तशरीफ़ को अपनी तकलीफ न दो मेरे आशियाने तक आने के लिए,
मैंने तो जिंदगी को छोड़ रखा है तुम जैसो के आजमाने के लिए,
अब तो सबकी ही हद देखनी है मुझे फलक तक जाने में,
कौन कितना बड़ा दाँव लगाता है खुद को जिताने के लिए,
एक एक कदम रखते हैं अब हम इतना देख भाल के,
पता नहीं किसने काटे बिछाये हो हमे गिराने के लिए,
ये जीवन की रेस का मैदान है जनाब,
हर कोई भाग रहा है दूसरों को हराने के लिए,
बच के चलना सीख लिया है मैंने नजरों के बार से,
खबर की नहीं है कौन बैठा है निगाहों से तीर चलाने के लिए,