सरकार द्धारा जब भी कोई योजना निकाली जाती है,
उसको पाने के लिए हर एक से दलाली जाती है,
एक लाख का लोन अस्सी हजार हाथ आता है,
बाकि का बीस हजार यू ही मुफ्त में चला जाता है,
जाने कितनी ही कुर्सियां रोज संभाली जाती हैं,
एक पद के लाखो से नियुक्तियां निकाली जाती है,
क्यों जनता को खोखला बना दिया है इन नेताओ ने,
सारा वक़्त गवां दिया है इनकी आओ भगत में युवाओ ने,
जब तक कुर्सी हाथ न आये वोट मांगते हैं हाथ जोड़कर,
कुर्सी मिलते ही अपनी जेबें भरते हैं सारे वादे तोड़कर,
एक नेता को दिया जाता है कितना ही आरकझड़,
और वही नेता बाद में भूल जाता है जनता का संरक्झड़,