23 सितम्बर 2015
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संपर्क -- + ९१९५५५५४८२४९ ,मैं अपने विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य की विभिन्न गतिविधियों में संलग्न रहा|आगरा वि.वि.से लेखा शास्त्र एवं हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की ,फिल्म निर्देशन व पटकथा लेखन में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की |सर्वप्रथम मुंबई को अपना कार्यक्षेत्र बनाया |लेखक-निर्देशक श्री गुलजार के साथ सहायक फिल्म निर्देशक के रूप में कार्य किया|पटकथा लेखन में श्री कमलेश्वर के साथ टी.वी.के लिए कार्य कर दिल्ली वापस लौट आया|तत्पश्चात दिल्ली दूरदर्शन में दूरदर्शन निदेशक डॉ.जॉन चर्चिल,श्री प्रेमचंद्र आर्या के साथ कार्य किया|साथ ही साथ आकाशवाणी आगरा,दिल्ली,नजिवाबाद केन्द्रों से काव्यपाठ एवं नाटक,एकांकी के लिए कार्य किया |२००२ से अपना व्यवसाय करते हुए साहित्यक कार्यक्रमों में मेहमान वक्ता-प्रवक्ता एवं दिग्दर्शक के रूप में स्वतंत्र रूप से सेवारत हूँ । D
शब्द की धुन पर थिरकना ,बोलना, जिसने सिखाया , ह्रदय-तंत्री के सुरों को , छेडना जिसने बताया , रात भी उस छवि -छटा में,ढल गई हो उषा में , जो हो सुगन्धित आज तक ,घुलती रही हो हवा में , कौन वह अदृश्य?जिसकी,दृश्यमय कृतियाँ बहुत हैं, अनूठा शब्द संयोजन ,साथक भावाभिव्यक्ति !
28 सितम्बर 2015
विकास जी आपका धन्यवाद !
24 सितम्बर 2015
बहुत बहुत अच्छी
24 सितम्बर 2015
ये रचना आपको आकर्षित कर सकी इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ,शर्मा जी आपके शब्द हमारी शब्दरचना में संजीवनी का कार्य करते हैं ।
23 सितम्बर 2015
शून्य की अंतर-व्यथा से कर लिया हमने वरण , ग्रहण तम से , प्रणय करता ,जूझता अन्तःकरण , जन्म से परिचय अधूरा ,मृत्यु की तिथियाँ बहुत हैं.......... उत्कृष्ट रचना !
23 सितम्बर 2015