तू चाहे ना चाहे मुझको,
हम तो सनम तुम्हें चाहेंगे।
दूर तलक हों या हो संगम -2
हम तुझको ही मानेंगे।।
तू चाहे ना चाहे मुझको।
हम तो सनम तुम्हें चाहेंगे।
मेरे मन के घर आंगन में,
ये कैसा फूल खिलाया है।
दूर तलक मैं जाऊं जब भी ,
रहता तेरा साया है।
रहता तेरा साया है।
तू चाहे ना चाहे मुझको,
हम तो सनम तुम्हें चाहेंगे।
दूर तलक हों या हो संगम -2
हम तुझको ही मानेंगे।।
तू चाहे ना चाहे मुझको।
तू जब रहती मेरे संग में,
बजती बस शहनाई है।
बिन तेरे मैं बैठूं जब भी,
रहती बस तन्हाई है।
रहती बस तन्हाई है।
तू चाहे ना चाहे मुझको,
हम तो सनम तुम्हें चाहेंगे।
दूर तलक हों या हो संगम -2
हम तुझको ही मानेंगे।।
तू चाहे ना चाहे मुझको।