वो भी मेरी याद में,
कभी आंसू बहाए।
वो भी मेरी याद में,
कभी गुनगुनाए।
प्रेम का धागा,
इतना कमजोर तो नहीं।
कि उसने कहा भूल जाने को,
और हम भूल जाएं।
3 अक्टूबर 2024
वो भी मेरी याद में,
कभी आंसू बहाए।
वो भी मेरी याद में,
कभी गुनगुनाए।
प्रेम का धागा,
इतना कमजोर तो नहीं।
कि उसने कहा भूल जाने को,
और हम भूल जाएं।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D