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विशाल

9 अप्रैल 2022

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भोर ने  दस्तक दे दी थी, सूर्य  की लालिमा चारों तरफ आकाश में फैल रही थी,  पक्षियों की चहचहाहट वातावरण को गुंजायमान कर रही थीl
lसूरज से पहले उठने वाला विशाल  बिस्तर पर ही करवटें ले रहा थाl  नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थीl
आज उसे बार-बार अपने पिताजी की याद आ रही थी, उन की मजबूरी और उन की बेचैनी को महसूस कर रहा था, उसने महसूस किया कि उसके पिताजी ने दुनिया छोड़ने जैसा घातक कदम क्यों उठायाl
कल सुबह ही वह अपने खेतों पर गया था जहां उसने ल हलाती तैयार फसल देखकर, उससे काटने के लिए मजदूरों को बुलाया थाl
फसल को देखकर कितना खुश हुआ था वह,
इस बार पैदावार अच्छी हुई है, जिसे बेचकर कि मैं अपनी अधूरी पढ़ाई और अपनी बहन का ब्याह, दोनों ही कार्य  पूरा कर पाऊंगाl
पर वक्त की मार ने  उसकी सारी आशाओं पर पानी फेर दियाl  अचानक शाम को आए हुए तूफान और बारिश में उ
सकी सारी तैयार  फसल बर्बाद हो गई थीl  उसके सारे सपने धराशाई हो चुके थेl  यहां तक की वह इस बात से बेचैन था कि उसके द्वारा लिया गया कर्जा कैसे भरा जाएगा?अगली फसल तक घर का खर्च कैसे चलेगा?  यही सोचते-सोचते उसने पूरी रात करवटें बदलते हुए गुजार   दीl
परंतु, अपने खेतों पर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी अपने हाथों से तैयार की गई फसल को बर्बाद हुआ देखने से घबड़ा  रहा थाl
विशाल बीएससी में पढ़ने वाला एक नवयुवक था जिसके पिता एक किसान  थेl
2 वर्ष पूर्व फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाने के कारण दुखी होकर उसके पिता ने अपने प्राणों का त्याग कर दिया थाl
पूरे घर में मातम छा गया , और  परिवार खर्च  उठाने की जिम्मेदारी विशाल के कंधों पर आ गईl  इसकी पढ़ाई भी रुक गईl  पर गम से उबर कर, कड़ी मेहनत करके  खेती  के   तरीके  सीख लिए और वह परिवार का खर्च चलाने  लगाl
वक्त ने उसका साथ दिया और जल्द ही  उसने पिता के  द्वारा लिए गए कर्ज को चुका दियाl  परन्तु आज वह अपनी मां और बहन से नजर नहीं मिला पा रहा था, न हीं अभी कोई दिलासा दे पा रहा था आगे क्या होगा यह सोच कर उसका सर दर्द के बारे फटा जा रहा थाl
तभी उसकी मां ने आवाज दी....
विशाल.... बेटा विशाल...
आज सोता ही रहेगा क्या? चलो चल कर खेतों का हाल देखते हैं, विधाता ने  हमारे नसीब में क्या लिख रखा है?
विशाल में  बिना मन  के खेतों की ओर जाने के लिए अपने कदम बढ़ा दिए,  परंतु उसका दर्द उसकी आंखों से  बह चला जिसे उसने मां के पास जाने से पहले     पोछ लियाl
हां अम्मा.... चल चल कर देखते हैंl
बारिश की वजह से सारी फसल बर्बाद हो चुकी थी  तूफान ने तैयार फसल को नेस्तनाबूद कर दिया था वह जोर-जोर  से रोना चाह रहा था, पर माँ  को देखकर उसने अपने जज्बातों पर काबू रखा और कहा...... कोई बात नहीं  मां ईश्वर की कृपा होगी तो जल्दी सब ठीक हो जाएगा तुम हिम्मत मत  हारनाl
दोनों ने बची हुई फसल की कटाई की और उससे थोड़े बहुत अनाज सुरक्षित बच गए,  ईश्वर की कृपा से  साल भर के भोजन की व्यवस्था तो हो गई, परंतु बाकी के खर्च और कर्ज का इंतजाम ना हो सकाl
कमरे में आधी रात के वक्त विशाल जाग रहा था उसकी आंखों में नींद नहीं थी और वह बेचैनी से इधर-उधर घूम रहा थाl  तभी उसकी मां कमरे में आई....
विशाल अभी तक सोए नहीं क्या?...
नहीं माँ  नींद ही नहीं आ रहीl....
अपनी मेहनत को बर्बाद देख नींद कैसे आएगी बेटा....
इधर आ बिस्तर पर बैठ, मैं सर पर तेल लगाकर मालिश कर देती हूं नींद आ जाएगीl....
विशाल जाकर बिस्तर पर लेट गया और मां सिरहाने पर बैठकर विशाल के सर में तेल लगाने   लगीl
बेटा मैं तेरी परेशानी समझ सकती हूँ,  पर संघर्ष प्रकृति का नियम है विषम परिस्थिति में हार मान लेना समझदारी नहीं है  बल्कि हमें हर परिस्थिति का सामना करना आना चाहिए,  जिंदगी से हार नहीं माननी चाहिए अगर ईश्वर एक रास्ता बंद करता है तो दूसरा रास्ता अवश्य खोल देता हैl
अपने पिता की तरह कमजोर मत पडना बेटा....
न हीं कोई गलत कदम उठाना....
हम सब मिलकर मेहनत करेंगे  और कोई ना कोई रास्ता निकाल लेंगे, और तू चिंता मत कर मैं मजदूरी कर लिया करूंगी जिससे  खर्च के लिए रुपए आ जाया करेंगे, बहन का क्या है इस साल नहीं तो अगले साल विवाह हो जाएगाl...
मां की बातें सुनकर विशाल को थोड़ी सी हिम्मत आ गई  मां के द्वारा प्रेम से सर पर मालिश किए जाने से नींद भी आ गई, और वह सो हो गयाl
सुबह जब वह उठा तब बगल से टूटा हुआ विशाल नहीं बल्कि आत्मविश्वास से भरा हुआ विशाल थाl
अब उसने निर्णय ले लिया था की वह हार नहीं मानेगाl
खेती किसानी में वह भी नया था इसलिए उसने अपने ज्ञान का उपयोग कर पारंपरिक पद्धति से हटकर कुछ नया करने का मन बनायाl
वह अपने खेतों में अब ऐसी फसल लगाना चाहता था जो प्राकृतिक आपदा से कम प्रभावित होl
इसके लिए उसने यूट्यूब और गूगल मदद ली और रोज नए आइडियाज खोजने लगाl
तब उसे  सहजनऔर पपीते की खेती के बारे में जानकारी मिलीl
और उसने पारंपरिक पद्धतियों से हटकर कुछ नया करने का मन बना लियाl उसने अपने खेतों की बॉर्डर में चारों ओर सहजन के पेड़ लगा दिए, और खेत में पपीते की सबसे अच्छी वैरायटी के पेड़ लगाएंl
और घर खर्च के लिए उसने शाम के वक्त ट्यूशन लेने का फैसला लिया, और वह अपने आसपास के बच्चों को पढ़ाने लगाl
वक्त ने करवट ली   सहजन के पेड़ साल भर में ही फल देने लगे, पहले वर्ष फसल थोड़ी कम थी परंतु उनके पास स्थाई फसल तैयार थीl  जल्द ही पपीते भी तैयार हो गए, खेत के कुछ हिस्सों में उसने सब्जियां भी लगाई से उसे बहुत बड़ा मुनाफा होना शुरू हो गयाl  वह जल्दी एक बहुत बड़ा किसान बन गया और उसने आसपास की जमीनें खरीदीl
गांव के किसानों के लिए वह प्रेरणा स्रोत बन गयाl
उसने अपनी बहन का धूमधाम से विवाह कियाl
अपनी पढ़ाई की मदद से उसने खेतों के वेस्ट मटेरियल से कंपोस्ट बनाना सीख लिया और कुछ गाय पालीl   घर के पास उसने एक बड़ा सा गोबर गैस संयंत्र लगवा लिया lइसमें बनने वाली गैस से रसोई खर्च की भी बचत हो गई, और गोबर गैस संयंत्र के अपशिष्ट से खेतों के लिए खाद तैयार मिल गईl
मां के प्रेम और विशाल की सूझबूझ ने एक अनहोनी को होने से बचा लिया एक किसान को उसकी मंजिल मिल  गईl


