हमारे देश की क़ानून व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है. इंसान न्याय के लिये कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाता रह जाता है, लेकिन फ़ैसला आने में उसकी उम्र बीत जाती है. वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट के एक जज ने महज़ 16 घंटों में 135 पेंडिग पड़े मामलों में से 122 की सुनवाई कर, लोगों को आशा की एक किरण दिखाई है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 156 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी जज ने 16 घंटों में सुबह के 3.30 बजे तक लंबित पड़े 100 से ज़्यादा केसों की सुनवाई की है. इसी के साथ ही जस्टिस, शाहरुख जे कथावाला दूसरे जजों के लिए मिसाल बन गए हैं. बताया जा रहा है कि 5 मई से गर्मियों की छुट्टी के चलते हाईकोर्ट बंद होने वाला था, इसीलिये उन्होंने तीन दिनों का काम सिर्फ़ एक दिन में कर कई सारी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया.
यही नहीं, बीते शुक्रवार कोर्ट की सुनवाई के दौरान जस्टिस कथावाला ने डिनर करने से भी मना दिया और उन्होंने लंच के लिए भी सिर्फ़ 20 मिनट का समय लिया. इसके साथ ही साथ जजों के जाने के 10 घंटे बाद भी वो कोर्ट से बाहर नहीं निकले. ऐसा इसीलिए ताकि छुट्टी पर जाने से पहले से वो ज़्यादा से ज़्यादा केस निपटा सकें. इस दौरान वहां वरिष्ठ वकील और वादी भी मौजूद थे.
TOI में छपी खबर के अनुसार, अपने किसी केस के चलते थेयटर आर्टिस्ट Arif Zakaria भी कोर्ट में मौजूद थे और उन्होंने कहा कि '3 बजे सीरियल नबंर 945 की सुनवाई शुरू हुई और 11.15 मिनट पर ये 972 के आस-पास था और हमारा 1001 था. ये काफ़ी लाजवाब था और जस्टिस द्वारा किया गया ये काम काफ़ी बेहतरीन था.'
इतना ही नहीं, कार्यवाई के दौरान जब एक वकील ने देर रात टॉयलेट बंद होने की शिकायत की, तो जस्टिस ने तुरंत ही उसे खुलवाने का इंतज़ाम कराया. इसके अलावा देर रात तक सुनवाई करने के बाद वो अगले दिन ठीक 10 बजे कोर्ट भी पहुंच गये. ख़बरों के अनुसार, जस्टिस कथावाला 2009 में हाईकोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त हुए थे.
एक ओर जहां लोगों का क़ानून व्यवस्था पर से विश्वास उठता जा रहा है. वहीं एेसे में जस्टिस कथावाला का काम के प्रति निष्ठा और समर्पण देख कर दिल को ख़ुशी हुई, इसके साथ ही ये सभी के लिए प्रेरणादायक भी है.