सबक मुझको कई सारे सिखाये है जमाने ने ,
मियां सबकुछ बिक जाता है आज के जमाने मेँ ।
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तमाम कोशिशोँ के बाद भी कभी सूरतेँ याद नही आती , कभी सदियाँ लग जाती है किसी चेहरे को भुलाने मेँ ।
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फासले तो हम दोनोँ के बीच कभी पैदा न हो सके , कोशिशेँ फिर भी बरकरार रही कुछ लोगोँ की जमाने मेँ ।
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तुम वक्त ही वक्त की बात करते रहते हो , वक्त नही लगता है वक्त के बदल जाने मे ।
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मोहब्बत हो गई है इस जगह से दोस्तोँ कुछ इस कदर , नयी जिँदगी मिली हो मुझे जैसे इस मयखाने मेँ ।
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अब वो यहाँ कदम रखने से हिचकिचाते है , जिन्होने गुजार दिया है वचपन इस गरीबखाने मेँ ।
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