खामोशी मेरी सुनो, तो तुम्हें मानू।
आंखें मेरी पढ़ो, तो तुम्हें मानू।
अपनी बातें तो इशारों से कह देते हो,
मेरे इशारे समझो, तो तुम्हें मानू।
इश्क इश्क क्या कहने से होता है,
मेरे इश्क को जानो, तो तुम्हें मानू।
13 सितम्बर 2024
खामोशी मेरी सुनो, तो तुम्हें मानू।
आंखें मेरी पढ़ो, तो तुम्हें मानू।
अपनी बातें तो इशारों से कह देते हो,
मेरे इशारे समझो, तो तुम्हें मानू।
इश्क इश्क क्या कहने से होता है,
मेरे इश्क को जानो, तो तुम्हें मानू।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D
वाह बहुत खूबसूरत पंक्तियां लिखी है आपने 👌👌 आप मेरी कहानी पर अपनी लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏
14 सितम्बर 2024