतिज्ञा, कर डाली, तब पितु ने, मुझे भीष

56

बेटियां

2 अप्रैल 2022
1
1
0

बेटियां अनचाही नहीं, बेटियां गुरूर हैं, जीवन की बगिया का, खुबसूरत फूल हैं, मां के नयनों का स्वप्न हैं, दिल में छुपी आस हैं, सावन की फुहार हैं, राग मल्हार हैं, कान्हा की बंसी की तान हैं, गीता का ज्ञान

57

समय का प्रवाह

3 अप्रैल 2022
0
0
0

समय का प्रवाह कभी रूकता नहीं, जो चलते हैं इसके सहचर बने, पाते मंजिल वही मनचाही हुई, समय बलवान है निर्बल भी है, समय रूकता नहीं, एक क्षण के लिए, अपनी धुरी पर, जब चलता समय, सब कहते समय बहुत बलवान है, धुर

58

ओ अजनबी

3 अप्रैल 2022
0
0
0

समय का प्रवाह कभी रूकता नहीं, जो चलते हैं इसके सहचर बने, पाते मंजिल वही मनचाही हुई, समय बलवान है निर्बल भी है, समय रूकता नहीं, एक क्षण के लिए, अपनी धुरी पर, जब चलता समय, सब कहते समय बहुत बलवान है, धुर

59

दूर कहीं दुनिया में

4 अप्रैल 2022
0
0
0

ऐसी कोई जगह, इस दुनिया में कहां मिलेगी ? जहां जज़्बातों की पहचान हो ? मन की स्वतन्त्र उड़ान हो ? रिश्तों में गहराई हो ? खुशियों की बरसात हो, दोस्ती की मिसाल हो, जुनून हो भगतसिंह जैसा, संकल्प हो आजाद ज

60

मन का डर

4 अप्रैल 2022
0
0
0

मन का डर मैं पहले डरती थी, लोग क्या कहेंगे ? इसलिए चुप रहकर, मन ही मन घुटती थी, मन की घुटन मन में, छुपाकर मुस्कुराती थी, लोगों को खुश, करने की जद्दोजहद में, अपनी ख्वाहिशों को, तिलांजलि देती थी, डर था

61

क्या हो रहा है?

5 अप्रैल 2022
1
0
0

क्या हो रहा है ? क्या हो गया हैअब इस जहां को, इंसानियत क्यों यहां मरती जा रही है ? करूणा, प्रेम, त्याग,कम हो रहा है, लालच का दानव खड़ा हंस रहा है, सहनशीलता की शक्ति किसी में नहीं है, क्रोधाग्नि

62

नृत्यांगना

5 अप्रैल 2022
1
1
0

नृत्यांगना हर नारी के मन के अंदर, इक नृत्यांगना रहती है, नृत्य एक साधना है, हर भाव-भंगिमा सधी हुई, नृत्यांगना जब नर्तन करती है, हर अंग पर अंकुश होता है, मन साधक सा एकाग्रीत होकर, नृत्य साधना करता है,

63

उड़ जाते पंक्षी

6 अप्रैल 2022
0
0
0

"उड़ जाते पंछी" तिनका-तिनका जोड़कर, नीड़ बनाते हम, अपने ख्वाबों की जन्नत को, खूब सजाते हम, यही बसेरा मेरा है, सोच-सोच इतराते , मेरे सपने मेरे अपने, हर पल संग रहेंगे मेरे, बच्चों की खुशियों की खातिर, ब

64

अपना घर

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अपना घर अपने सुन्दर घर का सपना, हर आंखों में पलता है, बेटा अपने घर में रहता, बेटी का कोई घर क्यों नहीं होता है ? मायके के घर में मेहमान रहे वह, ससुराल के घर पर भी अधिकार नहीं, मां बोले तू यहां

65

सब हैं अनजाने

7 अप्रैल 2022
1
1
0

सब हैं अनजाने हम रिश्तों की डोर में, बंधकर भी अनजाने हैं, जिन्हें हम अपना कहते हैं, वह भी तो बेगाने हैं, अगर ऐसा न होता, तो बूढ़ी आंखें अपने ही अंश का, वर्षों तक इंतज़ार न करतीं, एक भाई दूसरे भाई, के

66

प्रेम कहानी

7 अप्रैल 2022
1
1
0

दिल की धड़कन, दिल ने सुनी, जज़्बात मचले, फिर सिमट गए, आंखों में ख़्वाब, तैरने लगे, लब मुस्कुराए, हल्की सी, सरगोशी सुनाई दी, कोई हौले से, ख्वाबों में आया, दिल में समाया, प्रेम की आहट, होने लगी, अचानक क

