टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री के बाद से ही रिलायंस जियो हमेशा चर्चा में रहती है. दरअसल, टेलीकॉम सेक्टर में प्राइस वॉर की शुरुआत भी जियो की एंट्री के बाद से हुई. इसका सीधा फायदा देश के टेलीकॉम ग्राहकों को मिला. सस्ते प्लान और फायदे देकर जियो ने देशवासियों के दिल में जगह बना ली. उसकी हर योजना हिट साबित हुई. जियो ने पिछली दो तिमाही में जबरदस्त मुनाफा हासिल किया. इस तिमाही जारी रिलायंस के नतीजों में भी उसे 500 करोड़ से ज्यादा का मुनाफा हुआ. लेकिन, जियो के इस मुनाफे के बीच केंद्र में मोदी सरकार को झटका लगा है. दरअसल, जियो के चलते देश के टेलीकॉम सेक्टर की आय बहुत ज्यादा घट गई है. इससे सरकार को मिलने वाले टैक्स में भारी कमी आई है. सरकार को वर्ष 2017 में 5485 करोड़ रुपए का कम टैक्स मिला है.
सिर्फ जियो की कमाई बढ़ी
सरकार को वर्ष 2017 में लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) के रूप में कम टैक्स मिला. खास बात यह रही है कि देश की हर टेलीकॉम कंपनी की एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) में कमी आई. लेकिन, रिलायंस जियो की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई.
घट गई टेलीकॉम कंपनियों की कमाई
ट्राई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम सेक्टर की वर्ष 2017 की ग्रॉस आय में गिरावट दर्ज की गई. सेक्टर का रेवेन्यू 8.56 फीसदी घटकर 2.55 लाख करोड़ रह गया. टेलीकॉम सेक्टर का रेवेन्यू घटने से सरकार को मिलने वाले टैक्स भी घट गया. टेलीकॉम सेक्टर का ग्रॉस रेवेन्यू वर्ष 2016 में 2.79 लाख करोड़ था.
सरकार को लगा तगड़ा झटका
टेलीकॉम सेक्टर की घटी कमाई से वर्ष 2017 में सरकार को लाइसेंस फीस में 18.78 फीसदी कम पैसा मिला. वहीं, स्पेक्ट्रम चार्ज के रूप में 32.81 फीसदी कम रेवेन्यू मिला. आपको बता दें, सरकार को कंपनी के AGR पर ही लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज मिलता है. वर्ष 2017 में लाइसेंस फीस से सरकार 12976 करोड़ रुपए मिले, जो एक साल पहले की तुलना में 3 हजार करोड़ रुपए कम रहा. वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 15975 करोड़ रुपए था. वहीं, SUC से सरकार को वर्ष 2016 के 7574 करोड़ रुपए के मुकाबले 2017 में कुल 5089 करोड़ रुपए मिले. इस मामले में भी सरकार 2485 करोड़ रुपए की चपत लगी.
ग्राहकों की संख्या में हुआ इजाफा
टेलीकॉम सेक्टर का रेवेन्यू भले ही घटा हो, लेकिन एक साल के भीतर उसके सब्सक्राइबर बढ़ गए. एक साल में 4 करोड़ उपभोक्ताओं को जोड़ा गया. दिसंबर 2016 तक देश में 115 करोड़ सब्सक्राइबर थे, लेकिन दिसंबर 2017 में उपभोक्ता की संख्या बढ़कर 119 करोड़ हो गए थे. ग्राहकों की संख्या में करीब 3.38 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली.
सबसे बड़ा फायदा जियो को हुआ
टेलीकॉम कंपनियों का एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू घटा है. वर्ष 2017 में 18.87 फीसदी घटकर 1.6 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 1.98 करोड़ रुपए था. इस दौरान सिर्फ रिलायंस जियो का एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बढ़ा है. जियो का AGR 2563.9 फीसदी बढ़कर 7466 करोड़ रुपए हो गया. एक साल पहले तक यह आंकड़ा निगेटिव 303 करोड़ रुपए था.
बाकी कंपनियों का AGR गिरा
एक तरफ जियो के AGR में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई. वहीं, बाकी टेलीकॉम कंपनियों का AGR बुरी तरह गिर गया. एयरटेल का AGR 24.46 फीसदी गिरकर 36922 करोड़ रुपए रह गया. वर्ष 2016 मेंयह 48880 करोड़ रुपए था. वोडोफोन का AGR 24.14 फीसदी गिरकर 26308 करोड़ रुपए हो गया. वहीं, आइडिया का AGR 23.17 फीसदी घटकर 22616 करोड़ रुपए रहा. सरकारी कंपनी BSNL का AGR 19.42 फीसदी घटकर 10564 करोड़ रुपए रहा और MTNL का AGR 30.76 फीसदी घटकर 1985 करोड़ रुपए रहा.
बंद होती गईं कंपनियां
जियो की एंट्री के बाद से छिड़ी प्राइस वॉर ने कई कंपनियों को बंद होने तक पर मजबूर कर दिया. ट्राई की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में देशभर में 13 मोबाइल ऑपरेटर्स थे, लेकिन 2017 में यह घटकर 8 कंपनियां रह गई. 2017 में सबसे पहले वीडियोकॉन ने अपनी सेवाएं बंद की. इसके बाद रिलायंस कम्युनिकेशंस, सिस्टेमा श्याम, क्वॉडरेंट ने अपनी सेवाएं बंद की. इसके बाद इसी साल एयरसेल ने भी अपनी सेवाएं बंद कर दी.