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काव्य संग्रह

hindi articles, stories and books related to Kavya sangrah


मैंने देखें हैं बड़े बड़े जाल

समझते हुए फूलों को

जहां आकाश टूटते हैं बिजली में

लहरों के थपेड़े


बैठाती है वह बच्चों को

तीक्ष्ण अद्भुत ध्वनियों से भरी</


यह कविता कैसे हो सकती हैयह कविता कैसे हो सकती है

उस खौफजदा पल का

जब दस

हमारा सूरज


उनकी आंखें

बाघ सी चमक रही है

और जीभ

सांप सा लप

प्रेम के मायने आज
समझ  नहीं आएंगे।
जब हमारे बाल सफेद हो

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