जौनपुर के लाल शहीद संतोष यादव अमर रहें...
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चिठ्ठी ना कोई संदेस जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गये..
इस दिल पे लगा के ठेस जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गये..
एक आह भरी होगी, हम ने ना सुनी होगी जाते जाते तुम ने आवाज़ तो दी होगी हर वक्त यही है गम, उस वक्त कहाँ थे हम, कहाँ तुम चले गये..
हर चीज़ पे अश्कों से लिखा है तुम्हारा नाम ये रस्ते घर गलियां, तुम्हें कर ना सके सलाम हाये दिल में रह गयी बात, जल्दी से छुड़ाकर हाथ, कहाँ तुम चले गये..
अब यादों के काँटे, इस दिल में चुभते हैं ना दर्द ठहरता है, ना आ आँसू रुकते हैं तुम्हें ढूँढ रहा है प्यार, हम कैसे करे इकरार के हाँ तुम चले गये...