गजल
सबक मुझको कई सारे सिखाये है जमाने ने ,मियां सबकुछ बिक जाता है आज के जमाने मेँ ।,,तमाम कोशिशोँ के बाद भी कभी सूरतेँ याद नही आती , कभी सदियाँ लग जाती है किसी चेहरे को भुलाने मेँ ।,,फासले तो हम दोनोँ के बीच कभी पैदा न हो सके , कोशिशेँ फिर भी बरकरार रही कुछ लोगोँ की जमाने मेँ ।,,तुम वक्त ही वक्त की बात