shabd-logo

गरिबी

16 फरवरी 2017

217 बार देखा गया 217
featured image

सुना है खूब चर्चा मंदिर में बैठे भगवान का,

गर कोई जिक्र नहीं बहार बैठे लाचार इंसान का,

किसी ने भी इनको कभी प्यार से नही देखा,

यहाँ तक की सरकार ने भी गरीबो के लिए बना दी है गरीबी रेखा,

हर चीज़ को पाने के लिए लाइन ये लगाते हैं,

अपनी एक दिन की मजदूरी ब्यर्थ में गवाते हैं,

और सी सेवा करके लोग विडियो बनाते हैं,

और दुनिया को दिखाकर खुद को बेहतर दिखाते हैं,

-रश्मि शुक्ला

नृपेंद्र कुमार शर्मा

नृपेंद्र कुमार शर्मा

गरीबी रेखा बहुत सटीक प्रहार

14 मई 2017

ध्रुव सिंह  -एकलव्य-

ध्रुव सिंह -एकलव्य-

बहुत सुन्दर ,आभार

13 मई 2017

1

किसकी सरकार

14 फरवरी 2017
0
2
1

सरकार द्धारा जब भी कोई योजना निकाली जाती है, उसको पाने के लिए हर एक से दलाली जाती है, एक लाख का लोन अस्सी हजार हाथ आता है, बाकि का बीस हजार यू ही मुफ्त में चला जाता है, जाने कितनी ही कुर्सियां रोज संभाली जाती हैं, एक पद के लाखो से नियुक्तियां निकाली जाती है, क्यों ज

2

मौत के बाद

15 फरवरी 2017
0
3
2

मौत के बाद का भी अजीब नजारा होता है, अचानक से सारा जहाँ हमारा होता है, न जाने कितने अफ़साने सामने आते हैं, लोग अपने इस हुनर से कहाँ बाज़ आते हैं, मेरी तारीफ के इतने सारे पुल बनाते हैं, जैसे न जाने हमे कितना चाहते हैं, जिन्दा पे तो कभी सहारा दिया नहीं, मरने के बाद मु

3

मौत के बाद

15 फरवरी 2017
0
0
0

मौत के बाद का भी अजीब नजारा होता है, अचानक से सारा जहाँ हमारा होता है, न जाने कितने अफ़साने सामने आते हैं, लोग अपने इस हुनर से कहाँ बाज़ आते हैं, मेरी तारीफ के इतने सारे पुल बनाते हैं, जैसे न जाने हमे कितना चाहते हैं, जिन्दा पे तो कभी सहारा दिया नहीं, मरने के बाद मु

4

राम रहीम सब एक है

15 फरवरी 2017
0
2
0

कहता है क़ुरआने मजीद और गीता का सार ,मैंने नही बनाया मजहब सिर्फ बनाया है संसार,मैंने तो बनाया था सबको ही इंसान,किसी ने खुद को बोला हिन्दू किसी ने कुबूल किया इस्लाम,चाहे करो पूजा चाहे करो इबादत,मुझे कुबूल है सबकी ही चाहत,मेरा कोई धर्म नहीं इसलिए सबसे अनजान हूँ,मगर इंसानो में धर्म की लड़ाई को देखकर मैं

5

एक लाचार इंसान

16 फरवरी 2017
0
0
0

क्या क्या कराती है इंसान से लाचारी, क्यों बढ़ी है हर तरफ इतनी बेकारी, कोई केंद्र ऐसा नही है जो दे बेकारों को रोजगार, अगर हो जाये ऐसा तो कोई क्यों होगा लाचार, रिश्वत देकर किसी को भी काम मिल जायेगा, मगर जिसे खाने को रोटी नही वो रिश्वत कहाँ से

6

गरिबी

16 फरवरी 2017
0
2
2

सुना है खूब चर्चा मंदिर में बैठे भगवान का, गर कोई जिक्र नहीं बहार बैठे लाचार इंसान का,किसी ने भी इनको कभी प्यार से नही देखा, यहाँ तक की सरकार ने भी गरीबो के लिए बना दी है गरीबी रेखा, हर चीज़ को पाने के लिए लाइन ये लगाते हैं, अपनी एक दिन की म

