साल 2015 में जब जून का महीना खत्म हो रहा था, तब कश्मीर से फेसबुक पर एक फोटो अपलोड की गई. आप कहेंगे कि फेसबुक पर रोज़ाना लाखों फोटो अपलोड होती हैं, तो इस फोटो में क्या खास था. खास ये था कि ये फोटो हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना बुरहान वानी ने पोस्ट की थी, जिसमें वो अपने 10 साथियों के साथ बैठा था. सबके हाथ में हथियार थे और सबकी देह पर सैनिकों वाली वर्दी. ऐसी तस्वीरों से वानी घाटी के लड़कों को बरगलाने की कोशिश करता था. पर इस तस्वीर का अंजाम वानी के मुताबिक नहीं, इंडियन आर्मी के मुताबिक हुआ.
6 मई 2018 को कश्मीर के शोपियां में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने पांच आतंकियों को मारा गिराया. इन पांच में से एक नाम सद्दाम पैडर है, जो उस तस्वीर में दिखने वाला 11वां शख्स है. उसके अलावा तस्वीर के 9 आतंकी पहले ही मार गिराए जा चुके हैं और एक सरेंडर कर चुका है. इसी के साथ बुरहान वानी का पूरा गैंग साफ हो गया.
जानिए किसे कब और कहां मारा गया:
#1.
नाम: बुरहान वानी (23)
बैकग्राउंड: त्राल के शरीफाबाद का रहने वाला. संपन्न घर का लड़का. पिता मुज़फ्फर अहमद वानी स्कूल प्रिंसिपल थे.
एनकाउंटर: 8 जुलाई 2016 को सिक्यॉरिटी फोर्सेस और J&K पुलिस ने अनंतनाग के कोकेरनाग इलाके में जॉइंट ऑपरेशन चलाया. एक घर में छिपे वानी ने बचने के लिए ग्रेनेड दागे और गोलियां चलाईं. जवाब में फोर्स ने घर में बम मारे. ऑपरेशन में वानी के साथ उसके दो साथी भी मारे गए थे. एनकाउंटर से एक महीने पहले ही इसने एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें ये सैनिकों और कश्मीरी पंडितों को धमका रहा था.
और बातें: बुरहान के जानने वालों ने बताया कि वो पढ़ाई में अच्छा था. 2010 में सिक्यॉरिटी फोर्सेस के साथ एनकाउंटर में इसका बड़ा भाई खालिद मुज़फ्फर वानी मार गिराया गया. तब 15 साल की उम्र में इसने हिजबुल जॉइन किया. ये सोशल मीडिया पर अपनी फोटो और वीडियो पोस्ट करके नए लड़कों को संगठन का हिस्सा बनने के लिए उकसाता था. इसकी मौत पर कश्मीर में बड़ा विरोध प्रदर्शन खड़ा हुआ, जिसमें 98 लोगों की मौत हुई थी. वानी पर 10 लाख का इनाम था.
#2.
नाम: सब्ज़ार बट (31)
बैकग्राउंड: त्राल के राठसुना का रहने वाला. पिता के साथ किसानी करता था, पिता के साथ मिलकर घर बनाया था. मां जाना बेगम उसे शहीद बताती है.
एनकाउंटर: 26 मई 2017 को सुरक्षाबलों ने त्राल के साइमू गांव में ऑपरेशन चलाया. ऑपरेशन में सिक्यॉरिटी फोर्सेस के अलावा पैराकमांडो और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप भी शामिल थे. लंबी फायरिंग के बाद तीन घर जलाए गए. एक घर में छिपा सब्ज़ार अपने दो साथियों के साथ मारा गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक गांववालों ने सब्ज़ार को भागने में मदद कर रहे थे, लेकिन वो सेना की घेराबंदी नहीं तोड़ पाए.
और बातें: सब्ज़ार बुरहान के एनकाउंटर के बाद हिजबुल मुजाहिदीन का त्राल का कमांडर बना था. इसने अप्रैल 2015 में एक CRPF जवान का हथियार छीनने के बाद हिजबुल जॉइन किया था. संगठन में इसे ‘महमूद गजनवी’ और ‘डॉन’ कहा जाता था. हिजबुल के त्राल कमांडर के तौर पर सब्ज़ार के नाम का ऐलान हिजबुल मुखिया सैय्यद सलाउद्दीन ने बाकायदा मीडिया में किया था. सब्ज़ार पर 10 लाख रुपए का इनाम था. इस ऑपरेशन में एक सिविलियन मारा गया था.
#3.
नाम: वसीम मल्ला (27)
बैकग्राउंड: शोपियां के फेलीपोरा गांव का रहने वाला. बीए सेकेंड इयर का स्टूडेंट था. पिता मुहम्मद इकबाल बगीचे के मालिक थे.
