है दुनिया ऐसे भागती, समय हो गया तंग, एकाकी जीवन जिया, छूटा यारों का संग। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
साथ दिया उसने तभी, जब-जब लिया पुकार, मन भावों से जान गया, की शब्दों से न गुहार। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
खींच रहा मन आज फिर, वो बचपन का चित्र, आँखें ढूंढें अब तलक, बिछड़ा हुआ वह मित्र । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
दोस्त होते हैं बड़े अनमोलबिना दोस्त नहीं जीवन का मोल,जीवन के हर मोड़ पर आकरवो देते हैं खुशियाँ घोल।दोस्त वही जो दोष मिटा देसही रास्ता वो दिखला दे,मलिन हुए मुख मंडल पर भीपल भर में हँसी वो ला दे।हर राज़
महकता रहेगा हमेशा मेरा ख्याल तुम्हारे मन मेंतेरे न चाहने पर भी हम तुझे याद आया करेगें
सादर प्रणाम लिखता हूं प्रथम, मेरे जिगर के टुकड़े हो तुम।मेरे अज़ीज़ मित्र कैसे हो तुम , मेरी दुनिया में महत्वपूर्ण हो तुम।सदा रहे ईश्वर की कृपा , दुख संकट से सदा परे रहो। ना टूटे दोस्ती कभी भी ,
वफा करने वाले कहाँ मिलते हैं। जो भी मिलते हैं बेवफा मिलते हैं।। जब बादल पानी बरसाता है। तब चमन में फूल खिलते हैं।। भँवरे की दोस्ती माली से कहाँ। फूलो की सिंहासन पर पलते हैं।। उनको ही ज
मित्रता बेमिसाल ऐतिहासिक पृष्ठों में नजर डालें तो मित्रता की बहुत सी मिसालें देखने को मिलेंगी जो जनसामान्य में किवदंतियों के रूप में प्रचलित है ।श्री कृष्ण-अर्जुन की महाभारत कालीन मित्रता किसी से
कितना लिया बटोर और, मन में कूड़ा भर लिया, समय बहुत ही शेष था, पर पहले ही बूढ़ा हो लिया। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
सच्चा मित्र वही जो सन्मार्ग में लगावेअधर्म से रोक मित्रता का कर्ज चुकावेकर्ण-दुर्योधन थे महाभारत की कहानीदी सम्मति होती,न होती जन-धन हानिमित्र वही जो दुख में भी मन सहलायेकठिनाई में बांह पकड़ मंजिल पहु
अरे यह क्या, भला यह कैसे संभव है, ऐसा तो नहीं हो सकता। लेकिन मंडल साहब माता बंगलामुखी के अनन्य भक्त होने के साथ-साथ अदृश्य शक्तियों को बहुत मानते थे। लेकिन आज तो जैसे उन्होंने अपने खुली आंखों से चमत्क
शीर्षक --प्यारा दोस्तप्यारा दोस्त सुन कर, आंखों में आंसू आ गया ।वो अनजाना चेहरा ,मेरी पहचान बन गया ।उसकी यादें मेर