मैले दर्पण दोष दे रहे गोरे चेहरों को
बुरा समय है यार पूजते सभी अन्धेरों को
चापलूस क़लमों ने ओढ़ी चादर सोने की
सच्ची क़लमो के घर पर आवाज़ें रोने की
पीछे से आवाज़ दे रहे गूंगे-बहरों को
कोरे काग़ज़ को कहलाए वेदो की वाणी
और वेद थे जो उनके घर, पन्ने पर पानी
है उपनगर गाली देते बूढ़े शहरों को