meri thkaan
आज जब हम गंगा दर्शन को जा रहे थे,पैर न जाने क्यों इतना घबरा रहे थे,महसूस हो रही थी एक अजीब सी थकान,मन ढूंढ रहा था बस बैठने का कोई स्थान,कुछ दूर तक हमने घुमाई निगाहें,एक बूढा व्यक्ति थकावट से भर रहा था आहें,शायद उसको किसी सवारी की थी तलाश,कोई बैठेगा उसके रिक्शे पे उसको थी आस,पुछा हमने उसके पास जाकर,क