7 सितम्बर 2015
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संपर्क -- + ९१९५५५५४८२४९ ,मैं अपने विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य की विभिन्न गतिविधियों में संलग्न रहा|आगरा वि.वि.से लेखा शास्त्र एवं हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की ,फिल्म निर्देशन व पटकथा लेखन में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की |सर्वप्रथम मुंबई को अपना कार्यक्षेत्र बनाया |लेखक-निर्देशक श्री गुलजार के साथ सहायक फिल्म निर्देशक के रूप में कार्य किया|पटकथा लेखन में श्री कमलेश्वर के साथ टी.वी.के लिए कार्य कर दिल्ली वापस लौट आया|तत्पश्चात दिल्ली दूरदर्शन में दूरदर्शन निदेशक डॉ.जॉन चर्चिल,श्री प्रेमचंद्र आर्या के साथ कार्य किया|साथ ही साथ आकाशवाणी आगरा,दिल्ली,नजिवाबाद केन्द्रों से काव्यपाठ एवं नाटक,एकांकी के लिए कार्य किया |२००२ से अपना व्यवसाय करते हुए साहित्यक कार्यक्रमों में मेहमान वक्ता-प्रवक्ता एवं दिग्दर्शक के रूप में स्वतंत्र रूप से सेवारत हूँ । D
गतिरोध है क्योंकि उनको हटाया नहीं गया है. सास्वत है ये गतिरोध. एल जाती है तो दूसरी आ जाती है.n चिंता मत कीजिये इसे ही जिंदगी कहते हैं. बड़ी समस्या मतलब बड़ा अवसर भी तो होता है.
29 अक्टूबर 2015
हाथ की चंचल लकीरें क्षणिक बदले रूप अपना , कर्म से अवतीर्ण होती ,देखती नित नवल सपना...उत्कृष्ट रचना !
9 सितम्बर 2015
हाथ की चंचल लकीरें क्षअनिक बदले रूप अपना , कर्म से अवतीर्ण होती ,देखती नित नवल सपना , तोडती प्रितिबंध लेकिन ,ना कभी आगे बढ़ी हैं । ।...अत्यन्त मार्मिक
7 सितम्बर 2015
वर्तिका जी बहुत - बहुत धन्यवाद !
7 सितम्बर 2015