तुम से कौन कहेगा आकर ..?
कितनी रात ढलीं बिन चंदा ?
कितने दिन बिन सूरज बीते ?
कैसे तड़प-तड़प कर बिखरे,
भरी आखँ में सपने रीते ..?
कौन पिये और कैसे खाए ?
मन को जब जोगी भा जाए,
तुम को कौन सिखाये भा कर..?
तुम से कौन कहेगा आकर....?
उन घावों कि अमर कहानी ,
जिन के आखर पानी-पानी !
उन यादों की आपबितायी,
जिन की चूनर धानी-धानी !
तुम को कहाँ मिलेगा अवसर ?
कुछ पल रोम-रोम में बस कर ,
हम सा कोई सुनाये गाकर ?
तुम से कौन कहेगा आकर..?