अपने बचपन में जब हमें अख़बार और टीवी पर चल रही ख़बरों का कोई आइडिया नहीं होता था. हम तब भी इस बात को जानते थे कि खुंख़ार व कुख्यात कैदियों को तिहाड़ जेल की चहारदिवारियों के भीतर रखा जाता है.
तिहाड़ जेल को तिहाड़ आश्रम भी कहा जाता है जो दिल्ली के चाणक्यपुरी से 7 किमी दूर तिहाड़ा गांव में स्थित है. तिहाड़ दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा जेल परिसर है. जेल जिसे क़ैदख़ाना व कारागार कहा जाता है तो वहीं कई लोग इसे सुधारगृह के नाम से भी संबोधित करते हैं.
इतिहास में अलग-अलग समय पर शासन-प्रशासन ने जेलों का निर्माण कराया ताकि वे समाज के अवांछित तत्वों को समाज में किसी तरह की अव्यवस्था फैलाने पर उन्हें कैद कर सकें. इसके अलावा कई बार शासन-प्रशासन से बगावत करने वालों को भी जेलों के सीखचों के पीछे डाल दिया जाता है.
बाद बाकी हम आपको रू-ब-रू करा रहे हैं तिहाड़ जेल की कुछ ऐसी बातों से जिन्हें आप शायद ही जानते हों...
1. तिहाड़ जेल सन् 1957 से कुख्यात कैदियों की सेवा में है.
सन् 1966 में इसकी बागडोर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को दे दी गई थी. सन् 1984 में इसमें और भी सुविधाए जोड़ दी गईं और इस पूरे कॉम्पलेक्स को तिहाड़ जेल का नाम दे दिया गया.
2. तिहाड़ जेल दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा कारागार क्षेत्र है.
आज तिहाड़ जेल को दिल्ली कारागार डिपार्टमेंट चलाता है. इस कारागार के भीतर 9 राष्ट्रीय कारागार हैं और यह दिल्ली प्रदेश के भीतर दो कारागारों में से एक है. दूसरा एक जिला कारागार है जिसे रोहिणी कारागृह कॉम्पलेक्स कहते हैं.
3. किरण बेदी एक समय तिहाड़ कैदीगृह की इंस्पेक्टर जनरल थीं, और उन्होंने तिहाड़ जेल की तकदीर और तस्वीर बदल कर रख दी.
जी हां, आप सही सुन रहे हैं. किरण बेदी, जो हमारे देश की पहली महिला आईपीएस अफ़सर थीं. उन्होंने तिहाड़ जेल के माहौल को बदलने में अहम भूमिका निभायी. उन्होंने तिहाड़ जेल के भीतर विपस्सना की शुरुआत करवायी थी और शुरुआती क्लासेस जी.एन गोयनका ने ली थीं. इसके अलावा विशेष बात यह है कि तिहाड़ जेल के भीतर रहते-रहते एक कैदी ने आईएएस की परीक्षा भी पास कर ली थी.
4. तिहाड़ किसी जेल से बढ़कर है, यह एक संस्था है.
इस कारागृह का मुख्य मकसद है कि यहां कैदियों को शिक्षित और जागरुक करके आम नागरिक बनाया जा सके. साथ ही उन्हें कानून की जानकारी और शिक्षा भी दी जाती है ताकि वे कानून की इज्जत करना सीखें. इसके अलावा यहां कैदियों के लिए पुनर्वास की भी व्यवस्था है जहां कैदियों पर और उनके आत्मविश्वास पर काम किया जाता है.
5. तिहाड़ जेल में कई हाई-प्रोफाइल कैदियों उनके ट्रायल के दौरान रखा जाता है, मगर उन्हें भी एक आप कैदी की तरह ही ट्रीट किया जाता है.
पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए.राजा को तिहाड़ जेल में रुकने और सोने हेतु 7 कम्बल दिए गए थे. राजा की कोटरी में कोई बिस्तर या तकिया नहीं था और उस कोटरी से सटा हुए एक गदैला सा टॉयलेट था. वे दो कम्बल ओढ़ते थे, बाकी चार पर सोते थे और एक को तकिए के तौर पर इस्तेमाल करते थे.
