कितना बदल गया है ये जमाना,
मुश्किल हो गया है बिना सोचे किसी को अपनाना,
हर तरफ बस दगावाज ही दगावाज हैं,
दुश्मन भी बना रहता खास है,
एक खूबसूरत रिश्ता हुआ करता था कभी माँ बेटे का,
आज उस रिश्ते में भी कभी न मिटने वाला दाग है,
क्या लिहाज बचा है आज की संतानो में,
हर तरफ विश्वास पे आघात है,
अपना ही आशियाना लगने लगा है बेगाना,
हर रिश्ते में दिखने लगी उसकी औकात है,
बिना मतलब का रिश्ता बनाता ही नही कोई आज,
हर किसी को हर किसी से कोई आस है,