ए मेरे मालिक एक ऐसा भी आइना बना दे,
जिसमे सूरत के साथ इंसान की सीरत भी दिखा दे,
ऐसे तो हर तरफ ही अपनों का मेला है,
मगर हक़ीक़त में आज अपनों के बीच ही इंसान अकेला है,
ए मेरे मालिक कोई ऐसा भी तरीका बना दे,
जो इंसान को जीने का सलीका सिखा दे,
हर कोई सीख जाये मुफ़लिश को देना इमदाद,
इच्छाओ को बदलना सीख जाये हर कोई वक़्त के साथ,
कभी कोई किसी की राह में काटें न बिछाये,
मजा आये जीने का गर उदासी में कोई अपना ही साथ निभाए,