कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है। यह एक दीर्घकाल अवधि तक रह सकती है। कुष्ठ रोग बीमारी के लक्षणों और प्रभावों के बारे में अज्ञानता के कारण लोगों में गलत आशंका भी है। इस बीमारी से पीड़ित रोगियों का बिना देखभाल किए अलग और अकेला छोड़ देते है वे खुद को भेदभाव के कारण काफी हीनता महसूस करते हैं। ऐसा नहीं है कि कुष्ठ रोग ठीक नहीं हो सकता है रोगियों को ठीक होने के लिए सही उपचार के साथ-साथ उन्हें समाज से प्यार और बराबरी का स्थान मिलने पर उसके रोग काफी कम समय में उसे ठीक किया जा सकता है। कुष्ठ रोग होने में गरीबी भी काफी हद तक शामिल है।
कुष्ठ रोग होने का कारण
माइकोबैक्टेरियम लेप्रै एक जीवाणु है। यह नाक की अस्तर, ऊपरी श्वसन पथ और चरमपंथियों में नसों से प्रभावित होते हैं, कुष्ठ रोग हमारे शरीर की तंत्रिका-तंत्र में क्षति, मांसपेशी कमजोरी और त्वचा में घाव पैदा करता है और अगर सही समय से इसका इलाज नहीं किया जाता है तो इसका परिणाम काफी गंभीर हो सकता है।
कुष्ठ रोग मुख्यत 3 प्रकार के होते है-
1- तंत्रिका कुष्ठ रोग
तंत्रिका कुष्ठ रोग से मनुष्य के शरीर के प्रभावित अंगों की सवेदंशीलता समाप्त हो जाती है| चाहे प्रभावित हिस्से को काट भी देगे तो रोगी को कुछ भी पता नही चलता है| यानि की उसको दर्द महसूस नही होता|
2-ग्रन्थि कुष्ठ रोग
ग्रन्थि कुष्ठ रोग से शरीर मेंविभिन्न रंग के चकते व धब्बे पड़ जाते है| और शरीर में गांठे उभर आती है|
3-मिश्रित कुष्ठ रोग
मिश्रित कुष्ठ रोग में रोगी के प्रभावित अंगों की समाप्त सवेदंशीलता के साथ साथ दाग धब्बे पड़ जाते है और शरीर के प्रभावित क्षेत्र में गाठे निकल आती है|
कुष्ठ रोग के लक्षण
कुष्ठ रोग होने के शुरुआती लक्षण व संकेत को पहचानना काफी मुश्किल होता है और यह रोग धीरे-धीरे विकसित होता है। ज्यादातर मामलों में इन लक्षणों के विकसित होने में एक साल से अधिक का समय लग जाता है। कुष्ठ रोग होने के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण निम्न हो सकते है-
1. शरीर में चकते, धब्बे और चकते और धबो के क्षेत्र में असवेदंशीलता होना|
2. प्रभावित क्षेत्र में गाठों का उभरना|
3. प्रभावित क्षेत्र से मवाद व द्रव का बहना|
4. घाव का ठीक ना होना और लगातार खून का निकलना|
5. धीरे धीरे अंगों और त्वचा का गलना और नष्ट होना|
6. आंखों या पैर में दर्द होना
7.त्वचा का रंग बदलना,गांठ बनना ।
8.शारीरिक विकृति का होना।
9.नसों का क्षतिग्रस्त होना
10.त्वचा पर फफोले बनना
कुष्ठ रोग बढ़ जाने पर होने वाले लक्षण
बहुत बड़े अल्सर बनना
समय के साथ उँगलियां छोटी होना
चहेरे पर विकृतियां होना
कुष्ठ रोग के उपचार
इस रोग को अब मल्टी-ड्रग थेरेपी के साथ आसानी से इलाज किया जा सकता है, मल्टी-ड्रग थेरेपी रोगजनक को मारने और पीड़ितों को ठीक करने के लिए तीन दवाओं को जोड़ता है।अगर बीमारी का इलाज जल्दी किया जाता है तो विकलांगता और डिफिगरेशन से बचा जा सकता है, जबकि उपचार में देरी से रोगी को विकलांगता का शिकार होना पड़ सकता है। गंभीर कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। समान्य पीड़ित अपने परिवार या सहकर्मियों से अपने लक्षण या निदान को भी छिपा सकते हैं, नौकरी बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है, या अपने परिवार के साथ शारीरिक संपर्क से बच सकते हैं।
कुष्ठ रोग का इलाज इसके प्रकार पर निर्भर करता है। एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल इस संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाता है। इस रोग के इलाज के लिेए दवाएं काफी लंबे समय तक चल सकती है।एंटीबायोटिक दवाएं खराब हुई नसों का ठीक नहीं कर पाती है। कुछ एंटीबायोटिक दवाएं निम्न है लेकिन इनका सेवन आप डॉक्टर के सलाह के बिना नहीं करें।
डेपसोन
माइनोसाइक्लिन
ओफ़्लॉक्सासिन
क्लोफैजीमाइन
कुष्ठ रोग से बचाव
कुष्ठ रोग से बचाव के लिए उन रोगियों को इलाज औऱ परीक्षण आपको बिना समय गवाएं करवाना होगा ताकि परिवार में और किसी को यह बीमारी फैलने का खतरा नहीं हो।
जिन कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा हो उनके संपर्क में नहीं आना कुष्ठ रोगों से बचने का सर्वोत्तम उपाय है।
कुष्ठ रोग से ग्रसित रोगियों का इलाज करवाने में उनकी सहायता करें और परिवारजन को इसके प्रोत्साहित भी करें।
वर्तमान समय में कुष्ठ रोग के रोकथाम के लिए कोई कारगर टीके का निर्माण नहीं हो सका है हालांकि बीसीजी का टीका तो है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इससे कितना सुरक्षा मिल सकती है।