7

मेरे हमसफ़र

17 फरवरी 2017
0
1
0

8

कैसा ये मजहब

17 फरवरी 2017
0
3
2

9

माँ की सीख

17 फरवरी 2017
0
2
0

10

लाचारी

17 फरवरी 2017
0
0
0

rashmi

11

माँ मुझे संसार दिखाओ

18 फरवरी 2017
0
1
0

बेटी कहती है माँ से क्यों सबकी सुना करती हो,मुझे क्यों सबके कहने से भुला देती हो,मुझे भी सबके बीच बुलाओ,माँ मुझे संसार दिखाओ,नाम रोशन करुँगी मैं भी तुम्हारा,भैया की तरह मैं भी दूंगी सहारा,निराश होकर मुझे मत ठुकराओ,माँ मुझे संसार दिखाओ,नही च

12

हमारी मुमताज़

19 फरवरी 2017
0
1
0

दिन भर के काम के बाद जब हम घर आते हैं,सारी थकान आपको देखकर भूल जाते हैं,ऐसी खास मुस्कान है आपके रुखसारों की,हमे जरुरत नही कैसे भी नजारों की,एक आप हो जो आये हो सब गवाकर मेरे पास,एक हम हैं जो कभी कभी समझ नही पाते अहसास,वादा रहा अब कभी आपको नह

13

उनकी रुखसती

19 फरवरी 2017
0
0
0

हो गए वो रुखसत मुझे मेरी औकात दिखाकर,और हम चाहकर भी उन्हें गले लगा न पाए,उनके अल्फाजो ने ही मुझे बना दिया बेगाना,और हम खामोश रहकर भी उन्हें कुछ जाता न पाए,हम जानते थे उनका हर मिज़ाजे आलम,फिर भी उनको खुद के लिए रुला न पाए,शौक था उनको मुझे हर

14

ye jamana

20 फरवरी 2017
0
0
0

कितना बदल गया है ये जमाना,मुश्किल हो गया है बिना सोचे किसी को अपनाना,हर तरफ बस दगावाज ही दगावाज हैं,दुश्मन भी बना रहता खास है,एक खूबसूरत रिश्ता हुआ करता था कभी माँ बेटे का,आज उस रिश्ते में भी कभी न मिटने वाला दाग है,क्या लिहाज बचा है आज की संतानो में,हर तरफ विश्वास पे आघात है,अपना ही आशियाना लगने लग

15

rishte

21 फरवरी 2017
0
0
0

कभी हमने दिखाई बेरुखी अपने प्यार में,कुछ आपने कमी रखी मुझपे ऐतवार में,कभी हम न समझा पाए आपको अपनी मजबूरी,कुछ आपने भी बेक़ार में बना ली हमसे दूरी,एक मौका देते मुझे भी प्यार जताने का,क्या अकेले आपको हक़ था रिश्ता निभाने का,

16

badlaao

21 फरवरी 2017
0
2
0

जब मजहब चार बना रखे हैं,तो सरकार भी चार बनानी चाहिए,जब गाय बचाने पे इतना विवाद है,तो बकरे की भी जान क्यों जानी चाहिए,एक तरफ तो नारा है की हिंदुस्तान हमारा है,फिर तो ये जातिवाद की सोच हटानी चाहिए,हिन्दू नेता हिन्दू की और मुस्लिम नेता मुस्लिम की बात करता है,सबसे पहले एक नेता की ऐसी सोच मिटानी चाहिए,

17

meri thkaan

27 फरवरी 2017
0
1
1

आज जब हम गंगा दर्शन को जा रहे थे,पैर न जाने क्यों इतना घबरा रहे थे,महसूस हो रही थी एक अजीब सी थकान,मन ढूंढ रहा था बस बैठने का कोई स्थान,कुछ दूर तक हमने घुमाई निगाहें,एक बूढा व्यक्ति थकावट से भर रहा था आहें,शायद उसको किसी सवारी की थी तलाश,कोई बैठेगा उसके रिक्शे पे उसको थी आस,पुछा हमने उसके पास जाकर,क

