टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से फैलने वाली एक गंभीर बीमारी है। भारत में टायफाइड को मियादीबुखार,मोतीझारा और आंत्र ज्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह बैक्टीरिया से संक्रमित भोजन और पानी के सेवन से होता है। टाइफाइड का जीवाणु मनुष्यों के आंतो और रक्तप्रवाह में संचरण करता है। यह संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से होता है। यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्तियों के बीच फैलता है। यदि सही समय से इसका उपचार नहीं किया जाए तो यह घातक सिद्ध हो सकता है।
टाइफाइड रोग होने के कारण
टाइफाइड बुखार शरीर के पाचन तंत्र और ब्लटस्ट्रीम में बैक्टीरिया के संक्रमण फैलने की वजह से होता है। दूषित खाद्य पदार्थ के सेवन,प्रदूषित जल,जूस और पेय पदार्थों के सेवन करने पर साल्मोनेला टाइफा बैक्टीरिया हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है। टायफायड रोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहने के कारण भी हो सकता है। जब व्यक्ति मल त्याग करने के बाद अपने हाथों को ठीक तरीके से साफ नहीं करता है और भोजन को करता है तो यह बैक्टीरिया भोजन में प्रवेश होकर हमारे शरीर के भीतर चला जाता है। संक्रमित मानव मल के खाद से उगाई गई सब्जियों को कच्चा खाने से और दूषित दूध से बने पदार्थों के सेवन से भी टाइफाइड रोग होता है।
टाइफाइड होने का लक्षण
टाइफाइड से पीड़ित रोगियों के सीने में पीड़ा होती है और पेट में दर्द की शिकायत रहती है।इस बीमारी से पीड़ित लोगों को छाती और पेट पर गुलाबी रंग के दानें निकल आते है। कई दिनों से लगातार बुखार रहता है।टाइफाइड से पीड़ित रोगियों में निम्न लक्षण देखने को मिलता है-
रोगियों को भूख कम लगना
पूरे शरीर में लगातार दर्द बना रहना
तेज बुखार के ठंड लगना
लगातार दस्त का आना
सुस्ती कमजोरी और उल्टी की समस्या होना।
शरीर में सामान्य दर्द, ऐंठन और पीड़ा
पेट में दर्द होना
टाइफाइड का इलाज
टाइफाइड बुखार के इलाज के लिए मरीज को एंटीबायोटिक्स दवाएं दी जाती है जो सालमोनेला बैक्टीरिया को मारने में बहुत प्रभावी होती है। हालांकि ज्यादातर मामलों संक्रमण होने से निमोनिया, आंत में ब्लीडिंग और आंत में छिद्र हो जाने के कारण दवाओं के सेवन से पहले ही 25 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। अगर रोगियों सही समय पर एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने शुरुआत कर दे तो 2-3 दिन के अंदर मरीज के हालत में सुधार होना प्रारंभ हो जाता है। टाइफाइड बुखार ठीक करने के लिए क्लोराम्फेनिकोल (Chloramphenicol) दवा का उपयोग काफी लंबे समय से किया जा रहा है क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। टाइफाइड के इलाज के लिए अलग-अलग तरह के एंटीबायोटिक्स मरीज को दिये जाते हैं। अधिकतर मामलों में टाइफाइड के मरीज को सिप्रोफ्लोजैसिन(Ciprofloxacin) या ओफ्लोजैसिन(Ofloxacin) आदि दवाएं दी जाती हैं। टाइफायड के मरीज को ठीक होने में लगभग 7-12 दिन लग सकते है। हालांकि मरीज को टाइफाइड के बुखार से शरीर को पहुंची क्षति को पूरा करने में लगभग 1 महीनें से अधिक का समय लग जाता है क्योंकि इस बुखार के होने पर शरीर में काफी कमजोरी देखने को मिलती है। चिकित्सक मरीज को कुछ निम्न जांच करवाने के लिए कह सकते है-
टाइफायड जांच- रोगी के रक्त का नमूना एक किट में डालकर जांच की जाती हैं। इसका परिणाम सकारात्मक आने पर टाइफायड बुखार का निदान किया जाता हैं।
खून की जांच-यह बिमारी के पहले हफ्ते में रक्त में टाइफायड बुखार का बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच करने के लिए किया जाता हैं।
मल की जांच- यह रोगी व्यक्ति के मल में टायफाइड बुखार का बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच करने के लिए किया जाता हैं।
विडल जांच- इस जांच में रोगी व्यक्ति के रक्त की जांच की जाती हैं। इसमें O और H एंटीजन में 180 से ज्यादा अनुपात आने पर टायफाइड बुखार का निदान किया जाता हैं।
सोनोग्राफी या एक्स-रे- पीड़ित व्यक्ति पेट को अधिक पेट दर्द और उलटी होने पर आंतो में अल्सर का निदान करने हेतु यह जांच की जाती हैं।
टाइफाइड बुखार में घरेलू उपचार
1. तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से टाइफाइड में राहत मिलती है।
2. लहसुन की तासीर गर्म होती है और यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। घी में 5 से 7 लहसुन की कलियां पीसकर तलें और सेंधा नमक मिलाकर खाएं।
3. सेब का जूस निकालकर इसमें अदरक का रस मिलाकर पिएं, इससे हर तरह के बुखार में राहत मिलती है।
4. पके हुए केले को पीसकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार खाएं।
5. लौंग में टाइफाइड ठीक करने के गुण होते हैं। लौंग के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। आठ कप पानी में 5 से 7 लौंग डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए इसे छान लें। इस पानी को पूरा दिन पीएं। इस उपचार को एक हफ्ते लगातार करें।