कुदरत और हम आज हम सभी जानते हैं की कुदरत के साथ ही हम जुड़े हैं सभी जानते हैं कि पृथ्वी जल वायु आकाश और अग्नि हम सभी इसी पांच तत्वों के मिश्रण से इंसान बना हैं। सच और हकीकत के साथ हम सभी कुदरत और हम का जीवन जीते हैं परंतु हम सभी लोग मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा जाते हैं और ईश्वर को खोजते हैं परंतु ईश्वर तो हमारे अंदर स्वयं में है हम मंदिर मस्जिद गुरुद्वार जाते हैं और वहां एक शांति और एक ईश्वर का मान नाम सम्मान की परंपरा चली आ रही है। कुदरत और हम एक सच और हकीकत के साथ सभी के जीवन में होता है क्योंकि कुदरत प्राकृतिक और हम तो इंसान है क्योंकि बिना कुदरत की हम सभी इंसान कुछ नहीं है क्योंकि कुदरत एक हम सभी के जीवन का अनमोल हिस्सा है हमारा शरीर हमारी आत्मा हमारा मन हमारा जीवन की दिनचर्या सभी कुछ कुदरत के साथ जुड़ा है। और हम सभी कुदरत के साथ जीवन जीते हैं क्योंकि हम प्राकृतिक शरीर को साथ लेकर जीवन जीते हैं प्राकृतिक शरीर मतलब हमारा शरीर इंसान जो की जल वायु धरती आकाश और अग्नि से बना हैं। और हम सभी इंसान फिर भी अपने सौंदर्य अपने शरीर की बनावट पर अहम और वहम करते हैं। कुदरत के भी नियम बड़े विचित्र है वह इंसान का शरीर और इंसान को पैदा भी करती है और खाली-हाथ ही भेजती है और खाली हाथ ही ले जाती है। और इंसान की चाहने से भी इंसान जीवन के अंत समय में साथ कुछ नहीं लिया सकता केवल उसके कर्म और उसके कुदरत और हम का प्रतिफल ही उसके साथ जाता है जिस प्रकार श्री कृष्ण भगवान ने अर्जुन को उपदेश दिया था। सच तो यही है हम सभी के जीवन के सच कुदरत और हम हैं। गांव रामगढ़ में एक पंचायत हो रही है जिसमें राजू और मालती हम और कुदरत के साथ विषय पर पंच परमेश्वर से बात कर रही है कि ईश्वर कहां है ईश्वर क्या है पंच परमेश्वर कहते हैं मालती और राजू पंच परमेश्वर ही ईश्वर का ही रूप है। तुम ऐसा सवाल क्यों कर रहे हो जीवन और जिंदगी में सब लोग मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा जाते हैं वहीं ईश्वर रहता है यही एक सांसारिक और समाज का नियम है तब राजू और मालती कहते हैं कि जब हम मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा और ईश्वर को पूजते और मानते हैं। क्योंकि हमारे सब परंपरा के अनुसार हमारे पूर्वज और हम सभी ईश्वर को मंदिर और मस्जिद गुरुद्वारे में ही पूजते हैं परन्तु सच तो यह है कि हम सभी प्राकृतिक के अधीन है क्योंकि कुदरत और हम राजू और मालती कहते हैं। की पंच परमेश्वर तो आप हैं और गांव के सारे किस्से और सभी को आप पंच परमेश्वर कहलाते हैं तब आप बताइए की मालती राजू से विवाह कर सकती है। क्योंकि दोनों अनाथ है ना दोनों को जाति न घर न एक दूसरे का कोई दूसरा रिश्तेदार तब हम जीवन में किस तरह से एक दूसरे के लिए समझ सकते हैं सच पंच परमेश्वर राजू और मालती की बात से कुछ देर चुप रहते हैं और फिर कहते हैं कुदरत और हम सभी एक इंसान है ना किसी इंसान का कोई जाति या धर्म यह सब हम ही लोगों ने समाज में रहकर बनते चले आए कुदरत और हम एक सच केवल एक इंसान और या मनुष्य या मानव का नाम है सच तो यह है नारी और पुरुष कभी दो नहीं है नारी और पुरुष एक ही है परंतु हम सभी ने समाज के साथ-साथ परंपराओं के साथ अपने जीवन में चले आ रहे हैं जबकि आधुनिक समाज आजकल बदल रहा है और हम सभी देख रहे हैं की नित्य नए रोज नियम और कायदे कानून बदलते हैं जिससे ऐसा महसूस होता है कि हम और कुदरत अपने-अपने और अपने अपने तर्क समय के साथ-साथ बदलती रहती है। कुदरत और हम में राजू और मालती तो एक काल्पनिक किरदार है सच तो यह है कि हम सभी जीवन में कुदरत के साथ ही हम रहते हैं और कुदरत हमारे हर पल का हिसाब हमें देती है। सबसे सच एक उदाहरण है हम जब रात को सो जाते हैं तब सोने के बाद हम नींद में कुछ समझ नहीं पाते हैं। क्योंकि हम सभी नींद में होते हैं और नींद एक अचेतन अवस्था होती है अब हम सोचेंगे कि यह तो हमारा रूटीन वर्क है या प्रतिदिन का इंसान की दिनचर्या है। परंतु ऐसा नहीं है यह तो हम सब सोचते हैं की रात हो गई अब हमें सोना है। और हम सो जाते हैं अगर यह सच है तब हम सुबह जब उठते हैं तब हमें हर दिन की सुबह नयी नयी लगती है। और हम सुबह उठकर कोई काम भी पहले से निश्चित हुआ नहीं करते हैं सुबह उठकर से पहले अधिकतर लोग दैनिक दिनचर्या स निवृत्त होकर पवित्र और स्नान करके भगवान का नाम भी लेते हैं।
कुदरत और हम सभी जानते हैं कि जीवन तो क्षणभंगुर है और हम सभी को सांसारिक जीवन से एक न एक दिन जाना है परंतु हम जैसे ही मृत्यु या शमशान घाट के बारे में सोचते हैं सभी किसी को भी सही नहीं समझते हैं क्योंकि जीवन में हम सभी को सांसारिक आकर्षण कुदरत के साथ रहना जीवन जीना ही पसंद है यही हमारे जीवन की मोह माया आकर्षण है और हम किसी के जीवन के लिए या किसी के लिए नहीं रोते और जीते हैं। हम सभी अपने स्वार्थ फरेब और मतलब के लिए हम सभी जीवन जीते हैं बस इंसान तो इंसान है जब तक धन संपत्ति का अहम और वहम है।
आज की कहानी कुदरत और हम बस हमको यही बताती है कि हम सभी लोग कुदरत के साथ हम हैं और कुदरत जब चाहे तब हमें अपनी संसार और समाज से दूर कर सकती है और सच के लिए हमारे पास इतिहास और बहुत से सच मौजूद है जैसे बाढ़ आना करोना काल ऐसी बहुत सी त्रासदियां मौजूद हैं। कुदरत और हम में कुदरत ही हमें जीवन का सबक बताती है और जब कुदरत सबक बताती है तब हम हम नहीं रहते हैं सच कुदरत और हम हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र