*मानव जीवन में जल का बहुत बड़ा महत्व है | बिना जल के जीवन की संकल्पना भी नहीं की जा सकती | जिस प्रकार जीवन में जल का महत्व है उसी प्रकार बारह महीनों में भाद्रपद मास का भी बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि जल वर्षा का मुख्य समय भाद्रपद मास ही है | वर्ष की बारह महीनों में यदि भाद्रपद मास में जल वर्षा न हो तो मनुष्य अन्न का उत्पादन नहीं कर सकता और यदि अन्न का उत्पादन नहीं होगा तो मानव जीवन संकट में आ जाएगा | अनेकों व्रत / पर्व / त्योहार स्वयं में समेटे भाद्रपद मास का आज समापन हो रहा है | आज भाद्रपद मास शुक्ल के पक्ष की पूर्णिमा है | पूर्णिमा अर्थात पूर्ण हो गया | भाद्रपद मास की पूर्णिमा का हमारे धर्म ग्रंथों में बहुत ही महत्व है | यदि मनुष्य जीवन भर कोई व्रत नहीं कर सकता तो वह भाद्रपद मास की पूर्णिमा को व्रत रह करके पुण्य अर्जित कर सकता है | संसार में मनुष्य अनेकों प्रकार से भगवान के विग्रहों का पूजन करता है भगवान के उसी विग्रह में एक है सत्यनारायण भगवान | जीवन भर यदि कुछ ना कर पाए तो भाद्रपद मास की पूर्णिमा को सत्यनारायण व्रत कथा का अनुष्ठान भक्ति श्रद्धा के साथ कर लिया जाता है तो मानो को वर्ष भर के व्रतों का फल प्राप्त हो जाता है | आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण क्योंकि आज से ही अपने पितरों के लिए श्राद्घ प्रारंभ हो जाता है , पूर्णिमा के श्राद्ध से ही पितरों का तर्पण प्रारंभ करके मनुष्य अपने पितरों के प्रति जलांजलि एवं श्रद्धांजलि अर्पित करता है | वर्ष का कोई भी दिन महत्वहीन नहीं है बस आवश्यकता है उसके विषय में जानकारी होने की | सनातन धर्म में प्रत्येक दिन के लिए कोई न कोई व्रत अनुष्ठान का विधान रचा गया है परंतु हम इन्हें जान नहीं पाते क्योंकि आज मनुष्य के पास इतना समय ही नहीं बचा है कि वह अपने धर्म कर्म के विषय में जानने का प्रयास करें | भगवान की माया में भ्रमित होकर मनुष्य रोटी कपड़ा मकान तक ही सीमित रह गया है | यही कारण है कि आज अनेकों दिव्य व्रत पर्व अपनी पहचान खोते चले जा रहे है |*
*आज भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन मनुष्य को प्रातः काल उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर के अपने घर में भगवान श्री सत्यनारायण स्वामी का पूजन करना चाहिए | क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के ही दिन प्रथम बार इस भूमंडल पर सत्यनारायण भगवान के व्रत का प्रसार हुआ था , इसलिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है | भगवान श्री सत्यनारायण स्वामी के पूजन के साथ ही उमा महेश्वर एवं मैया लक्ष्मी का पूजन भी प्रत्येक मनुष्य को आज के दिन करना चाहिए | अनेकों लोग यह भी कहते हैं कि जब आज से श्राद्ध शुरू हो गया है तो भगवान सत्यनारायण स्वामी का पूजन कैसे किया जा सकता है ?? ऐसे सभी लोगों को मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहूंगा कि हमारे पूर्वजों ने जो भी विधान रचा है वह मानव मात्र के कल्याण के लिए है , और सत्यनारायण व्रत कथा की बात यदि की जाय तो उसके माहात्म्य में स्पष्ट लिखा हुआ है कि "यस्मिन् कस्मिन दिने मर्त्यो भक्ति श्रद्धा समन्वित:" अर्थात किसी भी महीने के किसी भी दिन भगवान सत्यनारायण स्वामी का पूजन भक्ति श्रद्धा के साथ किया जा सकता है | परंतु कुछ लोग श्राद्ध पक्ष को अशुभ मानते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए | यदि धार्मिक विषयों पर कोई वार्ता करनी है तो सर्वप्रथम अपने धर्म ग्रंथों का अध्ययन करके उसके विषय में ज्ञान प्राप्त करना चाहिए क्योंकि व्यर्थ की चर्चा करने से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है | विद्वानों को ऐसा करने से बचना चाहिए | आज भाद्रपद मास की पूर्णिमा के साथ ही की भाद्रपद मास का समापन हो रहा है अर्थात मानव मात्र को जीवन प्रदान करने वाली बरसात का समापन हो रहा है | यह इस बात का द्योतक है कि यह सृष्टि सतत् गतिमान है | इस सृष्टि में कभी भी कुछ भी एक समान नहीं रहता है परिवर्तन होते रहना ही सृष्टि का नियम है | आज जिस भाद्रपद मास का समापन हो रहा है अगले वर्ष वह पुन: आ जायेगा परंतु मनुष्य का बीता हुआ समय वापस नहीं लौटता ` इसलिए जो भी करना हो आज करें कल के लिए न छोड़ा जाय |*
*भाद्रपद मास का वर्णन कर पाना सम्भव नहीं है ! जिस प्रकार जन्म देने वाले माता पिता की महिमा अवर्णनीय है उसी प्रकार जल वर्षा के स्रोत के रूप में मानव मात्र को जीवन प्रदान करने वाले इस दिव्य माह का भी नहीं किया जा सकता |*