67

कहानी प्रेम की

8 अप्रैल 2022
0
0
0

प्रेम क्या है ? इक अहसास है, जज्बातों का सैलाब है, जो सुनाया नहीं जाता, जिसमें डूबकर, ख़ुद को भुलाया जाता है, प्रेम करने वाले, डूब जाते हैं, प्रेम की गहराइयों में, उस सागर से, निकलने की, ख्वाहिश होती

68

ज़िन्दगी का सफ़र

8 अप्रैल 2022
0
0
0

सोचा था, जिंदगी के, सफ़र में, ऐसा मुकाम आएगा, दिल एक, आशियाना, होगा, आंखों में, सुनहरे ख्वाब, जज्बातों, की होगी, बरसात, लब मुस्कुराएंगे, प्यार के, खुशबू की, महक होगी, ऐसी, ख्वाहिश, दिल में, आईं थी, ख्

69

कुछ छुपा है

9 अप्रैल 2022
0
0
0

हर आहट पर, चौंक जाती हूं, किस के, आने का, इंतज़ार है, जो गया, वो न आएगा, फिर भी, यह कैसा, इंतज़ार है, तू बेवफा है, जानती हूं, कुछ आस, बाकी है, छुपी है, दिल में, की तू आए, जफ़ा का, दर्द, वफ़ा बन, मुस्क

70

सपनों की दुनिया

10 अप्रैल 2022
0
0
0

सपने कोई वस्तु नहीं हैं, सपने मन की आशाएं हैं, सपनों का आकार भिन्न है, सपनों के प्रकार भिन्न हैं, सपने जीवन को गति देते हैं, जो आंखें देखें न सपना, जीवन उनका हुआ निर्थक, सपनों में शक्ति भरी हुई है, सप

71

ज़िन्दगी मुझे तेरा इंतज़ार है

10 अप्रैल 2022
0
0
0

वर्षो से एक आस है, कभी तो धुंध छंटेगी, घर आंगन में, खुशियों की बरसात होगी, हर औरत यह, ख्वाब संजोती है, दुखों की भीड़ में, खुशियों को ढूंढती, मन के अहसास, जज़्बात कब के, खो गए हैं, आस की चादर, ओढ़े खड़

72

ज़िन्दगी

11 अप्रैल 2022
0
0
0

तू लौटकर आ, तेरा इंतज़ार है, तुझसे मिलने को, दिल बेकरार है, आस का दामन, थामें खड़ी हूं, आंखों में, सपने संजोए हुई हूं, ज़िंदगी तू, इक दिन, जरूर आएगी, यह तो नियति है, ज़िंदगी जब, रूठती है, तो नया, रूप

73

नई दुनिया

11 अप्रैल 2022
1
1
2

एक दुनिया नई बनाएंगे, हर युग ने देखा यह सपना था, सतयुग में सब अच्छाई थी, पर अहंकार की खांई थी, धर्म, ज्ञान,का प्रकाश व्याप्त था, फिर भी अहम की काली छाया थी, त्रेतायुग में राम राज्य था, ऐसा हम सुनते आए

74

मासूमियत

12 अप्रैल 2022
0
0
0

तेरी मासूमियत ने, एक अजब सी, छाप छोड़ी, सब कुछ, हार कर, तेरे हो लिए, पर जब, क़रीब आए, तो जाना मैंने, मासूमियत का, दिखावा, क्या खूब किया, लोग तो, चालाकियों से, तबां होते हैं, हम तो, तेरी मासूमियत, से ब

75

भीगी सड़क भीगीं पलकें

12 अप्रैल 2022
0
0
0

वह बरसात की, इक काली थी, भीगी सड़क, सुनसान थी, दामिनी, चमक चमक कर, रास्ता दिखा रही थी, बिजली की कड़क, मन में दहशत, भर रही थी, भीगा बदन, कंपकंपा रहा था, कदम मंजिल, की ओर बढ़ रहे थे, सन्नाटे को चीरती,

76

मैं स्त्री हूं?

13 अप्रैल 2022
0
0
0

मैं कौन हूं ? कहां से आईं हूं ? मैं स्त्री हूं, शायद यह मैं भूल गईं मेरा अस्तित्व टूटकर बिखरने लगा, फिर भी मैं चुप रही, मेरी आत्मा और स्वाभिमान को कुचला गया, फिर भी मैं मौन रहीं क्योंकि मैं स्त्री हूं

77

मेरा साया

13 अप्रैल 2022
0
0
0

मेरा साया मेरे साथ , एक वहीं तो मेरे पास , सबने छोड़ा मेरा साथ, उसनेे ही पकड़े रखा हाथ, दुनिया ने किया किनारा, पर उसने दिया सहारा, वह सुख में ही नहीं, दुख में भी मेरे पास , दिल में उसके होने का अहसास

