मौत के बाद का भी अजीब नजारा होता है,
अचानक से सारा जहाँ हमारा होता है,
न जाने कितने अफ़साने सामने आते हैं,
लोग अपने इस हुनर से कहाँ बाज़ आते हैं,
मेरी तारीफ के इतने सारे पुल बनाते हैं,
जैसे न जाने हमे कितना चाहते हैं,
जिन्दा पे तो कभी सहारा दिया नहीं,
मरने के बाद मुझे मंजिल तक पहुचाते हैं,
ये देखकर बाघ बाघ दिल हमारा होता है,
मौत के बाद का भी अजीब नजारा होता है,
जिनको याद न था मेरा जन्मदिन कभी,
मेरी बरषी को बे हर साल याद से मनाते हैं,
मौजूदगी में कभी खाने को न पूछा हमे,
मेरे बाद मेरी ही पसंद का सब बनबाते हैं,
काश मुझे महसूस होती सबकी इतनी मोहब्बत,
मगर मेरा दिल उस वक़्त बेचारा होता है,
मौत के बाद का भी अजीब नजारा होता है,