अगर मेरी फ्लाइट मिस न हुई होती तो आज मैं आईएएस न होता और आपको मोटिवेट करने के लिए यहां खड़ा न होता। यह बात रविवार को एडीशनल कमिश्नर सौरभ मिश्रा ने कही। मौका था आईएएस स्टडी सर्कल कोचिंग इंस्टीट्यूट सेक्टर-32 द्वारा करवाए गए सम्मान समारोह का। प्रेस क्लब सेक्टर-27 में हुए इस समारोह में उन कैंडिडेट्स को बुलाया गया था, जिन्होंने हाल ही में आए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) के नतीजों में बेहतरीन अंक लिए हैं। इन सभी को मोटिवेट करने के लिए सौरभ मिश्रा बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर मौजूद थे। सौरभ मिश्रा ने जब आपबीती सुनाई तो कैंडिडेट्स भी हैरान रह गए।
सौरभ ने कहा कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज इंदौर से एमबीबीएस करने के बाद वे लंदन में काम करने के लिए गए। 2006 से दिसंबर 2007 तक लंदन में रहे दिसंबर में इंदौर आए। जब इंदाैर से दिल्ली होते हुए लंदन की फ्लाइट लेनी थी, तब फ्लाइट मिस हो गई। उस रात दोस्तों के पास रहा और देर रात तक बातचीत करते रहे। फ्रेंड्स ने मोटिवेट किया और कहा कि मैं पढ़ाई में अच्छा हूं तो यूपीएससी के एग्जाम में एक बार अपीयर होकर देखूं। क्योंकि बैकअप प्लान के हिसाब से डॉक्टर की डिग्री तो है ही। मुझे उनकी बात सही लगी और मैंने दोबारा फ्लाइट नहीं ली। एक साल तक दिल्ली में रहकर तैयारी की और 2008 में एग्जाम में अपीयर हुआ और उनके रिजल्ट्स में मेरा 218वां रैंक आया।
मुझे आईएएस तो छोड़ाे आईपीएस भी नहीं मिला और आईआरएस से संतोष करना पड़ा। आईआरएस के तहत बिहार के मुज्जफरपुर में इंडो नेपाल बॉर्डर पर एक्साइज में असिस्टेंट कमिश्नर की पोस्टिंग मिली। लगा कि मैं और बेहतर कर सकता हूं तो 2010 में अपीयर हुआ। 183 रैंक मिला, जिससे कि मुझे मध्यप्रदेश में आईपीएस कैडर मिला।
मैं डीएसपी उज्जैन, एएसपी सागर और एसपी सीआईडी भोपाल रहा। इस दौरान 2010 में मेरी शादी हुई और मैं अपने होम कैडर में खुश था। इसके बाद वाइफ स्मिता सिंह ने यूपीएससी दिया। फिर हम दोनों ने 2014 में फिर से यूपीएससी दिया। इस बार मैंने कोई तैयारी नहीं की और सीधा जाकर एग्जाम दे दिया। मेरा लक इतना तेज था कि 67 रैंक आया और आईएएस के लिए चुना गया।
बस हार्ड वर्क करें
सौरभ ने कहा कि लक का बहुत बड़ा रोल है और इस बार जो आईएएस नहीं बन सके, वे बार-बार अपीयर हों क्योंकि हार्डवर्क के साथ कब उनका लक चमक जाए यह कोई नहीं जानता। मैंने कभी जिंदगी में नहीं सोचा था कि मैं आईएएस बन जाऊंगा और अगर मेरी वह फ्लाइट मिस न हुई होती तो मैं आज किसी हॉस्पिटल में डॉक्टर होता। इसलिए निराश न हों और दोबारा एग्जाम में अपीयर हों न जाने कब, कहां, कैसे लक चमक जाए।
उस दिन अगर मेरी फ्लाइट मिस नहीं होती तो आज मैं IAS न होता, कहा- पॉजिटिव सोच से सब संभव