एकदम सही पढ़ा आपने एक ऐसा पदार्थ भी है जिसका स्वाद चखे बिना ही और उसका स्वाद बताए बिना ही उसको जीभ पर रखने मात्र से हो मौत हो जाती है। चलिए अब आपके आपके मन में उमड़ रहे इस सवाल का जबाव दे देते है आपने सायनाइड का नाम तो सुना ही होगा, अगर नहीं चलिए आज हम इस लेख के माध्यम से आपको इससे जुड़े तथ्यों और मिथकों के बारें में बताएंगे जिससे कि आप सायनाइड जहर के बारें में जान सकें-
क्या होता सायनाइड जहर?
यह एक प्रकार का जहर है जो अन्य जहर से अलग होता है इसमें कार्बन नाइट्रोजन नामक पदार्थ मौजूद होता है। यह इतना खतरनाक होता है कि इसे खाने के बाद इसके स्वाद को बताने से पहले ही मौत हो जाती है। सायनाइड जहर के खाने के बाद शरीर में उपस्थित कोशिकाओं और ऑक्सीजन के बीच एक दीवार के रुप में कार्य करने लगती है और जाहिर सी बात है कि अगर शरीर के कोशिकाओँ को ऑक्सीजन नहीं मिलेगा तो उनमें मृतक कोशिकाओं की संख्या बढ़ने लगेगी और व्यक्ति की मौत हो जाती है।
सायनाइड की खोज
स्वीडिश रसायन वैज्ञानिक कार्ल विलहेल्म ने सन् 1782 में सायनाइड जहर की खोज की थी। साइनड जहर घातक जहर तो है लेकिन इससे भी अधिक खतरनाक जहर धरती पर मौजूद है। सायनाइड जहर गैस और ठोस अवस्था में पाया जाता है और इसका ठोस अवस्था सबसे खतरनाक होता है और इसके अधिक मात्रा के सेवन पर यह शरीर को कुछ ही समय में मौत के घाट उतार सकता है। सायनाइड के अलावा इस विश्व में अन्य घातक जहर के रुप में पोलोनियम, डाइऑक्सिन, और डिमेथिलमरकरी शामिल है।
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सायनाइड के खाने पर
अगर सायनाइड जहर को द्रव के रुप में अगर लिया जाए तो व्यक्ति मौत चंद पलों में हो जाती है अगर उसे ठोस के रुप में सेवन किया जाए तो इसका प्रभाव इसके मात्रा पर निर्भर करता है और इसके संपर्क में आने से तेज सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत और बहोशी छा जाती है। इसके अलावा पेट में दर्द, गहरी नींद में सो जाना और व्यक्ति कोमा में पहुंच सकता है। अगर मात्रा अधिक हुई तो यह शरीर में 10-15 मिनट के अंदर सेवन करने वाली की मौत हो जाती है।
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सायनाइड के संपंर्क के आने पर इलाज
इस सायनाइड जहर के संपर्क के आने पर गला घुटने और सांस लेने में काफी तकलीफ की स्थिति पैदा हो जाती है और कोशिकाओं तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है। सायनाइड जहर के प्रभाव में आने पर इसका इलाज रोगी के स्थिती पर निर्भर करता है और डॉक्टर पता लगाने की कोशिश करते है कि आखिर वह कैसे इसके संपर्क में आया। स्थिती पता लगने के अनुसार ही इलाज प्रारंभ हो जाता है। रोगी की स्थिती गंभीर होने डॉक्टर शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए पीड़ित के शरीर में ऑक्सीजन मास्क के जरिए इसकी पूर्ति करता है और शरीर में उपस्थित जहर व विषैला पदार्थ को बाहर निकालने के लिए विशेष दवाओं को उपलब्ध करवाते है।
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