18

mera safar

27 फरवरी 2017
0
2
0

जब भी हम सफर में जाया करते हैं,हर बार कुछ नया पाया करते हैं,आज देखा एक बूढी औरत को इतना लाचार,न थी पैरों में चप्पल न था कोई घर बार,सोचा रुक कर पूछू उनसे एक सवाल, पास जाकर पता चला की उनके पास तो थी ही नहीं आवाज,कितना बेबस था उन बूढी माँ का संसार,जिनके जीवन में ग़मों की थी बौछार,उनकी इतनी तकलीफ देखकर ह

19

koi khas

28 फरवरी 2017
0
3
0

जब कोई बिना वजह ही तुमसे नाराज होने लगे,तुम्हारी उदासी में जब कोई और भी उदास होने लगे,वही खास होता है आपकी जिंदगी में जनाब,जो आपकी आखो में आंसू देखकर खुद भी रोने लगे,ऐसे किसी खास को खोना नही कभी भूल से भी,जो आपकी एक मुस्कराहट के लिए अपनी खुशियों को खोने लगे,मिलता है किस्मत से ही ऐसा मिजाज किसी का,जो

20

आपकी खामोशी

28 फरवरी 2017
0
1
0

क्या ऐसे ही कटेगी जिंदगी हमारी चुपचाप,खामोश रहेंगे हम खामोश रहोगे आप,जानते हैं इतने सालो में भी आपको नही है मुझपे विश्वास,मगर क्या ख़ामोशी है इस समस्या का समाधान,जो हो मन में रखो मेरे सामने वो बात,ऐसी ख़ामोशी से अच्छा है आप छोड़ दो मेरा साथ,शायद मैं आपके साथ रहने के काबिल ही नहीं,और आपको भी मेरे साथ रह

21

मेंरी मंजिल

1 मार्च 2017
0
0
0

मैं बेकार में ही ऐसी मंजिल तक जाना चाहती थी,जिसका कोई रास्ता ही नही था,तमन्ना कर बैठी उस शिखर को छूने की,जिसका मेरे इरादों से वास्ता ही नहीं था,

22

मेरा सफर

1 मार्च 2017
0
2
0

जब भी हम सफर में जाया करते हैं,हर बार कुछ नया पाया करते हैं,आज देखा एक बूढी औरत को इतना लाचार,न थी पैरों में चप्पल न था कोई घर बार,सोचा रुक कर पूछू उनसे एक सवाल, पास जाकर पता चला की उनके पास तो थी ही नहीं आवाज,कितना बेबस था उन बूढी माँ का संसार,जिनके जीवन में ग़मों की थी बौछार,उनकी इतनी तकलीफ देखकर ह

23

meri rachnaye

2 मार्च 2017
0
0
0

http://sahityapedia.com/author/rashmi786blog/

24

jindgi ka ajeeb safar

3 मार्च 2017
0
1
0

जिंदगी का भी अजीब सफर है,न है वक़्त का पता न ही कोई सीधी डगर है,पता ही नहीं कितनी दूर तक चलते जाना है,कहाँ होगी मंजिल कहाँ ठिकाना है,रब जाने इस रात की कब शहर (सुबह) है,जिंदगी का भी अजीब सफर है,जहां हो जाये सांझ चलते चलते वहीँ डेरा ज़माना है,रात को किसी अनचाहे ख्वाब की तरह बिताना है,न जाने कितना गहरा य

25

meri manjil

5 मार्च 2017
0
0
0

rashmi

26

उनका कहना

7 मार्च 2017
0
2
2

कब तक रहते हैं वो हमसे नाराज देखना है,मेरे बिना बेहतर होता जीवन उनका ये विश्वास देखना है,कई बार कहते हैं वो हमारी जरुरत नहीं उन्हें,मेरे बिना उनके जीने का अंदाज देखना है,सोचती हूँ कभी कभी ख़तम दू अनचाही जिंदगी,मगर उनकी इस बेपनाह नफरत का एहसास देखना है,वो जीना चाहते हैं शायद मुझसे दूर होकर,मेरे इस सवा

