उसके हाथ की,
कठपुतली बन के रह गई।
मेरी दुनिया उजड़ गई,
ओर मैं बस देखती रह गई।
उसका साथ पाने के लिए,
हर एक से लड़ी थी।
उसने आसानी से कह दिया,
मैं तो बस उसके लिए,
दौलत पाने की एक कड़ी थी।
14 सितम्बर 2024
उसके हाथ की,
कठपुतली बन के रह गई।
मेरी दुनिया उजड़ गई,
ओर मैं बस देखती रह गई।
उसका साथ पाने के लिए,
हर एक से लड़ी थी।
उसने आसानी से कह दिया,
मैं तो बस उसके लिए,
दौलत पाने की एक कड़ी थी।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D