78

जीवन का सत्य

14 अप्रैल 2022
1
1
0

जीवन कुछ दिन का मेला है , यह जग एक बसेरा है, फिर हम यह क्यों कहते हैं, यह तेरा यह मेरा है, ना कुछ लेकर आए थे, ना कुछ लेकर जाना है, जैसा कर्म निभाएंगे, वैसा लेकर जाएंगे, कुछ को राहों में फूल मिलें, कुछ

79

ख़्वाब

14 अप्रैल 2022
3
2
4

टूटे ख्वाबों को देखकर डर जाती हूं, खुद अपने में ही सिमट जाती हूं, तुम फिर ख्वाबों में आओगें, यह सोचकर सो जाती हूं, एक बार फिर टूटकर बिखरने के लिए, क्योंकि मैं जानती हूं तुम आओगे, व्यंग से मुसकुर

80

आत्मा से पवित्र रिश्ता

15 अप्रैल 2022
0
0
0

तुम कौन थीं मैं तुम्हें जान ना पाईं। शायद तुम्हें पहचान ना पाईं, तुमने मेरे वजूद को बिखरने से बचाया, तुमने मुझसे ही मेरा परिचय कराया, हर सुख दुख में हंसना सिखाया, तुम मुझसे दूर कहां हर पल मेरे प

81

बरसात की मुलाकात

15 अप्रैल 2022
1
0
0

वो पहली मुलाक़ात की जब बात याद आती है। सावन की वह अंधेरी रात याद आती है बादलों का गर्ज़न बिजली की चमक-दमक बारिश की बूंदों की बौछार याद आती है ऐसे हालात की वह रात याद आती है तुम्हारा आना मेरा डर के सिम

82

बचपन की सहेली

16 अप्रैल 2022
1
0
0

जब हम मिले थे, तब कितनी ख़ुशी थी, क्या थे वो दिन, क्या थीं वो रातें, हर रोज मिलना, मिलकर बिछड़ना, न लोगों की परवाह, न ज़माने का डर था, बागों में जाना वह ऊधम मचाना, झूलों पर चढ़ना और चढ़कर उतरना, हुईं

83

दरिया

16 अप्रैल 2022
0
0
0

थी ऊंची पहाड़ी वह झरनें का गिरना दरिया की कल-कल फ़िज़ाओं में हर पल जहां था बसेरा सितारों का हरदम वहां मेरा आना जहां तुम खड़े थे वह नज़रों का मिलना फिर पलकों का झुकना वो दिल का धड़कना वहीं हम थें मिलते

84

यशोधरा का प्रश्न महात्मा बुद्ध से

17 अप्रैल 2022
1
0
0

हे आर्य पुत्र,? हे ज्ञान पुंज,? यह प्रश्न हमारा है तुम से,? जब ज्ञानी बन कर ज्ञान बांटना, लक्ष्य यहीं है मालूम था? तब गठं बन्धन का बंधन क्यों, लेना तुमने स्वीकार किया?? जब बंध ही गए थे बन्धन में तब बं

85

मौन प्रार्थनाएं

17 अप्रैल 2022
0
0
0

हे आदि शक्ति, हे दिव्य पुंज, मैं मौन प्रार्थना करती हूं, मानव,मानव से प्रेम करे, मन की बर्बरता का दमन करो, हृदय प्रेम का मंदिर हो, मन की ईर्ष्या का नाश करो, सबके हृदय में त्याग भरो, सबका मन तुम निर्मल

86

पतझड़ और बहार

18 अप्रैल 2022
0
0
0

पतझड़ के बाद बहार आई, मन में उमंग की फुहार लाई, चलीं फिर यादों की पुरवाई, बीतीं बतियां मोहे याद आईं, जब पनघट पर तुम आए थे, मुझे देखकर मुस्कुराए थे, मैंने शरमा कर अंखियां झुकाई थी, तुमने प्रेम का गीत ग

87

बादलों के पार

18 अप्रैल 2022
0
0
0

बादलों के उस पार ख्वाबों की दुनिया होती है, जहां सपनों का महल परियों का डेरा होता है, मन उड़न खटोला बन उस नगरी चला जाता है, जहां इक राजकुमार उसका इंतज़ार करता है, जिससे मिलकर हृदय में प्रेम कमल खिल जा

88

बचपन का दर्पण

19 अप्रैल 2022
0
0
0

दर्पण मुझे मेरा बचपन दिखा दो, बहुत याद आती हैं बचपन की बातें, वह गांवों की गलियां वह पीपल की छंइयां, वह चौरे का मेला वह तीतर का खेला, बरसा के पानी में कागज की नैया, बागों में जाना सखियों से मिलना, सभी

89

दुःख

19 अप्रैल 2022
1
0
2

दुख की क्या परिभाषा है? कोई जान नहीं पाया, मन को दुख कब होता है, कोई पहचान नहीं पाया, हर मानव के मन की पीड़ा, भिन्न, भिन्न हो जाती है, मानव मन के सागर में, कितने दुख के मोती हैं, मानव खुद ना जान सका,

90

मृत्यु क्या है?

