दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों में लड़का-लड़की का एक-दूसरे के हाथों में हाथ डालकर चलना, कंधे में हाथ डालकर चलना, एक-दूसरे के करीब होकर बात करना और गले मिलना आम बात है. हमें लगता है लोगों को भी इससे कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. लेकिन कुछ लोगों की नज़रों में ये सब ग़लत है. वो युवाओं को डांटने में ज़रा सी भी देर नहीं करते. 'तुम्हें शर्म नहीं आती?' 'तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हें यही सिखाया है?' 'घर से यही सब करने के लिए निकलते हो?' कई युवाओं को कुछ ऐसे ही सवालों का सामना करना पड़ता है. क्या किसी दूसरे की ज़िन्दगी में इस तरह दख़ल देना सही है? ऐसे लोगों को पलटकर जवाब देना सही है या फिर चुप होकर उनकी बात मान लेनी चाहिए? लेकिन हम यही कहेंगे अगर आपको लगता है कि आपने कोई ग़लत काम नहीं किया है, तो ऐसे लोगों को जवाब देने में कोई बुराई नहीं है.
21वीं सदी में भी अगर कोई इंसान मामूली सी बात पर किसी दूसरे के प्रति ग़लत सोच रखता है, तो ऐसे लोगों को अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है. एक सभ्य समाज की कल्पना करने की चाह रखते हो, तो दोनों पीढ़ियों को मिलकर एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करना होगा.
हाल ही में कोलकाता में लोगों ने एक प्रेमी युगल के साथ इसलिए मारपीट कर दी क्योंकि मेट्रो में भीड़ ज़्यादा होने के कारण ये दोनों एक-दूसरे से सट कर खड़े थे. लोगों को लगा कि दोनों पब्लिक प्लेस में अश्लील हरकत कर रहे हैं. आये दिन देशभर में रेप की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई सामने नहीं आता. बाप-बेटी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चल भी रहे हों, तो दस लोगों की नज़र उन पर पड़ जाती है और उनके बारे में कमेंट्स करने से भी बाज़ नहीं आते. लेकिन कहीं किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ हो रही हो, तो एक भी इंसान उसे बचाने नहीं आएगा. क्योंकि ये सब उनकी बहन-बेटी के साथ नहीं किसी और की बहन-बेटी हो रहा होता है. न जाने क्यों लोगों की सोच इस तरह की होती जा रही है.
सोशल मीडिया के इस दौर में आये दिन कई महिलाएं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की चर्चा करती रहती हैं. महिलाएं अब सोशल मीडिया पर निडर होकर अपने मन की बात शेयर करती हैं. महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी सोशल मीडिया पर अपनी कई बातें शेयर करते हैं. कई युवाओं ने अपने कुछ ऐसे ही राज़ एक वेबसाइट के साथ शेयर किये हैं जब उन्हें भी इसी तरह की बातों का सामना करना पड़ा था.
एक शख़्स का कहना है कि एक दिन वो पार्क में अपनी गर्लफ़्रेंड के साथ बैठा था और अपनी गर्लफ़्रेंड की सहमति से उसने उसे Kiss किया. लेकिन एक अंकल ने उन्हें ऐसा करते देख लिया. इसके बाद वो उन्हें डांटने और उनपर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे. ऐसे ही कई लोगों का कहना है कि उन्होंने भी अपनी गर्लफ़्रेंड को पब्लिक प्लेस पर Kiss किया है. और वो इसे किसी भी तरह से ग़लत नहीं मानते. उनका मानना है कि किसी दूसरे को हमारी निजी ज़िंदगी में दख़ल देने का कोई हक़ नहीं है.
जबकि ऑस्ट्रेलिया से भारत घूमने आये मार्टिन का कहना है कि एक बार उन्होंने दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर अपनी गर्लफ़्रेंड को Kiss करने की कोशिश की तो तमाम लोग उन्हें घूरने लगे. उन्हें ये देखकर अजीब सा लगा. उस दिन के बाद उन्होंने भारत के किसी भी पब्लिक प्लेस पर अपनी गर्लफ़्रेंड को Kiss करने की कोशिश नहीं की.
कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी मेट्रो में हो चुका है. मैं अपनी फ़्रेंड के साथ मेट्रो से कहीं जा रहा था. भीड़ अधिक होने के कारण मैंने उसका हाथ पकड़ा हुआ था. हमसे कुछ ही दूरी पर खड़ा एक शख़्स बार-बार हमें घूरे जा रहा था. जैसे ही मैं उसकी ओर देखता, तो वो अपनी नज़र हटाने लग रहा था. जब वो शख़्स मेट्रो से उतरा, तो हमें देखकर मन ही मन में कुछ कहे जा रहा था. ऐसा सिर्फ़ मेरे साथ ही नहीं कई और लोगों के साथ भी होता होगा.
एक लड़के का कहना है कि मैं एक बार अपने मेल फ़्रेंड के साथ किसी पार्क में घूम रहा था. काफ़ी देर तक घूमने के बाद जब हम दोनों थोड़ा थक गए. तो हम सीढ़ियों के पास जाकर बैठ गए और एक-दूसरे के साथ हंसी मज़ाक करने लगे. तभी हमने देखा कि कुछ लोग हमें अज़ीब तरीक़े से घूर रहे हैं.
ये इंसान को ख़ुद तय करना है कि पब्लिक प्लेस पर अपनी गर्लफ़्रेंड को Kiss करना सही है या नहीं. अगर उन्हें ऐसा करने के बाद ग़लती होने का एहसाह होता है. ऐसा न ही करें तो सही होगा. लेकिन कुछ लोगों को पब्लिक प्लेस पर गर्लफ़्रेंड, फ़्रेंड, मम्मी और बेटी का हाथ पकड़कर चलने में इस बात का डर होता है कि कहीं कोई टोक न दे. ऐसा करने पर भी टोकने वालों की भी नहीं है.