shabd-logo

महागौरी माता

24 अक्टूबर 2020

622 बार देखा गया 622
featured image

विधाता छन्द

1222 1222 1222 1222

सुनो माता महागौरी, यही अरदास लाया हूँ।

मिले दर्शन मुझे मैया, लिए इक आस आया हूँ।

करूँ गुणगान मैं तेरा, चढ़ाऊँ पुष्प माला माँ।

करो उद्धार अब मेरा, कृपा कर दृष्टि डालो माँ।


तुम्हीं लक्ष्मी तुम्हीं दुर्गा, तुम्हीं तो मात! काली हो।

दुखी जो द्वार पर आये, न जाए हाथ खाली वो।

करे जो मातु की पूजा, भरें भंडार उनके ही।

न आये कष्ट जीवन में, मिले खुशियां भरे धन भी।


■अभिनव मिश्र"अदम्य"

अभिनव मिश्र"अदम्य" की अन्य किताबें

1

स्त्री अभिलाषा

6 सितम्बर 2020
0
0
0

स्त्री अभिलाषा चाह नहीं मैं क्रूर व्यक्ति,अनपढ़ संग थोपी जाऊं । चाह नहीं पौधे की तरह, जब चाहे जहां रोपी जाऊं ।। चाह नहीं शादी की है, जो दहेज प्रथा में मर जाऊं । चाह नहीं अपने अधिकारों, से वंचित रह जाऊं ।। हम अवला को कुछ और नहीं,

2

सरस्वती वंदना

6 सितम्बर 2020
0
0
0

🙏सरस्वती वंदना🙏मां भारती ! सुरवंदिता ! विद्या विनय ! सुरताल दो ! मां ज्ञानदा ! सौदामिनी ! दो ज्ञान की तुम रोशनी !मुझ पे कृपा अब डाल दो ।विद्या विनय सुरताल दो ।। दोषादि सब संहार दो, लक्ष्यादि को संधान दो, नव नित हमें पड़ताल दो ।विद्या विनय सुरताल द

3

मरीजों सा हुआ है अब हमारा हाल कुछ ऐसा

23 सितम्बर 2020
0
0
0

मरीजों सा हुआ है अब, हमारा हाल कुछ ऐसा ।सुने हर बात दिल की जो, हमारा यार है ऐसा ।।गयी क्यों फेर के नजरें, ज़माने के बहाने से ।इशारो में दिया उसने, मुझे पैगाम कुछ ऐसा ।।

4

हिंदुस्तान के युव हिंदी अब कहते भी शर्माते हैं

23 सितम्बर 2020
0
0
0

हिंदी दिवस पर विशेष___ *प्रतियोगिता हेतु* *मातृभाषा,हिन्दी* *हास्य,कविता* 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦 देश हमारा उन्नति पर है, सब अंग्रेजी बतलाते हैं ।हिंदुस्तान के युवा हिंदी, अब कहते भी शर्माते है ।🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷कविता हो या छन्द-वन्दना,

5

दुःखित कृषक है बेचारा

10 अक्टूबर 2020
0
0
0

विधा-लावड़ी महंगाई की इस दुनिया में, दुःखित कृषक है बेचाराबदल गयी ये दुनियां देखो, बदला है जीवन सारा उठे अंधेरे प्रात सवेरे डोर हाँथ ले बैलों कीफसल उगाने की चाहत मेंचाल लगा दी खेतों कीन धूप से वो विचलित होतेन छांव की चाहत भरतेकरे परिश्रम कठिन हमेशासदा सभी ऋतुएँ सहतेकठिन परस्थिति में किसान तो, कर लेता

6

अभिनव मिश्र"अदम्य

11 अक्टूबर 2020
0
0
0

7

नौकरी का भूत

11 अक्टूबर 2020
0
0
0

[12/09/2020 ]*नौकरी का भूत* (व्यंग्य-कविता)पढ़ लिख के मैं बड़ा हुआ जब, ये मन में मैने ठाना ।जिन सब का था कर्ज पिता पर, वो मुझको जल्द चुकाना ।नौकरी की आस को लेकर, निकला घर से मतवाला ।सफल सफर करके भैया मैं, पहुच गया हूँ अम्बाला।***दो महिनें तक करी नौकरी , मन को थी कुछ ना भायी ।पता चला कुछ भर्ती निकली

8

आराध्य पिता जी

11 अक्टूबर 2020
0
0
0

यह कविता मेरे आराध्य पिता जी को समर्पित:-देखो दिवाली फिर से कुछ, यादें लाने वाली है।पर तेरी यादों से पापा, लगती खाली-खाली है।।याद आता है पापा मुझ को साथ में दीप जलाना।कैसे भूलूँ पापा मैं वो, फुलझड़ियां साथ छुटाना।।दीपावली में पापा आप, पटाखे खूब लाते थे।सबको देते बांट पिता जी, हम सब खूब दगाते थे।।तेरे

9

अभिनव मिश्र

11 अक्टूबर 2020
0
0
0

10

कुपंथी औलाद

13 अक्टूबर 2020
0
0
0

कुपंथी औलादआज के दौर में पुत्र माता पिता को, सदा दे रहे गालियां घात की।वो नहीं जानते नाज से थे पले, मन्नतों से हुए गर्भ से मातु की।ढा रहे वो सितम और करते जुलममारते मातु को और धिक्कारते।डांट फटकार कर एक हैवान बनवृद्ध माँ बाप को घर से निकालते।नौ महीने तुझे गर्भ में माँ रखी, उंगली उसकी पकड़ तू चला हाँथ

11

मधुमास गीत

19 अक्टूबर 2020
0
0
0

गीतमधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।महकी हुई फिजाएं, मनको लुभा रही है।जब फूल-फूल तितली, खुशबू बिखेरती थी।महकी हुई हवाएं, संवाद छेड़ती थी।कोयल सदा वनों में, हैं राग प्रीत गाये।मौसम वही सुहाना, मुझको सदा लुभाये।महकी हुई धरा मन, मेरा लुभा रही है।मधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।भौंरे क

12

मेरे प्यारे पापा

19 अक्टूबर 2020
0
0
0

13

अभिनव मिश्र

19 अक्टूबर 2020
0
1
0

14

माँ कात्यायनी वन्दना

22 अक्टूबर 2020
0
0
0

हरिगीतिका छन्द,2212 2212 2, 212 2212हे! मात! नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात्यायनी।अवसाद सारे नष्ट कर हे, मात! मोक्ष प्रदायनी।हे! सौम्य रूपा चन्द्र वदनी, रक्त पट माँ धरिणी।हे! शक्तिशाली नंदिनी माँ, सिंह प्रिय नित वाहिनी।माथे मुकुट है स्वर्ण का शुभ, पुष्प कर में धारिणी।हे! मात!नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात

15

महागौरी माता

24 अक्टूबर 2020
0
0
0

विधाता छन्द1222 1222 1222 1222सुनो माता महागौरी, यही अरदास लाया हूँ।मिले दर्शन मुझे मैया, लिए इक आस आया हूँ।करूँ गुणगान मैं तेरा, चढ़ाऊँ पुष्प माला माँ।करो उद्धार अब मेरा, कृपा कर दृष्टि डालो माँ।तुम्हीं लक्ष्मी तुम्हीं दुर्गा, तुम्हीं तो मात! काली हो।दुखी जो द्वार पर आये, न जाए हाथ खाली वो।करे जो मा

16

कविता क्या है?

2 नवम्बर 2020
0
1
1

कविता क्या है?सुबह के सूर्य से लेकर, निशा का चाँद है कविताभरे रस छन्द हो जिसमें, वही इक स्वाद है कविताविरह की वेदना संवेदना श्रंगार है कविताभरी जो भावना उर में, वही उद्गार है कवितालिखी जो पन्त दिनकर ने, ह्रदय का प्यार है कविताभरे जो दर्द घावों को, वही उपचार है कविताकड़ी सी धूप में मिलती, वही इक छांव

17

सरदार पटेल

2 नवम्बर 2020
0
0
0

विधा- दोहाविषय-लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल दृढ़ संकल्पो से सदा, खेला जिसने खेल।उस युगद्रष्टा को कहे, जग सरदार पटेल ।निज कर्मों से ही किया, सपनों को साकार।रियासतों से ही दिया, नव भारत आकार।आन्दोलन नेतृत्व कर, हित में रहा किसान।बहनों ने सरदार कह, किया सदा सम्मान।चारित्रिक दृढ़ से पड़ा, लौह पुरुष था ना

18

मत्तगयंद सवैया

6 नवम्बर 2020
0
0
0

मत्तगयंद सवैयासात भगण अंत दो गुरु211 211 211 211, 211 211 211 22साजन छोड़ गए परदेश लगे घर सून मुझे दिन राती।दूर पिया सुध में प्रियसी दिन रात जलूं जस दीपक बाती।कौन कसूर हुआ हमसे प्रिय छोड़ गए सुलगे निज छाती।ब्याह किया खुश थे कितना पर आज कहें मुझको अपघाती।निश्चल प्रेम किया उनसे समझे न पिया दिल की कछु बा

19

करवा चौथ

6 नवम्बर 2020
0
0
0

जला के प्रीत का दीपक रहे उपवास वो निर्जलसजे श्रंगार सब देखो लगा है आंख में काजलपहन कंगन लगा बिंदी बंधी हैं पांव में पायलछुपेगा चांद भी इनसे, करेंगी रूप से घायलअभिनव मिश्र"अदम्य

20

अभिनव मिश्र"अदम्य

6 नवम्बर 2020
0
1
0

प्रतियोगिता के सम्मान पत्र

21

गरीब की दीवाली

13 नवम्बर 2020
0
0
0

गरीब की दीवाली दीवाली के दिए जले हैं घर-घर में खुशहाली है।पर इस गरीब की दीवाली लगती खाली खाली है।पैसा वालों के घर देखोअच्छी लगे सजावट है।इस गरीब के घर को देखोटूटी- फूटी हालत है।हाय-हाय बेदर्द विधातागला गरीबी घोट रही।बच्चों के अब ख्वाब घरौंदेलाचारी में टूट रही।जेब पड़ी है खाली मेरीकैसे पर्व मनाऊं म

22

माँ शारदे

15 नवम्बर 2020
0
0
0

वर्ड पिरामिडहे!मातु!शारदेतम दूरमेरे कर देन हो कभी अहंमातु कृपा कर देमैंहूँ माँअज्ञानीकर जोड़करूँ विनतीहे हँसासिनी माँज्ञान सार भर दे स्वरचित:-अभिनव मिश्र"अदम्यशाहजहांपुर,उत्तरप्रदेश

23

तुलसी विवाह

25 नवम्बर 2020
0
0
0

#देवउठानि_एकादशीविषय- तुलसी विवाहतुलसी महिमा मैं गाउँ।तुम सबको आज सुनाऊ।थी वृन्दा एक कुमारी।बचपन से धर्म पुजारी।थी विष्णु भक्त वो प्यारी।है जिनकी महिमा न्यारी।कर दानव कुल में शादी।पतिव्रता धर्म की आदी।जालंधर नाम बखाना।देवों का शत्रु पुराना।था देवों का अपकारी।हरि भक्त मिली थी नारी।नारायण छल कर डाला।

24

दौलत के खातिर

5 दिसम्बर 2020
0
0
0

गीत ******** जीवन उलझा मेरा दौलत को कमाने में।हम भूल गए घर को कुछ वक्त बिताने में।सब छूट गए अपने बस याद बसी मन में।हूँ आज दुखी फिर भी रहता खुश जीवन में।परदेश बसे आकर घरद्वार छुटा अपना।है आज दुखित माता सूना ममता अँगना।हूँ आज नही सुख में अवशोष जमाने में।जीवन उलझा मेरा दौलत को कमाने में।बस च

25

ग़ज़ल

5 दिसम्बर 2020
0
0
0

ग़ज़ल221 1222 221 1222काफ़िया-आररदीफ़- नहीं होगाअपमान किसानों का स्वीकार नही होगा।इक बार किया तुमने हर बार नही होगा।ये बन्द करो नाटक जो खेल रहे हो तुम,गर वार किया तुमने इकरार नहीं होगा।दिन रात परिश्रम कर खाद्यान्न उगाता मैं,इस बार हुआ फिर से बेकार नहीं होगा।धोखे से छला तुमने हर बार किसानों को,इस बार अन्

26

कुण्डलिया

6 दिसम्बर 2020
0
0
0

कुण्डलियाहास्यदेखो कैसे फेसबुक, लड़ा रहे सब गप्प।चला रहे सब व्हाटसप, कामकाज सब ठप्प।कामकाज सब ठप्प, चलाते यूटुब लाला।आज सभी को व्यस्त, जिओ सिम ने कर डाला।करें वीडियो काल, और ले सेल्फी ऐसे।मुँह के कोने चार, करे सब देखो कैसे।अभिनव मिश्र अदम्य

27

दोहा ग़ज़ल

8 दिसम्बर 2020
0
0
0

दोहा ग़ज़लकोरोना इक वायरस, परेशान संसार।पूरे जग में मच रहा, देखो हाहाकार।हाँथों को तुम जोड़कर, सबको करो प्रणामकोरोना ने कर दिया, मानव को बीमार।निश्चित दूरी कीजिये, मुह पर पहनो मास्कहाँथों को तुम ध्यान से, धोना बारम्बार।बैठे सब बेकार हैं, कामगार मजदूरकोरोना की मार से, दिखते सब लाचार।बाहर जाने से प्रथम,

28

आरक्षण विरोध

9 दिसम्बर 2020
0
0
0

ताटंक छन्द16,14 की यति अंत 222 सेआरक्षण की बात करे जो, कब तक इसे बढ़ाओगे।जाति पाति का भेद-भाव ये, कब तक तुम दिखलाओगे।। आरक्षण जो रहा देश में, भेद नही मिट पायेंगे।चाहें जितनी कोशिश कर लो, इसमे ही बट जायेंगे।।

29

शारदे वन्दना

17 दिसम्बर 2020
0
0
0

कलाधर छन्दशारदे समग्र शुद्ध, भाव का विचार सार,दिव्य ज्ञान की मिठास, मातु आप दीजिये।काम क्रोध मोह लोभ, पाप को मिटाय मातु,चित्त की मलीनता को, दूर आप कीजिये।कीजिये विनाश मातु, रोग दोष का सदैव,अंधकार को मिटा, हमे उबार लीजिये।धर्म कर्म रीति नीति, सभ्यता स्वभाव शान्ति,सत्य नेह भावना, सुज्ञान मातु दीजिये।अ

30

जय माँ शारदे

17 दिसम्बर 2020
0
0
0

कलाधर छन्दशारदे समग्र शुद्ध, भाव का विचार सार,दिव्य ज्ञान की मिठास, मातु आप दीजिये।काम क्रोध मोह लोभ, पाप को मिटाय मातु,चित्त की मलीनता को, दूर आप कीजिये।कीजिये विनाश मातु, रोग दोष का सदैव,अंधकार को मिटा, हमे उबार लीजिये।धर्म कर्म रीति नीति, सभ्यता स्वभाव शान्ति,सत्य नेह भावना, सुज्ञान मातु दीजिये।अ

31

अटल जी की जयंती

24 दिसम्बर 2020
0
0
0

#मुक्तक रत्न पुरुष बन विश्व पटल पर, नाम देश का बढा गया।हिन्द देश का कलम सिपाही, पाठ सहिष्णुता पढ़ा गया।आज जयंती पर उसकी आ, मिलके शीश नवाएं हमइतिहासों के पन्नो पर जो, नाम अटल इक चढ़ा गया।अदम्य

32

अटल जी की जयंती

24 दिसम्बर 2020
0
0
0

दोहा मुक्तकअटल बिहारी जी हुए, भारत रत्न महान।राजनीति के सन्त थे, हिन्द देश की शान।कलम सिपाही भी बने, कविता लिखी तमाम,विश्व पटल पर देश का, सदा बढ़ाया मान। अभिनव मिश्र अदम्य

33

शारदे वन्दना

4 जनवरी 2021
0
0
0

*सादर समीक्षार्थ*पंचामर छन्द121 212 12, 121 212 12सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे।मिटाय अंधकार को, प्रकाश को उबार दे।जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हँसवाहिनी।स्वभाव में मधुर्यता, रहे सदा सुवासिनी।सुमार्ग पे चलूँ सदा, विहंग सी उड़ान दो।सुसभ्यता सदा रहे, हमें नवीन ज्ञान दो।पुनीत भाव दो हमें, दयालु देव

34

बेटी की पुकार

15 जनवरी 2021
0
0
0

सगुण छन्द122 122 122 121कहे गर्भ से आज बेटी पुकार।नही इस तरह कोख में मातु मार।यही चाहती माँ तुम्हीं से जवाब।बनी बेटियाँ क्यों जगत में खराब।रहीं देश में बेटियाँ भी सुजान।सदा आप समझो सुता-सुत समान।करो माँ न कच्ची कली पे प्रहार।नही इस तरह कोख में मातु म

35

अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित हुए कवि अभिनव मिश्र 'अदम्य'

22 जनवरी 2021
0
0
0

अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित हुए अभिनव मिश्र अदम्यशाहजहांपुर जिले के एक छोटे से गांव हरिबल्लभपुर के निवासी कवि अभिनव मिश्र अदम्य ने विश्व हिन्दी दिवस पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभागता की जिसमें उन्हें "अंतरराष्ट्रीय सृजनकार सम्मान 2020" से सम्मानित किया गया। अदम्य जी बहुत खुश

36

जोगीरा सारा रा रा रा

4 मार्च 2021
0
0
0

चाहें महँगा हो जाये पेट्रोल डेढ़ सौ पार।अच्छे दिन की कमी नही है, बढ़िया यह सरकार-जोगीरा सारा रा रा रा।।राजनीति में करते नेता, रुपयों से हैं खेल।महँगाई में बढ़ता देखो, आज नमक और तेल-जोगीरा सारा रा रा रा।।झूठे वादे करके नेता, लड़ते खूब चुनाव।भोली-भाली जनता के दिल, पर करते हैं घाव-जोगीरा सारा रा

37

शबरी जयंती

5 मार्च 2021
0
0
0

आज कुटिया पधारे जो श्रीराम जी, देख शबरी कि आँखे सजल हो गयीं।राह में फूल नित जो सजाती रही, साधना आज उसकी सफल हो गयी।।रूप सुन्दर मनोहर धनुष हाथ में, और हैं साथ में भ्रात उनके लखन।राम ने जब कुटी में किया आगमन, देखते ही प्रफुल्लित हुआ आज मन।।प्रेम से दौड़ शबरी मिली राम से, आज कठनाइयाँ सब सरल हो गयी।राह म

38

माँ अम्बे स्तुति

27 मार्च 2021
0
0
0

*माँ अम्बे स्तुति*पंचचामर छन्द121 212 12, 121 212 12नमामि मातु अम्बिके त्रिलोक लोक वासिनी!विशाल चक्षु मोहिनी पिशाच वंश नाशिनी!!समस्त कष्ट हारिणी सदा विभूति कारिणी!अनंत रूप धारिणी त्रिलोक देवि तारिणी!!सवार सिंह शेष पे महाबला कपर्दिनी!असीम शक्ति स्त्रोत मातु चण्ड मुण्ड मर्

39

मातृ दिवस

9 मई 2021
0
0
0

माँ से ही जीवन मिला, और मिला शुभ नाम।माँ के आशीर्वाद से, बनते बिगड़े काम।।माँ तो पावन प्रीति है , माँ शीतल जल धार।माँ के आँचल में छिपा, ममता प्यार दुलार।अभिनव मिश्र अदम्य

40

वैवाहिक वर्षगाँठ

17 मई 2021
0
0
0

प्राणप्रियेसरसी छन्द16,11 की यति 27 मात्रएं अंत 21 सेमेरी प्राणप्रिये तुम हमको, जन्म जन्म स्वीकार।तुम ही मेरे जीवन की हो, जीने का आधार।तुम मेरे दिल की धड़कन हो, तुम ही मेरी सांस।तुमसे कुछ उम्मीदें मेरी, तुमसे ही कुछ आस।करती सेवा सदा हमारी, रखती हर पल ध्यान।अगर समस्या में चिंतित हूँ, करती तुम आसान।कभी

41

आवारा परदेशी awara pardeshi

22 मई 2021
0
0
0

गीत- आवारा परदेशीमै आवारा परदेशी हूँ, मेरा नही ठिकाना रेओ मृग नयनों वाली सुनले, मुझसे दिल न लगाना रेजब तीर नज़र का किसी ज़िगरको पार कभी कर जाता हैप्यार मुहब्बत में बेचाराचैन नही फिर पाता हैघुट-घुट फिर जीना होता है, पड़ता अश्क़ बहाना रेओ मृग नयनों वाली सुनले, मुझसे दिल न लगाना रेइस दिल का उस दिल से

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए