जैकब फ़ग्गर अगर आज ज़िंदा होते, तब भी बिल गेट्स, मार्क ज़करबर्ग, वैरन बफेट और कारलोस स्लिम यानी दुनिया के चार बड़े रईसों से ज़्यादा दौलतमंद होते.
जैकब के जीवनीकार और वॉल स्ट्रीट जनरल के पूर्व संपादक ग्रेग स्टाइनमेट्ज़ के मुताबिक, इस जर्मन बैंकर और व्यापार ी को 'द रिच वन' पुकारा जाता था. ये दौर था साल 1459 से 1525 का.
जैकब ने उस दौर में आज के 400 बिलियन यूएस डॉलर यानी करीब 25 खरब रुपये कमाए. ग्रेग ने 2015 में जैकब को अपनी किताब 'द रिचेस्ट मैन हू एवर लिव्ड' में इतिहास का सबसे अमीर आदमी बताया.
जैकब को इतिहास के सबसे अमीर आदमी बताने के ग्रेग के दावे पर सवाल किए जा सकते हैं.
बीबीसी वर्ल्ड से बात करते हुए ग्रेग ने कहा, ''जैकब निसंदेह दुनिया में अब तक के सबसे ताक़तवर बैंकर थे.''
सबसे अमीर बताने के पीछे क्या है तर्क?
ग्रेग बताते हैं, ''जैकब पुर्नजागरण काल में रह रहे थे. तब दुनिया को दो ताकतें रोमन साम्राज्य और पोप चलाते थे. फ़ग्गर इन दोनों को पैसा मुहैया कराते थे.
- इतिहास में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ, जिसके पास इतनी राजनीति क ताक़तें हों.
- फ़ग्गर ने ये तय किया कि स्पेन के राजा चार्ल्स-1 को रोम का राजा होना चाहिए और चार्ल्स-5 के रूप में उन्हें सफलता भी मिली.
- चार्ल्स-5 ने नई दुनिया को उपनेविश बनाया. अगर वो सत्ता में न आए होते तो दुनिया वैसी न होती, जैसी आज है.''
इतने अमीर थे, तो गुमनाम क्यों?
उस दौर के रईसों मेडिकी, सीजर और लुसरेजिया बोर्गिया बंधु के बारे में काफी लोग जानते हैं. ऐसे में सवाल ये है कि फ़ग्गर के बारे में कम लोग क्यों जानते हैं.
ग्रेग इसकी वजह बताते हैं, ''ऐसा इसलिए था क्योंकि फ़ग्गर जर्मन थे और वो इंग्लिश बोलने वाली दुनिया के बीच पहचाने नहीं गए.
''मैं बर्लिन में वॉल स्ट्रीट जनरल का ब्यूरो प्रमुख था. मैंने कई बार फ़ग्गर का नाम सुना था. लेकिन मुझे इंग्लिश में उनके बारे में कुछ पढ़ने को नहीं मिला.''
अमीर थे लेकिन रंगीन मिजाज़ नहीं
दुनिया फ़ग्गर के बारे में शायद इसलिए भी कम जानती है, क्योंकि वो रंगीन मिजाज़ आदमी नहीं थे. जैसा कि उस दौर के रईसों के लिए एक बहुत साधारण बात थी.
फ़ग्गर ने कभी कोई राजनीतिक ऑफिस बनाना या पोप बनना नहीं चाहा. न ही फ़ग्गर ने इमारतें बनवाने और न ही पुर्नजागरण के किसी आर्टिस्ट को स्पॉन्सर करने का काम किया.
फ़ग्गर का सबसे मशहूर काम रहा फग्गराई. यानी एक सामाजिक हाउसिंग प्रोजेक्ट, जिसे उन्होंने दक्षिणी जर्मनी के ऑग्सबर्ग में बनाया था.
एक साल का किराया 64 रुपये
फ़ग्गर का ये काम अब भी जर्मन में मशहूर है क्योंकि यहां रहने वाले लोग अब भी साल का किराया क़रीब एक डॉलर यानी 64 रुपये देते हैं.
ग्रेग बताते हैं, ''बैंकर उस दौर में जरा छुपकर काम करना पसंद करते थे.''
लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं है कि जैकब फग्गर अपनी निशानी नहीं छोड़ गए. उनका प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है, हालांकि इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि कम लोग ही उन्हें जानते हैं.
जैकब फग्गर के बड़े योगदान
1. बाज़ार पर एकाधिकार
फ़ग्गर के दौर में आर्थिक गतिविधियां बहुत छोटे पैमाने पर होती थीं. अमीर अपनी ज़मीन और किसानों के किए कामों पर निर्भर रहते. किसानों को अपनी मेहनत के बदले मिली थी सुरक्षा.
फ़ग्गर ने अपने दिए कर्ज के बदले माइनिंग राइट्स यानी कर्ज़ खुदाई करके चुकाने की बात की और तांबे-सिल्वर के व्यापार में एकाधिकार हासिल किया.
इसके अलावा फ़ग्गर ने मसालों का धंधा किया. फग्गर पूंजीवाद के संस्थापकों में से एक थे.
2. शुरू की पहली न्यूज़ सर्विस
फ़ग्गर ये जानते थे कि सूचनाओं का कितना महत्व है. वो सूचनाएं अपने प्रतिस्पर्धी से पहले पाना चाहते थे.
इसके लिए फ़ग्गर ने दूसरे शहरों से व्यापार और राजनीति से जुड़ी खबरें लाने वालों संदेशवाहकों को रुपये देना शुरू किया.
फ़ग्गर के बाद के लोगों ने ये परंपरा जारी रखी और फग्गर न्यूज़लेटर्स की शुरुआत की. इसे इतिहास के शुरुआती अख़बारों में से एक माना जाता है.
3. बचत खाते की शुरुआत
मेडिकी के पास बैंक थे लेकिन कैथलिक चर्च ब्याज की इजाज़त नहीं देते थे. ब्याजख़ोरी को चर्च ग़लत मानता था.
फग्गर ने पोप लियो-5 से संपर्क साधा और इस बैन को हटाने की मांग की. फग्गर ने ये सुझाव दिया कि जो लोग ऑग्सबर्ग के बैंक में रुपये जमा कराएंगे, उन्हें सालाना पांच फ़ीसदी ब्याज दिया जाएगा.
4. ट्रैवलर्स की मदद
फ़ग्गर 33 साल के थे, जब कोलंबस ने अमरीका की खोज की थी.
फ़ग्गर उन चंद फ़ाइनेंसर्स में से एक थे, जिन्होंने दुनिया का भ्रमण करने निकले फ़र्दिनान्द मैगलन का ख़र्च उठाया.
Source: BBC