रिक्त पात्र – शून्य क्या करना है पूर्ण पात्र का, उसका कोई लाभ नहीं है |रिक्त पात्र हो, तो उसमें कितना भी अमृत भर जाना है ||1||सकल सृष्टि है टिकी शून्य पर, और शून्य से आच्छादित है |शून्य से है पाता प्रकाश जग, पूर्ण हुआ तो अन्धकार है |क्या करना है आच्छादन का, मुझको तो प्रक
मैंनेदेखा खिड़कीकी जाली के बीच से आती रेशमकी डोर सी प्रकाश की एक किरण को मुझ तकपहुँचते ही जो बदल गई एकविशाल प्रकाश पुंज में औरलपेट कर मुझे उड़ा लेचली एक उन्मुक्त पंछी की भाँतिउसी प्रकाश-किरणके पथ से / दूर आकाश में जहाँकोई अनदेखा भर रहाथा वंशी के छिद्रों में / अलौकिक सुरों के आलाप जहा
घर घर में दीप जलाने हित जो खुद जलताथा हर एक पल वो दीप आज बुझ गया, मगर ज्योतित कर ये संसार गया |||भारत की अतुलित वाणी की गोदी सूनी होगई आज कर अटल सत्य का वरण आज वह परमतत्व मेंलीन हुआ || माँ भारती के वरद पुत्र - शत शत नमन काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ, गीत नया गाता हूँ हा
रात भर से रुकरुक कर बारिश हो रही है - मुरझाई प्रकृति को मानों नए प्राण मिल गए हैं... वो बातअलग है कि दिल्ली जैसे महानगरों में तथा दूसरी जगहों पर भी - जहाँ आबादी बढ़ने केसाथ साथ “घरों” की जगह “मल्टीस्टोरीड अपार्टमेंट्स” के रूप में कंकरीट के घनेजंगलों ने ले ली है... बिल्डिंग
एकाग्रता, प्रेम, शान्ति, आशा, उत्साह और उमंग – जीवन जीने के लिए इन्हीं सबकीआवश्यकता होती है – और हरितवर्णा प्रकृति हमें यही उपहार तो देती है... आइये अपनीइस प्रेरणास्रोत हरि भरी प्रकृति का स्वागत करना अपना स्वभाव बनाएँ...
लहरों का या खेल अनोखा, लहरों कायह खेल |एक लहर इस तट को जाती, दूजी उसतट को है जाती कभी कभी पथ में हो जाता है दोनोंका मेल ||अनगिन नौका और जलयान यहाँ हैंलंगर डाले रहते और अनगिनत राही इस उस तट परनित्य उतरते रहते |इसी तरह तो वर्ष सदी और कल्पयहाँ हैं बीते जाते पर न कभी रुकने पाता है ऐसाअद्भुत खेल ||एक सना
(यहां न बात धर्म की है ,न किसी विशेष जाति की ।यहां तो बात है सिर्फ मासूम बच्चियों की इज्जत की ।क्यों लाते हो बीच में मजहब और राजनीति को,है हिम्मत तो दे दो “सबूत “अपने मर्द होने की)कंठ है अवरुद्ध होठों पर भी लगे हैं ताले,भुलाकर ईमान सिल गए हैं लवों के प्याले।।हार रही है मानवता घुट रही है इंसानियत ,हर
Hi Friends, Ham Sabhi Pratyek 14 September Ko Hindi Diwas Ke Rup Me Manate Hain. Main Hindi Se Related Rochak Tathya Pahle Hi Publish Kar Chuka Hun, Jise Aap Yaha Padh Sakte Hain >> Hindi Language Wiki in HindiYe Batane Ki Jarurat Nahi Hai Ki Hamare Bharat Me Sabse Adhik