जब से देखा था इन आँखों ने तेरा चाँद सा चेहरा।
दिल से धड़कन तक रहता है तेरे प्यार का पहरा।।
जब से देखा था ......
हो शाम सुबह या रात कोई,
महफ़िल में चलती हो बात कोई।
तेरा नाम निकल ही जाता है,
कोई ख़्वाब नया सज जाता है।।
लगता है तुम ये कहती हो,
कब आओगे घर मेरे तुम बाँध के सेहरा।
जब से देखा था इन आँखों ने तेरा चाँद सा चेहरा।
दिल से धड़कन तक रहता है तेरे प्यार का पहरा।।
हर पल नज़रें क्यों ये तकती हैं,
ठंडी ठंडी इन राहों में।
ऐ काश कहीं तुम आ जाती,
चुपके से मेरी बाहों में।।
मंज़िल तो मिल ही जाएगी,
जब हाँथ में होगा हाँथ तेरा।।
जब से देखा था इन आँखों ने तेरा चाँद सा चेहरा।
दिल से धड़कन तक रहता है तेरे प्यार का पहरा।।