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रचनाएँ
नई राह
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जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती, स्त्री विशेष कहानियों का संग्रह है यह पुस्तक lइसमें नारी के संघर्ष, प्रेम ,तिरस्कार और साहस जैसे विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया हैl
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मुन्ना की अम्मा

6 अप्रैल 2022
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जीजी..... जीजी दरवाजा तो खोलो कब से मैं बाहर खड़ी हूंl " बहु देख तो जरा बाहर , मुन्ना की अम्मा आई है कब से गला फाड़े जा रही है, दरवाजा खोल दे........

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वर्दी वाली औरत

7 अप्रैल 2022
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शहर की सूनसान सडक पर एक परछाईं चलती हुई नजर आ रही थी ।जिसे देख सडक के किनारे खडे कुछ मनचले लडकों की आँखें चमकने लगी । सभी आपस मे बात करनें लगे ....... रवी देख तो इधर कोई पटाखा चली आ रही है,लगता है आज

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वर्दी वाली औरत

7 अप्रैल 2022
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परिवार की इज्ज़त

8 अप्रैल 2022
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""अंजू ""आओ ऊपर चलें, वहाँ आराम से हम लोग खेल, खेल सकेगें lमैंने ढेर सारी चॉकलेट रखी हैं तुम्हारे लिए छत पर l चॉकलेट...... चलिए न जल्दी से मुझे चॉकलेट दे दीजिये, वो मुझे बहुत पसंद है l हाँ, हाँ पता ह

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विशाल

9 अप्रैल 2022
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भोर ने दस्तक दे दी थी, सूर्य की लालिमा चारों तरफ आकाश में फैल रही थी, पक्षियों की चहचहाहट वातावरण को गुंजायमान कर रही थीl lसूरज से पहले उठने वाला विशाल बिस्तर पर ही करवटें ले र

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