"कजरी गीत"
मोहन गोकुल नगर सुधारी, मधुवन कीन्ह सुखारी ना
जाकर मथुरा डगर निहारी, सुखी कीन्ह महतारी ना......मोहन गोकुल नगर....
धारी गोवर्धन गिरधारी, आओ न फिर यमुन कछारी ना
गाय ग्वाल गोपिन दुख हर्ता, पनघट की सखियाँ न्यारी..... मोहन गोकुल नगर ......
रास आस तुमसे बनवारी, गौतम तो रहा अनारी ना
सावन झूला डाल-डाल पर, है राधा विरह की मारी..... मोहन गोकुल नगर.....
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी