थोड़ा थोड़ा सुरूर था,
दिल मजबूर था।
यादें तेरी आई,
मेरा क्या कसूर था।
तुम हमारे हो,
इस बात पे हमे गुरुर था।
इश्क की वादी में,
छाया एक नूर था।
पर हम ये ना जानते थे,
दिल तुम्हारा मगरूर था।
17 सितम्बर 2024
थोड़ा थोड़ा सुरूर था,
दिल मजबूर था।
यादें तेरी आई,
मेरा क्या कसूर था।
तुम हमारे हो,
इस बात पे हमे गुरुर था।
इश्क की वादी में,
छाया एक नूर था।
पर हम ये ना जानते थे,
दिल तुम्हारा मगरूर था।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D
Waah Waah Waah beautiful words
17 सितम्बर 2024