एनकाउंटर: 7 अप्रैल 2016 को शोपियां के वेहिल गांव में जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप, आर्मी की 62 राष्ट्रीय रायफल्स और CRPF की 14 बटालियन ने ऑपरेशन चलाया. सर्च के दौरान वसीम अचानक घर से बाहर आकर फायरिंग करने लगा. जवाबी गोलीबारी में वसीम और उसका साथी नसीर अहमद पंडित भी मारा गया.
और बातें: शोपियां SSP शैलेंद्र मिश्रा ने एनकाउंटर के बाद बताया कि वसीम और नसीर अप्रैल 2015 के एक हमले में शामिल थे, जिसमें तीन पुलिसवालों की मौत हो गई थी. वसीम नए लड़कों को रिक्रूट करने में मदद करता था. पुलवामा, शोपियां और श्रीनगर में उस पर हत्या के केस दर्ज थे. वो पहली बार 2010 में IED ब्लास्ट के सिलसिले में अरेस्ट हुआ था. इसके दो साल बाद उसने हिजबुल जॉइन कर लिया. वसीम ने पडगाछू में दो पुलिसवालों के हथियार भी छीने थे. वानी की तरह इसे भी पुलिस A++ लेवल का आतंकी मानती थी.
#4.
नाम: नसीर अहमद पंडित (29)
बैकग्राउंड: पुलवामा के करीमाबाद का रहने वाला. जम्म-कश्मीर पुलिस में कॉन्स्टेबल रहा. पिता का नाम गुलाम रसूल.
एनकाउंटर: 7 अप्रैल 2016 को वसीम मल्ला के साथ ही शोपियां के वेहिल गांव में मारा गया. जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप, आर्मी की 62 राष्ट्रीय रायफल्स और CRPF की 14 बटालियन ने ऑपरेशन चलाया था.
और बातें: नसीर 2006 में J&K पुलिस का कॉन्स्टेबल बना था. फिर उसे राज्य के एक पूर्व मंत्री सैय्यद अल्ताफ बुखारी का गार्ड बना दिया गया. अप्रैल 2015 में वो बुखारी के घर से दो रायफलें चुराकर फरार हो गया और फिर हिजबुल जॉइन कर लिया. इसने अपने साथ चचेरे भाई तारिक पंडित और दोस्त अफाक भट को भी हिजबुल जॉइन कराया था.
#5.
नाम: इशफाक हमीद (23)
बैकग्राउंड: अनंतनाम के संगम का रहने वाला. परिवार संपन्न था. पिता अब्दुल हमीद डार का क्रिकेट बैट बनाने का बिजनेस था.
एनकाउंटर: 8 मई 2016 को अवंतीपुरा पुलिस, 55 राष्ट्रीय रायफल्स और CRPF की 130 बटालियन ने टिप मिलने पर साउथ कश्मीर के पंजगाम इलाके में ऑपरेशन चलाया. फोर्स ने पूरा गांव घेर लिया. आतंकियों ने घर के अंदर से गोलीबारी की और जवानी गोलीबारी में मारे गए. इसके साथ दो और आतंकी हसीब अहमद और इशफाक बाबा भी मारे गए. घर के अंदर ढेर सारे हथियार मिले थे.
और बातें: इशफाक के जनाजे में ढेर सारे लोग इकट्ठे हुए थे और सेना के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था. एनकाउंटर के बाद पिता अब्दुल डार ने बताया कि जब इशफाक आखिरी बार उनसे मिलने आया था, तो जान बचाने के लिए उन्होंने उसे पाकिस्तान चले जाने के लिए कहा था. लेकिन, इशफाक नहीं माना. उसने पिता से अपनी ‘शहादत’ पर प्रार्थना करने के लिए कहा था. पिता के मुताबिक उनका बेटा भेदभाव के खिलाफ लड़ रहा था.
#6.
नाम: अफाकुल्ला भट (25)
बैकग्राउंड: पुलवामा के करीमाबाद का रहने वाला. एमटेक की डिग्री वाला ये लड़का टेक्नॉल्जी समझता था. पिता अब्दुल राशिद भट पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल थे.
एनकाउंटर: 27 अक्टूबर 2015 को पुलवामा के द्राबगाम में हुए एनकाउंटर में इसे एक और आतंकी अब्दुल मन्नान के साथ मार गिराया गया. पुलिस को पहले इसकी मौजूदगी के इनपुट मिले. फिर J&K पुलिस और राष्ट्रीय रायफल्स के जवानों ने गांव को घेर लिया. पहले इससे बात करने की कोशिश की गई, लेकिन खुद को घिरा पाकर ये फायरिंग करने लगा. जवाबी गोलीबारी में ये मारा गया. गोली दाईं आंख में लगी थी.