27

उनकी अनजान मोहब्बत

8 मार्च 2017
0
0
0

28

नारी और पुरुष

9 मार्च 2017
0
1
0

अगर नारी सम्मान की हक़दार है,तो पुरुष को भी सम्मान का अधिकार है,क्यों इतने लेख , कविता ये,और दिन नारियों के लिए बनाये जाते हैं,क्यों हर बार पुरुष ही गलत ठहराए जाते हैं,सत्य है की नारी बिना सूना ये संसार है,मगर पुरुष के बिना नारी भी तो बेकार है,चलती नहीं है दोनों के बि

29

सरकार की राजनीती

9 मार्च 2017
0
0
0

एक तरफ तो सरकार का ये नारा है,की भ्रष्टाचार रोकना संकल्प हमारा है,मगर नोटबंदी करके सरकार ने भ्रष्टाचार को बढ़ाया है,घर बैठे लोगो ने ही अपना १०० का नोट ५०० में चलाया है,एक तरफ सरकार का कहना है की जन जन अपना खाता खुलवाए,दूसरी तरफ आदेश है की एक

30

ए मेरे मालिक

10 मार्च 2017
0
2
1

ए मालिक मुझे इतना कामयाब बना दे,मेरे अपनों के लिए मुझे तोहफा नायाब बना दे,कभी कमी न आये किसी को देकर मेरे खजाने में,ऐसा ए मालिक मेरे जीवन का हिसाब बना दे,जब भी उदास होकर कोई करे अपनी किस्मत से सवाल,उसके सवाल का मुझे जबाब बना दे,काम आऊ सदैव मैं हर किसी अश्मर्थ के,ऐसा म

31

मेरा सफर

10 मार्च 2017
0
0
0

जब भी हम सफर में जाया करते हैं,हर बार कुछ नया पाया करते हैं,आज देखा एक बूढी औरत को इतना लाचार,न थी पैरों में चप्पल न था कोई घर बार,सोचा रुक कर पूछू उनसे एक सवाल,पास जाकर पता चला की उनके पास तो थी ही नहीं आवाज,कितना बेबस था उन बूढी माँ का संसार,जिनके जीवन में ग़मों की थ

32

दुनियां का आइना

11 मार्च 2017
0
0
0

तशरीफ़ को अपनी तकलीफ न दो मेरे आशियाने तक आने के लिए,मैंने तो जिंदगी को छोड़ रखा है तुम जैसो के आजमाने के लिए,अब तो सबकी ही हद देखनी है मुझे फलक तक जाने में,कौन कितना बड़ा दाँव लगाता है खुद को जिताने के लिए,एक एक कदम रखते हैं अब हम इतना देख भा

33

happy holi

12 मार्च 2017
0
1
0

holi pe kuch special

34

काबिले तारीफ

13 मार्च 2017
0
2
0

35

unka intjar

14 मार्च 2017
0
1
0

rashmi

36

unki nafrat

16 मार्च 2017
0
1
0

rashmi

37

tumhara sath

17 मार्च 2017
0
0
0

rashmi

38

हमारा बचपन

18 मार्च 2017
0
0
0

हमारा बचपन

39

ye rishte hain anmol

19 मार्च 2017
0
0
0

rashmi

40

ye rishte hain anmol

19 मार्च 2017
0
0
0

rashmi

41

उनका दखल

20 मार्च 2017
0
0
0

दानिश्ता (जानबूझकर) ही वो मेरी जिंदगी में दखल देते हैं,मेरे रुखसारों की मुस्कान को मायूसी में बदल देते हैं,जब हम लगाना चाहते हैं उन पर इलज़ाम कोई, वो जाने कौन सी अदल (युक्ति) से संभल लेते हैं, क्यों मुझपे वो इख़्तियार (अधिकार) जताते हैं इतना,

