मसकरी बुंदेली (दोहा संकलन) बुंदेली के श्रेष्ठ समकालीन 20 दोहाकारों के 100 से अधिक बुंदेली भाषा में लिखे दोहे पढ़िएगा संपू - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ मप्र भारत
होली के त्यौहार पर पिचकारी पर केंद्रित समकालीन हिन्दी 21 दोहाकारों के लगभग 100 हिंदी दोहे पढ़िएगा। इस ई-बुक तैयार की है आपके लाडले कवि राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ मप्र भारत से एक बार जरूर पढ़िएगा कमेंट स बाक्स में जरूर बतायेक्षकि आपको ये नवरच
इस आयाम में आपको मिलेंगे ढेर सारे चंडूल के किस्से याद रहे चंडूल एक काल्पनिक नाम है और उससे जुड़े किस्से भी काल्पनिक है |
जहां आज के समय में हर व्यक्ति अपने पति से परेशान है ऐसे ही लोगों के लिए खासकर पत्नी को नियंत्रित करने के 108 उपाय रोज कि वर्क झक तू तू मैं मैं से निजात पाने का सबसे आसान तरीकाll
*व्यंग्य-‘‘शिक्षक बेचारा काम का मारा’’* *(राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’)* शिक्षक इस दुनिया में सबसे अजीबोगरीब इंसान है वह बहुत ही बेबस,लाचार,दयनीय भी होता है। वह कक्षा में बच्चों के द्वारा पूछे गये प्रश्नों की बौछार खाता है घर में बीबी से ताने औ
राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय
यह एक मर्डर मिस्ट्री है जिसमें बहुत सारे पेच हैं । यहां पर ज्यादा नहीं बताऊंगा नही तो सारा रोमांच खत्म हो जायेगा । पढेंगे तो आनंद आयेगा ।
😂 गृहस्थ शास्त्र😂 👉भाग✍️१👈 💀आवश्यक चेतावनी💀 बताए गए एक उपाय एक या दो बार ही प्रयोग करें,, इससे ज्यादा बार प्रयोग करने से हो सकता है।। आपके प्रेम, विश्वास ,रिश्ते और यदि पत्नी ज्यादा मजबूत हु
एक परिवार और आसपास के मौहल्ले में रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली घटनाओं , बातों और कथाओं से हास्य पनपता है । हास्य कभी भी अकेला नहीं होता है उसके साथ व्यंग्य उसी तरह चिपका होता है जैसे किसी लड़की पर किसी आशिक की दो आंखें चिपकी होती हैं । बात में से
चैत्र मास का अंतिम दौर चल रहा था। वसंत का यौवन चतुर्दिक बिखरी हरीतिमा के अंग-प्रत्यंगों से फूट चला था। संध्या का समय था। चंद्रमा कभी बादलों के आवरण में मुँह छिपाता और कभी स्वच्छ नीलाकाश में खुले मुँह अठखेलियाँ सी करता फिरता। मैं भोजन के उपरांत अपने अ
अपनी गंभीर पुस्तकों से भिन्न प्रवीण की रुचि व्यंग्य विधा में है। उनके व्यंग्य ‘जानकीपुल’ पर नियमित प्रकाशित होते रहे, जो समाज और राजनीति पर अक्सर असहज प्रश्नों पर होते हैं। ‘उल्टी गंगा’ उनके समस्त व्यंग्य-कथाओं का अनूठा संकलन है।
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साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हरिशंकर परसाई हिंदी के सबसे समर्थ व्यंगकार हैं. पैनी दृष्टि और चुटीली भाषा उनके अचूक औज़ार हैं. जीवन, समाज और राजनीति में व्याप्त सभी बिमारियों और बुराइयों की पहचान वे किसी कुशल 'सर्जन' की तरह हैं. 'अपनी अपनी
पुस्तक की मुख्य उद्देश्य व्यंग्य के माध्यम से तत्कालिक सामाजिक व राजनीतिक नीति पर तंज कसना है।
परसाई हँसाने की हड़बड़ी में नहीं होते। वे पढ़नेवाले को देवता नहीं मानते, न ग्राहक, सिर्फ एक नागरिक मानते हैं, वह भी उस देश का जिसका स्वतंत्रता दिवस बारिश के मौसम में पड़ता है और गणतंत्र दिवस कड़ाके की ठंड में। परसाई की निगाह से यह बात नहीं बच सकी तो सि$र्
बकर पुराण हर उस बैचलर लड़के की ज़िंदगी की किताब है जो घर छोड़कर दिल्ली जैसे शहरों में पढ़ने आता है और फिर उन शहरों का हिस्सा हो जाता है । इसके पन्नों पर हर उस लड़के की कहानी है जिसने कभी प्रेम किया हो, मूर्खता की हो, चाय की दुकान पर भारत की विदेश नीत
वर्तमान समाज की स्थिति को देखते हुए समाज का,देश का सबसे बड़ा कोढ़ भ्रष्टाचार पर आधारित यह पुस्तक होगा।