और बातें. अफाकुल्ला अप्रैल 2015 में तारिक पंडित और नसीर पंडित के साथ हिजबुल से जुड़ा था और फिर इसके ऑनलाइन ऑपरेशंस देखने लगा. इंटरनेट की मदद से नए लड़कों तक पहुंचना और उन्हें रिक्रूट करने में इसका अहम हाथ था. बुरहान के ऑडियो-वीडियो भी यही अपलोड करता था. इसके एनकाउंटर के बाद भी करीमाबाद और द्राबगाम में ढेर सारे लोगों ने इकट्ठे होकर प्रोटेस्ट किया था. अफाक येरूशलम जीतने वाले मुस्लिम कमांडर सलाहुद्दीन अयूबी से प्रेरित था. पिता समझाते-डांटते थे, लेकिन ये पिता की नौकरी से नाखुश था. कहता था, ‘आप अपना काम करो, मुझे अपना करने दो. मैं इससे संतुष्ट हूं.’
#7.
नाम: आदिल अहमद खांडे (20)
बैकग्राउंड: शोपियां के इमाम साहिब का रहने वाला. स्थानीय प्राइवेट स्कूल में ड्राइवरी करता था.
एनकाउंटर: 22 अक्टूबर 2015 को J&K पुलिस और 62 राष्ट्रीय रायफल्स की टीम ने शोपियां के मनजिनपोरा गांव में जॉइंट ऑपरेशन चलाया. जब जवान आदिल को ढूंढ रहे थे, तभी उसने जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी. इसके बाद और फोर्स बुलानी पड़ी और गांव को घेर लिया गया. जवाबी गोलीबारी में आदिल मारा गया. उसके साथ एक और आतंकी इरशाद अहमद मारा गया था.
और बातें: आदिल 2012 में हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा था. स्थानीय लोगों के मुताबिक वो गांववालों और पंचायत के सदस्यों को डराता रहता था. सेना इसे A कैटेगरी का आतंकी मानती थी. ये हिजबुल के लिए फंड भी जुटाता था. इसके एनकाउंटर के दौरान गांववालों ने जवानों पर पथराव करके दोनों को भागने में मदद की कोशिश की थी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.
#8.
नाम: वसीम अहमद शाह (24)
बैकग्राउंड: शोपियां का रहने वाला था.
एनकाउंटर: जानकारी नहीं.
#9.
नाम: अनीस
बैकग्राउंड: जानकारी नहीं.
एनकाउंटर: जानकारी नहीं. पुलिस के हवाले से एनकाउंटर में मारा गया बताया गया.
#10.
नाम: सद्दाम पैडर (23)
बैकग्राउंड: शोपियां के हेफ गांव का रहने वाला. पिता के पास बगीचा है, जिसमें सद्दाम मदद करता था. 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी.
एनकाउंटर: 6 मई 2018 को टिप मिलने पर J&K पुलिस की SOG और राष्ट्रीय रायफल्स के जवानों ने शोपियां के बडिगाम को घेरा. सद्दाम बागानी करने वाले गुलाम मोहम्मद भट के घर छिपा था. जब आर्मी ने दरवाज़ा खटखटाया, तो गुलाम अपने परिवार के साथ बाहर निकल आया. जवान उसके एक बेटे को साथ लेकर घर की तलाशी लेने गए. दो बार की तलाशी में कुछ नहीं मिला. तीसरी बार जब और जवान बुलाकर तलाशी शुरू हुई, तो कुछ ही देर में घर में गोलीबारी शुरू हो गई. कुछ देर बाद सद्दाम समेत पांच आतंकी मार गिराए गए, जिनमें एक कश्मीर यूनिवर्सिटी का पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मुहम्मद रफी भी है, जो आतंकी बन गया.
और बातें: सद्दाम ने 2013 में आतंक का दामन थाम लिया था. पहले वो लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा था और 2015 में हिज्बुल में शामिल हो गया. ये बुरहान वानी की पोस्ट की हुई तस्वीर का आखिरी आतंकी था, जो गिरफ्त से बाहर थे. इसी के साथ बुरहान समेत 11 आतंकियों का किस्सा खत्म हो गया.
#11.
नाम: तारिक पंडित (25)
बैकग्राउंड: पुलवामा के करीमाबाद का रहने वाला. कॉलेज ड्रॉपआउट है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ड्राइवर था. पिता का नाम बशीर अहमद.
सरेंडर: तारिक ने 28 मई 2016 को सरेंडर किया था. इसके सरेंडर करने के बाद फोर्सेस को काफी जानकारी मिली, जिससे अगले कई दिनों तक आतंकियों के खिलाफ चले ऑपरेशंस में सफलता मिली. इस पर कुछ पुलिसवालों और गांव के सरपंच की हत्या में शामिल रहने का आरोप है.
और बातें: तारिक पंडित नसीर अहमद पंडित का चचेरा भाई है, जो 7 अप्रैल 2016 को शोपियां के वेहिल गांव में हुए एनकाउंटर में मारा गया था. दोनों ने अप्रैल 2015 में साथ ही हिजबुल मुजाहिदीन जॉइन किया था. कुछ रिपोर्ट्स में इसके सरेंडर करने पर संदेह जताया जाता है. उस घटना के बारे में किसी को जानकारी नहीं है, जिसमें तारिक पंडित ने सरेंडर किया. ऐसे भी दावे किए गए कि पुलिस ने उसे ज़िंदा पकड़ा था.