42

अयोध्या मुद्दे पर मेरी कुछ पंक्तियाँ

23 मार्च 2017
0
0
0

क्यों मंदिर और मस्जिद के मुद्दे को इतना प्रबल बनाया है, जबकि मंदिर में भगवान और मस्जिद में खुदाया है, उस मालिक की सुरक्षा में लगा ये जमाना है, जिसने इस सारे जहाँ को इतना खूबसूरत बनाया है, उसके लिए न्याय की तलाश है सारी आबाम को, जिसने गीता स

43

जिक्रे उल्फत

25 मार्च 2017
0
0
1

जिक्रे उल्फत का कुछ ऐसा नजारा था,मेरा सारा वक़्त उनका और उनका सारा वक़्त हमारा था, कभी लड़खड़ाते ही न थे कदम मेरे उनकी मौजूदगी में, ऐसा मेरे हमदम मेरे हमसफ़र का सहारा था, जाने कौन सी ख्वाहिशात हुई उनकी मुझे छोड़ के जाने की, करते थे उनसे इतनी मोहब

44

भगवान का व्यापार

27 मार्च 2017
0
0
0

जिसने बनाया है ये सारा संसार,उसी को लोगो ने बना लिया है व्यापार ,पढ़ लिखकर अब लोग पंडित हुआ करते हैं,दो अक्षर जो समझकर पढ़ ले अरबी के,उनसे लोग अपनी किस्मत बदलने की दुआ करते हैं,भूल गए हैं सारे गीता ज्ञान और पवित्र क़ुरआने आयत को,बस चले गर इ

45

प्यार अभी बाकी है

29 मार्च 2017
0
1
0

गर आज भी उनकी बातों में जिक्र हो मेरी फ़िक्र का,तो समझ लेना की प्यार अभी बाकी है,गर सुनाई न दे हमारी गुफ्तगू और अल्फाजो में थोड़ा लिहाज होतो समझ लेना तकरार अभी बाकी है,गर मौसम न सुहाना लगे और मेरी हर बात उन्हें बहाना लगे,तो समझ लेना उनका इंत

46

बेबस

30 मार्च 2017
0
0
0

क्या फर्क पड़ता है वो हँसे या रोये,उन्हें तो बस उसके जिस्म से प्यार है,वो कहाँ पहचान पाते हैं उसके आसुओं को बारिश में,न जाने वो कौन सी हवस के शिकार हैं,जब वो भरती है आहें बिस्तर पे उनके नजदीक,समझते वो उसे बेबस और लाचार हैं,वो टूट कर बिखरती

47

andaje byaa

1 अप्रैल 2017
0
1
0

वो कहते हैं हमे मोहब्बत का अंदाजे बयां नहीं आता है,मगर मेरे सिवा उनकी तस्वीर ख्यालों में कौन बनाता है,फर्क इतना ही है उनकी और मेरी मोहब्बत में जनाब,उन्हें अपनी राजे मोहब्बत को छुपाना नहीं आता है,और हमे अपनी बेइम्तिहां मोहब्बत को जताना नहीं आता है,

48

जीने का सलीका

2 अप्रैल 2017
0
0
0

ए मेरे मालिक एक ऐसा भी आइना बना दे,जिसमे सूरत के साथ इंसान की सीरत भी दिखा दे,ऐसे तो हर तरफ ही अपनों का मेला है,मगर हक़ीक़त में आज अपनों के बीच ही इंसान अकेला है,ए मेरे मालिक कोई ऐसा भी तरीका बना दे,जो इंसान को जीने का सलीका सिखा दे,हर कोई सी

49

मेरा गुमान

4 अप्रैल 2017
0
0
1

छिन गया वो इख़्तियार मुझसे जिसपे कभी हुआ करता था गुमान,गवारा न था मुझे तुझसे दूर रहना पलक झुकने से उठने तक भी,मगर आज चुराते क्यों हो नजरें मुझसे ऐसे जैसे मैं हूं कोई अंजान,बस इतनी सी इक्तला दे दो मुझे की तुम मुस्कुराते हो अब भी क्या,क्योंकि

50

हमारा अंदाज

9 अप्रैल 2017
0
0
0

हम कोई बड़ा आसमां नहीं जो तुम हमे छूने को भी मोहताज़ हो,बस खुद को थोड़ा बदल कर देखो,हम कोई तेज़ धूप का झुलझुलाता सावन नहीं जो तुम्हे तपन का एहसास हो,बस मेरे लिए थोड़ा सा मचल कर देखो,हम कोई मुकदमा नहीं किसी गहरे गुनाह का जो तुम्हे हमपे न विश्वास

51

तुम्ही बता दो

13 अप्रैल 2017
0
0
1

कितना और कब तक तुम्हे आजमाऊ तुम्ही बता दो,हमेशा तो झुकाया है सर तुम्हारी ही खिदमत में,क्या खुद भी टूट कर बिखर जाऊ तुम्ही बता दो,इत्मिनान कब होगा तुम्हे मेरी बातो पे मेरे हमदम,क्या सदा के लिए खामोश हो जाऊ तुम्ही बता दो,आफताब सी लगने लगी है म

52

उनकी आजमाइश

18 अप्रैल 2017
0
0
0

वक़्त की आजमाइश में वो खुद की नुमाइश कर बैठे,जिसको पाने की हम दिन रात तमन्ना किये हुए थे,वो उसी आफताब को पाने की ख्वाहिश कर बैठे,बहुत समझाया उनको ज़माने की नियत का कायदा,मगर वो उस जहाँ की ही फरमाइश कर बैठे,जिसको कभी न देखने की हम कसम खाये बैठ

53

हमारा हिंदुस्तान

21 अप्रैल 2017
0
1
0

आज देखा माता की चौकी को एक मुस्लिम दे रहा था सहारा,वो अपना मजहब भूल कर सिर्फ पैसे था कमा रहा,फ़िक्र न थी उसको किसी भी लड़ाई दंगे की जनाब,वो तो बड़ी ख़ुशी से माता के कदमो में था फूलो को बिछा रहा,माता की चौकी के पीछे ही चल रहा था एक जनाजा भी,रोक

54

बेवफाई वफ़ा में बदलेगी जरूर

22 अप्रैल 2017
0
1
1

बेवफाई वफ़ा में बदलेगी जरूर एक बार उन्हें मेरे करीब आने तो दो,वो खुद ही संभालेंगे मुझे एक बार मुझे टूट कर बिखर जाने तो दो,इतनी नाजुक नहीं है हमारे इस अनमोल रिश्ते की डोर जनाब,एक बार उनको मेरे लिए अपनी नजरे झुकाने तो दो,वो ही आएंगे लेने हमेशा

55

जीते तो हम आज भी हैं

4 मई 2017
0
2
0

जीते तो हम आज भी हैं तेरे बिना मगर कोई कमी सी खलती है,सारे जहाँ की दौलत है फिर भी कोई दुआ इस दिल में पलती है,दूर रह लू तुझसे मगर ये तुझे देखे बिना न सोने की आदत कहाँ बदलती है,सुकून मेरे बिना पाना सीख लिया है तूने मगर मुझसे ये जिंदगी कहां सं

56

कहीं तो महफूज रखो

8 मई 2017
0
3
2

कहीं तो महफूज रखो मुझे अपने घराने में,कहीं उम्र न बीत जाए खुद को बचाने में,एक तो वैसे ही बदनाम हैं हम तेरी चाहत में,कहीं पकड़े न जाये तेरे साथ आने जाने में,घोसला बना कर तुमने तो खो दिया हौसला,मैं कैसे बसाऊ आशियाना तेरे बिना ज़माने में,बेदाम ह

57

आज मन फिर हुआ है कंवारा प्रिये

13 मई 2017
0
3
3

आज मन फिर हुआ है कंवारा प्रिये,आज मौसम भी लगता है प्यारा प्रिये,तेरी चाहत में बहका है मन ये मेरा,तेरी यादों में दहका है दिल ये मेरा,तेरी यादों से बचकर कहाँ जाउ मैं,तेरी तस्वीर से दिल को बहलाऊ मैं,आके रंग दो तुम्ही मन हमारा प्रिये,आज मौसम भी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए