विधा- दोहा
विषय-लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल
दृढ़ संकल्पो से सदा, खेला जिसने खेल।
उस युगद्रष्टा को कहे, जग सरदार पटेल ।
निज कर्मों से ही किया, सपनों को साकार।
रियासतों से ही दिया, नव भारत आकार।
आन्दोलन नेतृत्व कर, हित में रहा किसान।
बहनों ने सरदार कह, किया सदा सम्मान।
चारित्रिक दृढ़ से पड़ा, लौह पुरुष था नाम।
विघटनकारी तत्व को, सदा मिटाना काम।
विषम परिस्तिथ में सदा, अटल रहे जज्बात।
दृढ़ संकल्पों से भरा, सदा तुम्हारा गात।
जूनागढ़ षड्यंत्र का, तुमने किया विनाश।
लोगों के मन में जगी, नयी उमंगे आस।
युगों-युगों गाते रहें, अमर कीर्ति का गान।
अखण्ड भारत का बढ़े, इसी तरह से मान।
आज़ादी में देश की, नायक रहे महान।
रहे आचरण के धनी, भारत की थे शान।
अभिनव मिश्र"अदम्य
शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश