जनहित में जारी।
भगवान (भगवान---राम, रहीम, अल्ला, मसीहा, गुरु)
भ भूमि
ग गगन
व वायु
अ आँग
न नीर
पूर्वजो से सुना था कि सूखा में अनगिनत लोग मरे थे। तब से जल संरक्षण की शुरुवात हुई थी।
आज आँखों से देख रहे है। ऑक्सीजन की कमी से लाखों लोग मर चुके है। करोङो मरने के लिए लाईनो में लगे है। वायु संरक्षण की सुरुवात की बारी आ गई है।
अभी तो आसमान का गिरना, आँग के प्रकोप के साथ भूमि का फटना बाकी है। हे इंसान अपने अंदर एक नई इंसानियत को जन्म दो। मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारों की जगह भूमि, गगन, वायु, आँग, नीर के स्रोत बनाओ इसमें आपकी आस्था बसती है। ना कि पत्थर, और कलकारखानों में, न मर्सटीज़, जहाज, तेजस रेल में। प्रकृति की चीजों को नष्ट नही करना उनका सम्मान करो और सूखा, कोरोना, के अलावा अन्य आने वाली त्रासदी से बचो।
जाति, धर्म, संस्कृति और संस्कृत सभी इसी से है। इस वजह से प्रकृति ही सबका मालिक है। इसे छेड़कर ज्ञान और विज्ञान की उतपत्ति मत करो यह ज्ञान और विज्ञान को एक झटके में निगल लेती है। जैसा कि सुन और देख रहे है।