shabd-logo

कश्मकश

30 नवम्बर 2021

13 बार देखा गया 13
[11/14, 08:36] BD Yadav: आज भी प्रेम की आहटें हैं  किन्तु इश्क के जुनून से परे  हट कर समाज के प्रति कुछ करने  की ललक  ,बंद हो चुकी जमीर की अदालत  को रौशन कर सन  2021  में छत्तीसगढ़  की 52 हस्तियो ने  अपनें संघर्ष से मिसाल कायम कर  शासन से सम्मान हासिल  करने का काम किया है।
इसी तरह देश के अन्य भागों में भी सकारात्मक  शक्तियों ने  ऊर्जा का दोहन  अपने जमीर को जगाने में कर  शासन का , समाज का  ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर देश को सही राह पर चलने को प्रेरित किया है, यही भविष्य में समृद्ध भारत की नीव बनेंगे ।
मैं जानता हूं   भारत इसी राह पर है किंतु  समस्याओं के अंबार ने पांव में  बेड़ियां डाल रखी हैं जो देर सवेर ही सही,  टूटेगी अवश्य ।  
विडंबना है कि डकैती आज भी हो रही है , कागजी प्रोजेक्ट के माध्यम से करोड़ों रुपए लोन ले कर विदेश पलायन कर जाना,.... बंद हो चुकी जमीर की अदालत  का एक ठोस सबूत है और फिर उस भगोड़े को  देश में वापस लाने में उतने ही करोड़ों रुपए का खर्च करना जनता के टैक्स से , बंद हो चुकी जमीर  की अदालत को खटखटाने का प्रायः दिखावा जनमानस को निश्चित रूप से आंदोलित करता है इसमें दो राय नहीं, किंतु यह भी सत्य है कि जमीर के लिए यह संजीवनी का भी  काम अवश्य करता है।
 डकैती के लिए  आजकल नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं  जिसे समझना भूल भुलैया की डगर में खुद को ही भूल जाने को चरितार्थ करती  डिजिटल आयुष्मान भारत  के अस्तित्व को साकार सी करती प्रतीत होती है। क्या इसे ड्रग माफिया का  विश्वस्तरीय  कदम नही माना जा सकता? इसमें  बुद्धिजीवियों द्वारा अनुसंधान   की सख्त जरूरत है।
 जमीर तो सबके पास है, विडंबना यह कि अक्सर यह अलीबाबा के सौ   ताले में बंद अचेतन  की दुनिया में रहती है और पशु वृत्ति   हमेशा इसकी अदालत लगने की राह  में रोड़ा अटकाती है , जिसकी  परिणति  चीरहरण को आमंत्रित करती या अन्य रूपों में समाज को बैचेन रखती है ।
आसुरी प्रवृत्तियां  जमीर की   अदालत   के  कपाट को मजबूती से बंद करने  के  प्रयास में  कांटो   के जंगल का बीजारोपण करती बेसुध  सी  खुद के कृत्य को सही ठहराती सी प्रतीत होती रहती हैं।
कंगना रनौत  जैसी तथाकथित बुद्धिजीवी कला को प्रदूषित करती  कुछ इसी किस्म के कृत्य से अंततः  समाज  को उन्होने बैचेन तो अवश्य ही कर दिया,  किंतु   समाज की  सकारात्मक हस्तियों से उनकी  शक्तियों   से  समाज को आक्सीजन की आपूर्ति  अवश्य होगी  इसमें भी कोई शक नहीं।
आलेख
डॉ वासु देव यादव
ऑथर
 ड्रीम व्हेन यू स्टार्ट डेकोरेटिंग
( इंग्लिश नोवेल)
[11/30, 05:27] BD Yadav: ज़मीर
1
रचनाएँ
जमीर
0.0
समाज कल्याण के नाम पर छद्म वेश में लूट खसोट को बेनकाब करती बेबाक चिंतन की धारा शायद कलुषित मन को निर्मल कर सके इसी प्रयास में एक दस्तक देने की कोशिश

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए