एक तरफ तो सरकार का ये नारा है,
की भ्रष्टाचार रोकना संकल्प हमारा है,
मगर नोटबंदी करके सरकार ने भ्रष्टाचार को बढ़ाया है,
घर बैठे लोगो ने ही अपना १०० का नोट ५०० में चलाया है,
एक तरफ सरकार का कहना है की जन जन अपना खाता खुलवाए,
दूसरी तरफ आदेश है की एक खाते में केवल दो लाख ही जमा कराये,
पहले चलाई योजना सरकार ने सब्सिटी पाने की,
फिर लगा दी गुहार सब्सिटी को छुड़वाने की,
हर फैसला सरकार जनता की अनुमति के बिना सुनाती है,
फिर क्यों अपने को चुनने के लिए जनता से मतदान कराती है,