तुम्हें जब दूर से देखा हुआ इस दिल में हंगामा,
नकाबों में छिपी थीं तुम बदन पर था हसीं जामा,
क़यामत ही नहीं आई उठा सैलाब था लेकिन
वो अनजाने में तुमने हाथ जब मेरा जरा थामा।
............हनुमंत तिवारी
27 मई 2016
तुम्हें जब दूर से देखा हुआ इस दिल में हंगामा,
नकाबों में छिपी थीं तुम बदन पर था हसीं जामा,
क़यामत ही नहीं आई उठा सैलाब था लेकिन
वो अनजाने में तुमने हाथ जब मेरा जरा थामा।
............हनुमंत तिवारी