6. तिहाड़ जेल में 6,250 कैदियों को रखने की सुविधा है, मगर यहां 14,000 कैदी रहते हैं.
तिहाड़ जेल में दोषसिद्ध कैदियों के अलावा अंडरट्रायल कैदी भी रहा करते हैं. ज्ञात हो कि जेल के भीतर से भी कई गैंग काम करते हैं और बाहर से आने वाले कैदियों के लिए मुश्किलें पैदा करते हैं.
7. TJ’S यहां का एक यूनिक ब्रांड है, इस ब्रांड के भीतर तिहाड़ जेल के भीतर रह रहे कैदियों द्वारा बनाई गईं वस्तुए बिकती हैं.
TJ’S के भीतर खान-पान की सामग्री जैसे अचार और बेकरी भी बनते हैं. इसके साथ ही यहां हैंडलूम व टेक्सटाइल, फर्नीचर, कपड़े, बैग, शुद्ध सरसों तेल, हस्तनिर्मित सामग्रियां, पेंटीगें, जूट के बैग, हर्बल प्रोडक्ट और कैडल व लाइटों के अलावा बहुत कुछ मिलता है.
8. सन् 2015 के जून माह में तिहाड़ जेल के दो कैदियों ने रात के दौरान एक दीवार के नीचे से 10 फीट की सुरंग खोद डाली थी, ताकि वे वहां से भाग सकें.
19 वर्षीय फैज़ान को भागने के दौरान एक सीवर में फंस गया जहां से उसे पकड़ लिया गया, वहीं उसका साथी जावेद जो इस प्लान का मास्टरमाइंड था वहां से भाग निकला. इन दोनों को चोरी के जुर्म में कैद में रखा गया था.
गौरतलब है कि, चार्ल्स शोभराज जो एक अंतर्राष्ट्रीय सीरियल किलर था, तिहाड़ जेल से 16 मार्च सन् 1986 को भाग निकला था, हालांकि उसे जल्द ही दोबारा पकड़ लिया गया.
9. तिहाड़ जेल की भारी निगरानी और सुरक्षा के भीतर से ही लगभग 20 क्रिमिनल गैंग और 30 छोटे गैंग काम करते हैं.
यहां से काम करने वाले गैंग जेल के भीतर रह रहे कैदियों के मुखियाओं के नाम से चलते हैं. इनमें से कुछ के नाम हैं, हड्डी, अट्टे, किकड़ी, रवि दाबोलिया, बीड़ी, चवन्नी-अठन्नी, बवनिया. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि कैसे कोई राह चलता नाम यहां आकर गैंग में बदल जाता है.
सूत्रों ने बताया कि बदलते जमाने की रफ़्तार से कदम मिलाते हुए यहां के गैंग भी हाईटेक हो गए हैं. दिल्ली, एनसीआर और हरियाणा के अधिकांश गैंगस्टर आज सीखचों के भीतर हैं औऱ वहीं से उनका सारा धंधा चलाते हैं.
10. जेल के भीतर ख़ून-खराबा आम हो गया है और मोबाइल फोन का इस्तेमाल उसके सार्वकालिक चरम पर पहुंच गया है.
यहां गर (मार्च से जून) चार माह के आकड़ों पर ही गौर करें तो जेल के भीतर 17 मौंतें हुई हैं. जहां इस कदर निगरानी और सुरक्षा का ख़याल रखा जाता हो वहां ऐसे आकड़े तो डराते ही हैं न?
11. यहां नवप्रवेशी कैदियों को कई तौर-तरीकों से आकर्षित किया जाता है.
यहां नवप्रवेशी कैदियों को “फ्रेशर्स पार्टी” और सुरक्षा का लालच दिया जाता है, और उस नवप्रवेशी की दूसरे पुराने कैदियों द्वारा जम कर क्लासेस ली जाती हैं.
तिहाड़ जेल के बारे में ऐसी 11 बातें जिन्हें जानने के लिए आपको तिहाड़ जाने की ज़रूरत नहीं है...