🌹वो बारिश का पानी,
वो कागज़ की कश्ती
वो पेड़ों पे चढ़ना वो
अमबिया का खाना,
🌹वो बच्चों की टोली
वो मदमस्त मस्ती ,
वो मेढक की टर्र-टर्र,
वो कोयल की कूकू
🌹वो पतंगो का उड़ना
वो जामुन का चुगना,
वो जलेबी पे लड़ना
वो लड्डू का खाना ।
🌹वो नन्हें से मन की
मेरी नन्ही उम्मीदें,
वो बन गईं हैं आज
गुज़रा ज़माना ।
मौलिक रचना सय्यदा----✒
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