20 अप्रैल 2022
0
0
0

मृत्यु क्या है? एक सत्य है, जो बिन मांगे, हर किसी को मिलती है, कोई हंसकर लेता है, कोई रो के लेता है, कोई पास बुलाता है, कोई दूर भगाता है, हे मृत्यु जब तू आती है, जीवन के सत्य का मंज़र दिखाती है, तब कि

91

मन की उड़ान

20 अप्रैल 2022
0
0
0

मन उड़ने की तमन्ना में मुस्कुराने लगा, मैंने जब उसे रोका तो अकुलाने लगा, बोला बांधो न मन को आज़ादी दो, मुझे उन्मुक्त हो उड़ना है परिंदा बन, तुमने वर्षों मुझे क़ैद कर रूलाया है, अब उड़ने क

92

बारिश का ख़त

21 अप्रैल 2022
0
0
0

सावन की बूंदें लगीं जब बरसने, बारिश का मंज़र फिर याद आया, तेरा वो बारिश में ख़त मुझको देना, तेरा ख़त ले मेरा नज़र झुकाना, तेरा मुस्कुराना वहां से चले जाना, बारिश की रिमझिम मेरा ख़त को पढ़ना, सावन की

93

उम्मीद की लौ जलाए रखो

21 अप्रैल 2022
0
0
0

सावन की बूंदें लगीं जब बरसने, बारिश का मंज़र फिर याद आया, तेरा वो बारिश में ख़त मुझको देना, तेरा ख़त ले मेरा नज़र झुकाना, तेरा मुस्कुराना वहां से चले जाना, बारिश की रिमझिम मेरा ख़त को पढ़ना, सावन की

94

उर्मिला लक्ष्मण संवाद

22 अप्रैल 2022
0
0
0

हे शक्ति पुंज? दशरथनन्दन, उर्मि का बंदन स्वीकार करो, तुम रघुकुल की कीर्ति पताका हो, भ्रात प्रेम की परिभाषा, मां के नयनों की ज्योति हो, मेरे मन की अभिलाषा, मैं प्रश्न पूछती हूं तुम से, उसका उत्तर दे दो

95

दिल के अहसास

23 अप्रैल 2022
0
0
0

क्या सम्बोधन दूं मैं तुमको? यह तुम्हीं मुझे बता दो? चांद लिखूं? मनमीत लिखूं? राम लिखूं? घनश्याम लिखूं? या अपने दिल का सरताज लिखूं? तुम जिस दिल में बैठे हो!!? उस दिल की धड़कन का गीत लिखूं? मेरे गीतों क

96

इंतज़ार

23 अप्रैल 2022
1
0
0

सांझ ढलते ही मै छत पर आती हूं, हे चांद तू कब आएगा? इंतज़ार करती हूं, मेरा संदेशा मेरे प्रियतम तक पहुंचा दे, मैं तुझसे हर दिन इज़हार करतीं हूं, तू क्यों मौन है? कुछ कहता नहीं? मेरे दिल की तड़प को क्यों

97

सपनें

24 अप्रैल 2022
0
0
0

हर आंखों में लाखों सपने पलते, कुछ पूरे हो जाते , कुछ सपने बन जाते, जीवन की इस रणभूमि में, सपनों का है, अंबार बिछा, जो योद्धा विश्वास लिए, इस रण में विचरण करता, उसके सपने पूरे होते, वह सपनों को जीता है

98

मृत्यु एक सत्य

24 अप्रैल 2022
0
0
0

मृत्यु शाश्वत सत्य है!! इसे हम सब जानते हैं?? यह हर पल हमारे साथ है, हम ऐसा कहां मानते हैं?? दुनिया की चकाचौंध में, यह भूल जाते हैं! की जीवन के साथ साथ! मृत्यु भी आई है! यह छुपकर बैठी है, हमारे तन में

99

जज़्बात ( नारी मन के)

24 अप्रैल 2022
0
0
0

मौत के आगोश में समा जाऊं, उससे पहले कुछ पल जी लेने दो?? मन में उठने वाले प्रश्नों को कह लेने दो? दिल में पनपते आक्रोश़ के तूफ़ान को!! शब्द बनने दो? कब तक मन में उमड़ते जज़्बात को? मैं दबा पाऊंगी? वह श

100

नारी जीवन

24 अप्रैल 2022
0
0
0

मौत के आगोश में समा जाऊं, उससे पहले कुछ पल जी लेने दो?? मन में उठने वाले प्रश्नों को कह लेने दो? दिल में पनपते आक्रोश़ के तूफ़ान को!! शब्द बनने दो? कब तक मन में उमड़ते जज़्बात को? मैं दबा पाऊंगी? वह श

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए